निर्माण के देवता विश्वकर्मा जी की जयंती पर इस तरह करें पूजन

By कमल सिंघी | Sep 17, 2018

भोपाल। युवा पीढ़ी द्वारा भगवान विश्वकर्मा को इंजीनियर भी कहा जाता है। ऐसा हो भी क्यों ना आखिर हमारे वेदों और पुराणों में इनका वर्णन ही कुछ ऐसा है। दरअसल, इन्हें सुंदर भवन बनाने वाले के रूप में जाना जाता है। इन्होंने सिर्फ भवन ही नहीं बनाए, बल्कि अनेक शस्त्रों का भी निर्माण किया जो हमें देवताओं के हाथों में देखने मिलते हैं। भगवान श्रीकृष्ण की द्वारकापुरी भी इनके बिना पूरी नहीं होती, इसके अतिरिक्त भी जितने भव्य भवनों और मंदिरों का उल्लेख शास्त्रों में मिलता है, अधिकांश का निर्माण भगवान विश्वकर्मा के द्वारा किया गया है। विश्वकर्मा जयंती इस वर्ष 17 सितंबर को मनाई जा रही है, जिसके उपलक्ष्य में यहां हम आपको इनकी महिमा के बारे में कुछ बताने जा रहे हैं...

 

सूर्य से निर्धारित होती है तिथि

 

भगवान विश्वकर्मा का जन्म अश्विनी कृष्णपक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है वहीं कुछ भाद्रपद की अंतिम तिथि को इनका पूजन करना लाभकारी, फलदायी व शुभ मानते हैं। विद्वान सूर्य के पारगमन के पश्चात ही विश्वकर्मा पूजा की तिथि निर्धारित करते हैं।

 

निर्माण के देवता

 

निर्माण के इस देवता का वास हमें अनेक स्थानों पर मिलता है। फिर चाहे वह भगवान शिव का त्रिशूल ही क्यों ना हो। पुष्पक विमान, सोने की लंका भी इन्होंने ही बनायी थी, यही नहीं पांडवों के लिए इंद्रप्रस्थ नगरी का निर्माणकर्ता भी इन्हें ही माना जाता है।

 

देते हैं आशीर्वाद

 

कहा जाता है कि विश्वकर्मा जयंती के दिन यदि भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाए तो समस्त कष्टों का निदान होता है। वे अपने भक्तों की पुकार अवश्य सुनते हैं और उन्हें अच्छे से अच्छा निर्माण कार्य करने की प्रेरणा देते हैं। फिर चाहे वह कोई मकान बनाना हो या फिर कोई अन्य वस्तु। आमतौर पर हर घर में भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है।

 

परंपरागत भव्यता के अलौकिक दर्शन

 

बिहार, असम, पश्चिम बंगाल सहित पूरे देश में सृजन के देवता को पूजा जाता है। जिन स्थानों पर कारीगर या भवन निर्माण कर्ताओं के निवास होते हैं वहां इनका भी मंदिर देखने मिलता है। कहीं-कहीं तो जयंती पर पूजा की भव्यता और परंपराएं अदभुत रुप में ही नजर आती हैं। इसकी अलौकिकता सबसे अलग होती है।

 

इसलिए करते हैं पूजन

 

ऐसा भी कहा जाता है कि नवीन निर्माण कार्य के प्रारंभ से पूर्व यदि इनका स्मरण पूजन किया जाए तो कार्य में सफलता अवश्य ही मिलती है। यही वजह है कि कारीगर अक्सर ही भगवान विश्वकर्मा का पूजन नवीन कार्य प्रारंभ करने से पूर्व करते हैं।

 

-कमल सिंघी

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