स्वास्थ्य बीमा में 1 अक्टूबर 2020 से होंगे यह तीन बड़े बदलाव

By जे. पी. शुक्ला | Jul 20, 2020

जैसा कि आप सब को पता है कि पिछले कुछ महीनों में कोविड-19 महामारी ने पूरी दुनिया में जीवन को काफी बदल दिया है। कोरोनोवायरस के प्रसार को रोकने के लिए अधिकांश देशों ने लॉकडाउन और प्रतिबंधों के विभिन्न रूपों को लागू किया है जिसकी वजह से लोग घर से न निकलने के लिए मजबूर हो गए हैं। और ऐसे में इंसानों की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए दुनिया ने राष्ट्रीय और वैश्विक स्वास्थ्य एजेंसियों के साथ स्वास्थ्य को और अधिक प्राथमिकता देना शुरू कर दिया है। ज्यादातर लोग अब स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने लगे हैं, सेहतमंद भोजन करते हैं, पानी का अधिक सेवन करते हैं और ज्यादा से ज्यादा व्यायाम करते हैं, ताकि वो स्वस्थ रह सकें। इन सब आहार और व्यवहार के अलावा एक और महत्वपूर्ण कदम है जो अब लोग अपना रहे हैं वो है स्वास्थ्य बीमा

 

स्वास्थ्य बीमा एक बीमा उत्पाद है जो बीमाकृत व्यक्ति के चिकित्सा और सर्जिकल खर्चों को कवर करता है। इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDAI) ने जून 2020 में स्वास्थ्य बीमा उत्पादों की पेशकश करने वाली बीमा कंपनियों को तीन नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। इन दिशानिर्देशों में बीमा कंपनियों को स्वास्थ्य बीमा को और अधिक उपभोक्ता-अनुकूल बनाने के लिए अपनी नीतियों और कामकाज में तीन बदलाव करने की बात कही गयी है जो इस प्रकार है- 

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1. बीमा कंपनियां अपनी नीतियों में महत्वपूर्ण उत्पादों की धाराओं का मानकीकरण करें ताकि ग्राहक उसे आसानी  से समझ सकें और समस्त बीमाकर्ताओं के विभिन्न उत्पादों का तुलनात्मक अध्ययन कर सकें।

2. टेलीमेडिसिन, जो आजकल व्यक्तिगत दूरियों के इन समयों में महत्वपूर्ण है, उसके लिए बीमा कवरेज सुनिश्चित करना।

3. अधिक तर्कसंगत और ग्राहक-अनुकूल दावा कटौती (Claim Deduction) प्रदान करना।

 

दिशानिर्देशों का पहला सेट बीमाकर्ताओं की क्षतिपूर्ति के आधार पर उनकी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के अनुबंधों में निहित सामान्य नियमों और शर्तों को मानकीकृत करने के लिए कहता है। इन मानकीकृत शर्तों को बीमाकर्ताओं द्वारा पेश किए गए नए उत्पादों में और मौजूदा उत्पादों के लिए, जिनका नवीनीकरण 1 अप्रैल, 2021 से होना है, शामिल किया जाना है। IRDAI ने बीमाकर्ताओं से निर्धारित मानक शब्दों का उपयोग करने के लिए कहा है।

 

दिशानिर्देशों का दूसरा सेट टेलीमेडिसिन पर आधारित है। चूंकि भारतीय मेडिकल काउंसिल ने मार्च 2020 के महीने में दिशानिर्देश जारी किए हैं जिसमें पंजीकृत मेडिकल प्रैक्टिशनर्स को टेलीमेडिसिन का उपयोग करके स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने में सक्षम बनाया जा सके, बीमा कंपनियों को सलाह दी गई है कि वे पॉलिसी के नियमों और शर्तों में टेलीमेडिसिन परामर्श के लिए क्लेम सेटलमेंट के लिए अनुमति प्रदान करें बशर्ते पॉलिसी के अनुबंध में किसी मेडिकल प्रैक्टिसनर से सामान्य परामर्श शामिल हो। 

 

