वसुंधरा ने पार्टी को मनाया, किरोड़ी लाल मीणा को मिल सकती है भाजपा की कमान

By नीरज कुमार दुबे | Jun 22, 2018

जयपुर। राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष को लेकर चल रहा विवाद सुलझने वाला है और आखिरकार पार्टी आलाकमान मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की मांग के आगे झुकता नजर आ रहा है। सूत्रों के मुताबिक हाल ही में पार्टी में लौटे किरोणी लाल मीणा नये प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बनाये जा सकते हैं। पार्टी में उनकी वापसी के लिए मुख्यमंत्री ने काफी प्रयास किये थे और इस वर्ष राज्यसभा चुनावों के समय मीणा ने अपनी पार्टी का भाजपा में विलय कर दिया था।

कौन हैं किरोड़ी लाल मीणा

 

मीणा पूर्व में भी भाजपा में रहे हैं और वसंधुरा की पहली सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं। वर्ष 2008 में उन्होंने भाजपा छोड़कर अपनी अलग पार्टी नेशनल पीपल पार्टी बना ली थी और तब भाजपा को विधानसभा चुनावों और लोकसभा चुनावों में बहुत नुकसान हुआ था। बाद में मीणा की पार्टी ने गहलोत सरकार को समर्थन दिया और मीणा की पत्नी गोलमा देवी राजस्थान सरकार में राज्यमंत्री भी रहीं।

 

राजस्थान के जातिगत समीकरण

 

राजस्थान की राजनीति में जाटों के बाद मीणा समुदाय का ही बाहुल्य है। माना जाता है कि जाटों की आबादी का प्रतिशत 12 और मीणा समुदाय के लोगों का भी 12 प्रतिशत के ही आसपास है। किरोणी लाल मीणा का अपनी बिरादरी में जबरदस्त प्रभाव है। वसुंधरा मानती हैं कि मीणा के हाथ में पार्टी की कमान जाने से इस वर्ग के लोगों का बड़ी संख्या में भाजपा के साथ जुड़ाव तो होगा ही साथ ही यदि कांग्रेस सचिन पायलट को मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनाती है तो कांग्रेस को आसानी से टक्कर दी जा सकती है।

 

इसके पीछे तर्क यह है कि सचिन पायलट गुर्जर बिरादरी से हैं जिसका आबादी प्रतिशत राजस्थान में 4 से 5 प्रतिशत है और गुर्जरों की जाटों और मीणा से कभी नहीं बनती। कांग्रेस के पास इस समय कोई बड़ा जाट नेता भी नहीं है इसलिए भाजपा चाहती है कि जाट, मीणा यदि उसके साथ आ गये तो पहले से ही भाजपा के साथ मौजूद ब्राह्मण, जैन, वैश्य आदि वोट बैंक के सहारे पार्टी आसानी से सत्ता में वापसी कर सकती है।


चलती आखिर वसुंधरा की ही है

 

भाजपा आलाकमान चाहे कितना भी मजबूत हो लेकिन राजस्थान में उसे वसुंधरा राजे की बात माननी ही पड़ती है। इसका उदाहरण यही है कि दो महीने के लगभग होने वाले हैं अशोक परनामी को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिये हुए लेकिन अब तक उनकी जगह नये अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हो पायी है। इस पद के लिए कभी केंद्रीय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल का नाम चला तो कभी गजेन्द्र सिंह शेखावत का लेकिन होगा वही जो वसुंधरा चाहेंगी।

 

वसुंधरा इससे पहले भी तब भाजपा आलाकमान को अपनी ताकत का अहसास करा चुकी हैं जब वह विधानसभा में विपक्ष की नेता थीं। तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने वसुंधरा से नेता विपक्ष पद से इस्तीफा तो ले लिया था लेकिन उनकी जगह कोई दूसरी नियुक्ति नहीं कर पाये। अंततः यह पद खाली रहा और आखिरकार वसुंधरा राजे को ही इस पद पर नियुक्त करना पड़ा। 

 

होने वाला है दंगल

 

राजस्थान में इस साल नवंबर में राज्य विधानसभा के चुनाव होने हैं और उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया अगस्त से शुरू होनी है। इसलिए अब भाजपा की ओर से जल्द ही नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त कर दिये जाने की संभावना है। पार्टी तय कर चुकी है कि विधानसभा चुनावों में मुख्यमंत्री उम्मीदवार वसुंधरा राजे ही रहेंगी हालांकि हालिया विधानसभा और लोकसभा उपचुनावों में प्रदेश में पार्टी की करारी हार के बाद नेतृत्व परिवर्तन की मांग उठी थी लेकिन भाजपा आलाकमान जानता है कि यह सब इतना आसान नहीं है।

 

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