Vocal For Local बन गया जन आंदोलन, हथकरघा दिवस पर PM Modi ने बताया

By रितिका कमठान | Aug 07, 2023

नयी दिल्ली। प्रगति मैदान के भारत मंडपम में सात अगस्त को नौवां राष्ट्रीय हथकरघा दिवस धूमधाम से मनाया गया है। इस दिवस को मनाए जाने के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपना संबोधन दिया है। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘भारतीय वस्त्र एवं शिल्प कोष’ का ई पोर्टल भी लॉन्च किया है, जिसे राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान ने बनाया है। उन्होंने कई कारिगरों, हथकरघा और खादी बुनकरों से बात भी की।

इस दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि कुछ लोग भारत को एक विकसित देश बनाने की राह में बाधाएं डालने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि जनता अब भ्रष्टाचार तथा तुष्टिकरण जैसी बुराइयों को भारत से निकालने की मांग कर रही है। राष्ट्रीय हथकरघा दिवस समारोह में भारत मंडप में प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वदेशी वस्तुओं को लेकर देश में एक नई क्रांति आई है। उन्होंने देशवासियों से आने वाले त्योहारों में स्थानीय उत्पादों को और बढ़ावा देने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में ‘नव-मध्यम वर्ग’ का उदय हो रहा है, जो कपड़ा कंपनियों को बड़ा अवसर प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि कुछ दिनों पहले ही भव्य भारत मंडपम का लोकार्पण हुआ है। भारत के हथकरघा उद्योग की इसमें अहम भूमिका भी है।

विपक्षी दलों पर साधा निशाना
विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश अब एक स्वर में भ्रष्टाचार, वंशवाद की राजनीति और तुष्टिकरण जैसी बुराइयों से कह रहा है ‘‘भारत छोड़ो’’। देश में खादी की बढ़ती लोकप्रियता पर मोदी ने कहा कि इसकी बिक्री अब बढ़कर 1.30 लाख करोड़ रुपये हो गई है जो 2014 से पहले करीब 25,000-30,000 करोड़ रुपये थी। उन्होंने कहा, ‘‘ हमारी कोशिश है कि भारत के हथकरघा, खादी, कपड़ा क्षेत्र को विश्व गुरु बनाया जाए।’’  

प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘एक जिला, एक उत्पाद’ पहल के माध्यम से विभिन्न जिलों में बने अनूठे उत्पादों को बढ़ावा मिल रहा है। गुजरात के ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ की तरह पूरे देश में ‘एकता मॉल’ स्थापित किए जा रहे हैं। मोदी ने कपड़ा व फैशन उद्योग से अपना दायरा बढ़ाने और भारत को दुनिया की तीन शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में ले जाने के लिए महत्वपूर्ण रूप से योगदान देने का भी आह्वान किया।

उन्होंने कहा कि देश के लिए ये दिन बेहद अहम है क्योंकि आज के दिन ही स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत हुई थी। स्वदेशी का भाव सिर्फ विदेशी कपड़ों का बहिष्कार करने को लेकर नहीं था बल्कि आर्थिक आजादी से भी संबंधित था। इस आंदोलन के जरिए ही देश की जनता बुनकरों के साथ जुड़ सकी थी। आज भी देश जुड़ रहा है। भारत वोकल फॉर लोकल तक ही सीमीत नहीं है। इसे ग्लोबल प्लेटफॉर्म भी मिला है। खादी जिसका मन की बात में जिक्र था अब वो दुनिया भर में पहुंच गया है। आजादी के बाद वस्त्र उद्योग पर उतना ध्यान नहीं दिया गया है जितना दिया जाना चाहिए था। हालत को खादी की ये थी कि वो मरणासन्न था। खादी का उपयोग करने वालों को हीन भावना से देखा जाता था मगर वर्ष 2014 के बाद केंद्र सरकार ने इस सोच को बदला है। 

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