दिशानिर्देशों का तीसरा सेट दावों में आनुपातिक कटौती (proportionate deductions) पर मानदंडों के बारे में है। यह उन पॉलिसी खरीदने वालों के लिए उपयोगी है, जो अपनी इन्सुरेंस पॉलिसी में दी गयी पात्रता से अधिक के अस्पताल के उच्च केटेगरी के कमरे का चयन करते हैं। उदहारण के तौर पर समझते है इसे- माना कि आपकी 5 लाख रुपये की स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी है जिसमें प्रति दिन एक प्रतिशत रूम रेंट की कैपिंग है। मतलब आपकी प्रतिदिन की अस्पताल के कमरे के किराये की लिमिट अधिकतम 5000 रुपये है। लेकिन अगर आप अपने इलाज के दौरान एक ऐसे कमरे का चयन करते हैं जिसका टैरिफ 7000 रुपये प्रतिदिन है, मतलब आपकी एलिजिबिलिटी से 40 प्रतिशत अधिक है, तो ऐसी सूरत में बीमाकर्ता आमतौर पर आपके टोटल क्लेम से 40 प्रतिशत काट लेगा जिसमें कमरे का किराया और दूसरे और चार्जेज शामिल होंगे, जिसको अक्सर ‘एसोसिएटेड मेडिकल एक्सपेंसेस’ कहते हैं।

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हालाँकि, नए दिशानिर्देश ‘एसोसिएटेड मेडिकल एक्सपेंसेस’ को नीति अनुबंध (policy contract) में स्पष्ट रूप से परिभाषित करने के लिए कहते हैं और फार्मेसी और उपभोग्य सामग्रियों (consumable items), प्रत्यारोपण और चिकित्सा उपकरणों और डायग्नोस्टिक्स की लागत को इस श्रेणी में माना जाता है। बीमाकर्ता, प्रोसेसिंग के दावों के दौरान परिभाषित ‘एसोसिएटेड मेडिकल एक्सपेंसेस’ के अलावा आनुपातिक कटौती के लिए खर्चों की वसूली नहीं करते हैं। इस प्रकार से आपके दावे पर की गई कुल कटौती कम हो जाएगी, जो आपके पक्ष में सही है।

 

आपको बता दें कि इन दिशानिर्देशों के प्रावधान 1 अक्टूबर, 2020 या उसके बाद दायर किए गए नए स्वास्थ्य बीमा उत्पादों पर लागू होंगे, जबकि मौजूदा स्वास्थ्य बीमा उत्पादों के लिए संशोधन नवीनीकरण की तारीख (renewl date) के साथ 1 अप्रैल, 2021 से किए जा सकते हैं।

 

दो मानक कोविद-विशिष्ट योजनाएं

 

कोविड महामारी के खिलाफ बीमा नियामक संस्था IRDAI ने सुरक्षा के रूप में 26 जून 2020 को सभी सामान्य और स्वास्थ्य बीमाकर्ताओं को दो मानक कोविद-विशिष्ट योजनाओं के साथ 10 जुलाई तक आने का निर्देश दिया था- कोविद कवच और कोविद रक्षक। वहीं, जहाँ पर अनिवार्य कोविद कवच एक क्षतिपूर्ति योजना है जो अस्पताल में भर्ती होने के लिए भुगतान करती है, कोविद रक्षक एक वैकल्पिक और लाभ-आधारित योजना है, जिसका मतलब है कि आपको सरकार द्वारा अधिकृत डायग्नोस्टिक केंद्र से 72 घंटे के लगातार अस्पताल में भर्ती रहने पर एकमुश्त राशि का भुगतान किया जायेगा। कुछ बीमाकर्ता पहले ही इस तरह के उत्पादों को निकाल चुके हैं, जबकि अन्य दूसरे जल्द ही इसे लॉन्च करने वाले हैं।

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मैक्स बुपा स्वास्थ्य बीमा कंपनी के निदेशक, दावा, अवर और उत्पाद भूपतोष मिश्रा कहते हैं कि कोविद बहुत संक्रामक बीमारी है और इससे पूरा परिवार प्रभावित हो सकता है। ऐसे मामले में कम राशि का कवर एक भी व्यक्ति की देखभाल करने में पर्याप्त नहीं होगा। 

 

IRDAI ने कहा है कि बीमाकर्ता ऐसे अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं जो कोरोना वायरस के कैशलेस उपचार देने से मना करते हैं। नियामक ने कहा है कि “बीमा कंपनियों को सलाह दी जाती है कि वे कोविद-19 के लिए कैशलेस सुविधा से वंचित रखने और ऐसे अस्पतालों के खिलाफ अन्य शिकायतों के लिए तथा पॉलिसीधारकों की शिकायतों को दूर करने के लिए एक विशेष शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करें जिससे ग्राहकों को उचित और संतोषजनक जवाब और हल मिल सके।


- जे. पी. शुक्ला

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