Vikram Sarabhai Birth Anniversary: विक्रम साराभाई ने बदली थी भारत के स्पेस सेक्टर की तस्वीर, ऐसे पूरी की आसमां को मुठ्ठी में भरने की चाह

By अनन्या मिश्रा | Aug 12, 2023

हमारे देश में जब भी विक्रम साराभाई का नाम लिया जाता है तो उन्हें भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रमों के जनक के तौर पर याद किया जाता है। विक्रम साराभाई का एक वैज्ञानिक के तौर पर भी योगदान याद किया जाता है। साराभाई की वैज्ञानिक और प्रशासनिक क्षमता बेहद अद्भुत थी। उन्होंने अपने जीवन में बहुत सारे विषयों पर शोध पत्र लिखे थे। इसके अलावा विक्रम साराभाई ने कई संस्थानों की स्थापना की। वह न सिर्फ एक वैज्ञानिक के तौर पर बल्कि भौतिकविद और खगोलविद के तौर पर भी जाने जाते थे। आज ही के दिन यानी की 12 अगस्त को विक्रम साराभाई का जन्म हुआ था। आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर विक्रम साराभाई के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...


जन्म और शिक्षा

बता दें कि गुजरात के अहमदाबाद में 12 अगस्त 1919 को विक्रम साराभाई का जन्म हुआ था। उनके पिता का नाम अम्बालाल साराभाई और माता का नाम सरला साराभाई था। 12वीं की पढ़ाई करने के बाद साल 1937 में वह आगे की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड चले गए। इंग्लैंड के कैम्ब्रिज से उन्होंने ट्राइपोज की डिग्री हासिल की। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान वह भारत लौट आए। इसके बाद वह सीवी रमन की देखरेख में अनुसंधान करने लगे।

इसे भी पढ़ें: Khudiram Bose Death Anniversary: भारत के सबसे युवा बलिदानी थे खुदीराम बोस

अनुसंधान में योगदान 

विक्रम साराभाई ने 86 वैज्ञानिक शोधपत्र लिखे थे। इसके अलावा उन्होंने 40 संस्थानों की स्थापना की। यह विज्ञान, इंजीनियरिंग, तकनीकी के अलावा संस्कृति से संबंधित थे। इसके अलावा विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए विक्रम साराभाई की मृत्यु के बाद पद्मभूषण से भी सम्मानित किया गया था। इसके साथ ही विक्रम साराभाई के नाम पर कई संस्थान खोले गए। चंद्रयान के अभियान में जो लैंडर भेजा गया था, उसे भी विक्रम लैंडर कहा गया।


विक्रम साराभाई के प्रमुख शोधकार्य

विक्रम साराभाई द्वारा पहला अनुसंधान लेख टाइम डिस्ट्रीब्यूशन ऑफ कॉस्मिक रेज नाम से प्रकाशित किया गया। इसी दौरान उन्होंने उन्होंने सीवी रमन के निर्देशन में साल 1940 से 45 के बीच कॉस्मिक रेंज पर शोध कार्य किए। उनके द्वारा उष्णकटिबंधीय अक्षांश में कॉस्मिक रे का शोधकार्य पूरा किया गया। जिसके बाद उन्हें डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया था। जब विक्रम साराभाई दोबारा भारत लौटे तो उन्होंने कॉस्मिक विकिरणों पर अपना अनुसंधान शुरू किया। उनके द्वारा सौर भूमध्यरेखीय संबंध, अंतरभूमंडलीय अंतरिक्ष और भू चुंबकत्व पर शोधकार्य भी किए गए। बाद में उनके द्वारा किए गए शोधों को सैद्धांतिक भौतिकी के साथ ही रेडियो भौतिकी के दायरे में लाने का काम किया गया। 


बेहद परिश्रमी थे विक्रम साराभाई

विक्रम साराभाई ने भारत की पहली बाजार शोध संस्था ऑपरेशन रिसर्च ग्रुप की स्थापना में अपना योगदान दिया था। उनके साथ काम करने वाले अन्य वैज्ञानिक उन्हें बहुत परिश्रमी मानते थे। फेमस फ्रांसीसी वैज्ञानिक पियरे विक्रम सारा भाई को बढ़िया स्वप्न दृष्टा कहा करते थे। स्वप्न दृष्टा यानी कि जिसमें अपने सपनों को पूरा किए जाने की असाधारण क्षमता और प्रतिभा थी।


अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम

होमी जहांगीर भाभा को विक्रम साराभाई ने परमाणु ऊर्जा संयंत्र पर काम करने के लिए प्रोत्साहित किया था। इसके अलावा उन्होंने भारत सरकार को इस जरूरी कदम को उठाने के लिए भी मनाने का काम किया था। भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की परिकल्पना विक्रम साराभाई की देन है। उनके अथक प्रयासों से ही इसरो की स्थापना हो सकी थी।

प्रमुख खबरें

ईरान में हत्या से ठीक पहले हमास प्रमुख हानियेह से मिले थे गडकरी, मंत्री का चौंकाने वाला बयान

सुशासन दिवस पर अटल जी को शीर्ष नेतृत्व का नमन, राष्ट्रपति-पीएम ने दी श्रद्धांजलि

Karnataka: चित्रदुर्ग में लॉरी से टक्कर के बाद बस में लगी आग, 12 लोगों की मौत, CM और Dy CM ने जताया दुख

American citizens से 1.5 करोड़ डॉलर की ठगी के सिलसिले में व्यक्ति गिरफ्तार