By अभिनय आकाश | Mar 16, 2023
शिवसेना में अनबन से जुड़े मुकदमों की आज सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ सुनवाई कर रही है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच इस मामले की सुनवाई की जिसमें जस्टिस एमआर शाह, कृष्ण मुरारी, हेमा कोहली और पीएस नरसिम्हा बेंच के अन्य सदस्य हैं। कल बेंच ने फ्लोर टेस्ट बुलाने के राज्यपाल के फैसले पर कई सवाल उठाए थे। ठाकरे के वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी जबकि शिंदे के वकील हरीश साल्वे, नीरज किशन कौल और देवदत्त कामत अदालत के समक्ष पेश दलीलें रखने के लिए पेश हुए। शिवसेना के चुनाव चिह्न के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग ने जवाब दाखिल किया।
उद्धव गुट की ओर से पेश होते हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि संवैधानिक कानून में विधायिका के सदस्यों को कभी भी राजनीतिक दल पर प्रधानता नहीं दी जा सकती है। शिंदे गुट का जिक्र करते हुए सिब्बल ने कहा कि आप कहते हैं कि मैं नेता बना रहूंगा। किस आधार पर? आपको 22 तारीख को हटा दिया गया था। आप कैसे नेता हैं? उन्होंने कल बहस की- व्हिप घर के बाहर कैसे काम कर सकता है? वे असम में क्या कर रहे थे? आप असम में भाजपा की गोद में बैठे दिखे और राजनीतिक दल द्वारा मान्यता प्राप्त व्हिप को हटा रहे हैं। नबाम रेबिया संविधान के अनुच्छेद 179 के दायरे और अनुच्छेद 179 के तहत हटाने की अवधारणा को ध्यान में नहीं रखते हैं।
सीजेआई ने सिब्बल की दलील के बीच में ही कहा कि संसदीय लोकतंत्र का मूल सिद्धांत सरकार को जनता के प्रति जवाबदेह होना चाहिए। मान लीजिए कि कुछ सदस्य कहते हैं कि हमें सरकार में कोई विश्वास नहीं है और हाँ अयोग्यता होगी लेकिन आप कहते हैं कि राज्यपाल फ्लोर टेस्ट नहीं बुला सकते हैं ... लेकिन आप कह रहे हैं कि अल्पमत में भी सरकार बनी रहनी चाहिए? जिसपर सिब्बल ने कहा कि क्या राज्यपाल दसवीं अनुसूची के प्रावधानों से बेखबर विश्वास मत की मांग कर सकते हैं? सिब्बल ने कोर्ट से सवाल पूछते हुए कहा कि 10वीं अनुसूची की तो बात ही छोड़िए.. वह एक गुट के आधार पर विश्वास मत नहीं मांग सकते और विश्वास मत की मांग गठबंधन के आधार पर कर सकते हैं मिलॉर्ड? सिब्बल ने कहा कि जब हम इस अदालत कक्ष में प्रवेश करते हैं..यह एक अलग आभा है.. हम एक उम्मीद के साथ आते हैं कि आप ही एकमात्र आशा हैं। आप अरबों लोगों की उम्मीद हैं और लोकतंत्र को नष्ट नहीं होने दिया जा सकता। सुकरात को क्यों फाँसी दी गयी? अगर बीजेपी के 50 सदस्य आज उद्धव ठाकरे का समर्थन करते हैं तो क्या राज्यपाल फ्लोर टेस्ट के लिए बुलाएंगे? दूसरी ओर दिया गया तर्क संवैधानिक कानून के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है।
हमारा लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा
एकनाथ शिंदे ने सिर्फ मुख्यमंत्री बनने के लिए सरकार गिरा दी। ठाकरे समूह के वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया कि शिंदे को उनकी बेईमानी के इनाम के तौर पर मुख्यमंत्री का पद इसलिए दिया गया क्योंकि उन्होंने सरकार गिराई। राज्यपाल सरकार को अस्थिर नहीं कर सकते। लेकिन सरकार गिराने के लिए राज्यपाल का इस्तेमाल किया गया। राज्यपाल विधायक दल के साथ संवाद कर सकते है, लेकिन व्यक्तिगत किसी के साथ नहीं। राज्यपाल पार्टी के अंदरूनी झगड़ों पर ध्यान नहीं दे सकते. राज्यपाल कपिल सिब्बल ने अपनी दलील में कहा कि आप अब किसी को मुख्यमंत्री नहीं कह सकते, राज्यपाल ने शिंदे के साथ भी ऐसा ही किया। कपिल सिब्बल ने कहा कि इस न्यायालय के इतिहास में यह एक ऐसा अवसर है जब लोकतंत्र के भाग्य का फैसला होगा। मुझे यकीन है कि अगर यह अदालत हस्तक्षेप नहीं करती है तो हम, हमारा लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा। क्योंकि इस तरह किसी भी सरकार को टिकने नहीं दिया जाएगा। इसी आशा के साथ मैं अपना तर्क समाप्त करता हूं और आपसे राज्यपाल के आदेश को रद्द करने का अनुरोध करता हूं।