By अनन्या मिश्रा | Jul 31, 2025
आज ही के दिन यानी की 31 जुलाई को उधम सिंह को फांसी दी गई थी। उधम सिंह ने जलियांवाला बाग में हुए नरसंहार का बदला लेने के लिए अपनी जिंदगी को दांव पर लगा दिया था। भारत के इस वीर सपूत ने देश की आजादी के लिए अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति में अहम भूमिका निभाई थी। यह जलियांवाला बाग का बदला लेने के लिए भारत से ब्रिटेन गए थे। उधम सिंह देश की आजादी की लड़ाई में भगत सिंह के योगदान से काफी ज्यादा प्रेरित थे। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर उधम सिंह के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
पंजाब के संगरूर में 26 दिसंबर 1899 उधम सिंह का जन्म हुआ था। इनके बचपन का नाम शेर सिंह था। उधम सिंह ने छोटी उम्र में ही अपने माता-पिता और भाई को खो दिया था। जिसके बाद इनकी परवरिश अमृतसर के खालसा अनाथालय में हुई। वहीं 1919 में हुए जलियांवाला बाग हत्याकांड ने उधम सिंह को अंदर तक झझकोर दिया था। 13 अप्रैल को ब्रिगेडियर जनरल डायर के आदेश पर निहत्थे लोगों पर चली गोलियों ने उधम सिंह के दिल में बदले की भावना पैदा कर दी थी।
उधम सिंह ने भगत सिंह से प्रेरित होकर क्रांतिकारी आंदोलन में कदम रखा था। साल 1927 में वह हथियार और देशद्रोही साहित्य के आरोप में जेल गए। जहां पर भगत सिंह से उनकी मुलाकात हुई और उधम सिंह के इरादे अधिक मजबूत हुए। जेल से रिहा होने के बाद उधम सिंह ने सीधे लंदन की राह पकड़ी और वहां पर जलियांवाला बाग के लिए जिम्मेदार माइकल ओ डायर को सबक सिखाने की ठानी।
वहीं 13 मार्च 1940 को लंदन के कैक्सटोन हॉल में उधम सिंह ने एक किताब में छिपाई रिवॉल्वर से जनरल ओ डायर को दो गोलियां मारकर मौत के घाट उतार दिया। उधम सिंह द्वारा लिया गया यह बदला जलियांवाला बाग हत्याकांड के घाव का प्रतीक था।
इसके बाद उधम सिंह पर मुकदमा चला, तो उन्होंने गर्व से कहा कि ऐसा उन्होंने अपने देश के लिए किया। वहीं 31 जुलाई 1940 को लंदन की पेंटनविले जेल में उधम सिंह को फांसी दी गई।