By अनुराग गुप्ता | Feb 14, 2022
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में दूसरे चरण की 55 सीटों के लिए चुनाव हो रहा है। ऐसे में सभी की निगाहें रामपुर पर है क्योंकि उत्तर प्रदेश में रामपुर की पहचान समाजवादी पार्टी (सपा) के कद्दावर नेता आजम खान से होती है और वो इस बार का विधानसभा चुनाव जेल में रहकर लड़ रहे हैं। 9 बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचने वाले आजम खान जेल में रहते हुए क्या अपना किला बचा पाएंगे ?
साल 1952 में अस्तित्व में आने वाले रामपुर विधानसभा सीट पर पहली बार कांग्रेस उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी। इसी प्रकार साल 1957 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार असलम ख़ान ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद 1962 के चुनावों में कांग्रेस प्रत्याशी किश्वर आरा बेगम ने, 1967 में स्वतंत्र पार्टी उम्मीदवार ए.ए. ख़ान ने, 1969 में कांग्रेस उम्मीदवार सय्यत मुर्तज़ा अली ख़ान ने, 1972 में कांग्रेस उम्मीदवार मंज़ूर अली ख़ान ने चुनाव जीता।
आजम खान की एंट्री साल 1980 में पहली बार जनता पार्टी सेकुलर के जरिए हुई और उन्होंने चुनाव भी जीता। इसके बाद आज़म ख़ान ने अलग-अलग पार्टियों की टिकट पर चुनाव लड़ा और जीता भी। साल 1985 में आज़म ख़ान ने लोकदल, 1989 में जनता दल, 1991 में जनता पार्टी और फिर 1993 में समाजवादी पार्टी की टिकट पर चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। हालांकि 1996 के चुनाव में आज़म ख़ान को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा था।
साल 2002 से रामपुर सीट पर आज़म ख़ान का कब्जा है लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव के चलते उन्होंने यह सीट खाली कर दी और यहां से उनकी पत्नी विधायक बनी थीं। इस बार के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने फिर से आज़म ख़ान पर भरोसा जताते हुए उनपर दांव लगाया है।
ऐसे में सभी की निगाहें रामपुर सीट पर है। इस बार आज़म ख़ान के खिलाफ कई दिग्गज नेता मैदान में उतरे हैं। भाजपा ने आकाश सक्सेना को तो बसपा ने सदाकत हुसैन को उनके खिलाफ उतारा है।