इस सप्ताह के व्रत और त्योहारों को जानिये और अपना भाग्य चमकाइए

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Mar 11, 2019

इस सप्ताह के व्रत और त्योहारों में स्कन्द षष्ठी अथवा कन्द षष्ठी, कार्तिकाई दीपम, अष्टाह्निका विधान प्रारम्भ, रोहिणी व्रत, मासिक दुर्गाष्टमी, मीन संक्रान्ति और आमलकी एकादशी प्रमुख हैं। आइए जानते हैं इन व्रत की तिथियों और पूजा विधान के बारे में।

 

स्कन्द षष्ठी और कन्द षष्ठी- 12 मार्च मंगलवार

 

स्कन्द देव भगवान शिव शंकर और माता पार्वती के पुत्र हैं। भगवान श्रीगणेश के छोटे भाई स्कन्द देव तमिल हिन्दुओं के बीच काफी लोकप्रिय हैं। भगवान स्कन्द को सुब्रहमण्यम, मुरुगन और कार्तिकेय के नाम से भी जाना जाता है। भगवान स्कन्द्र को समर्पित षष्ठी तिथि के दिन व्रत रखकर भगवान की विधि विधान से पूजा की जाती है।

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कार्तिकाई दीपम- 12 मार्च मंगलवार

 

कार्तिकाई दीपम तमिल हिन्दुओं का प्रसिद्ध त्योहार है। इस त्योहार पर तमिल क्षेत्रों में स्थित घरों और गलियों में जगह-जगह तेल के दीपक जलाये जाते हैं। खास बात यह रहती है कि सभी दीप पंक्तियों में जल रहे होते हैं। यह पर्व भगवान शंकर को समर्पित है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने भगवान विष्णु और ब्रह्माजी के समक्ष अपनी श्रेष्ठता साबित करने के लिए खुद को प्रकाश की ज्योति में तब्दील कर लिया था।

 

अष्टाह्निका विधान प्रारम्भ- 13 मार्च बुधवार

 

अष्टाह्निका पर्व पर सभी दिगंबर जैन मंदिरों में विधान और पूजन होता है। जैन धर्मावलंबी नियम, संयम, व्रत, उपवास रखते हैं। इस दौरान रोजाना विधान, अभिषेक, शांतिधारा होती है। विश्वशांति महायज्ञ के साथ 1008 सिद्धचक्र महामंडल विधान के साथ नौ दिवसीय कार्यक्रम का समापन होता है।

 

रोहिणी व्रत- 13 मार्च बुधवार

 

जैन समुदाय के लिए रोहिणी व्रत का विशेष महत्व माना गया है। रोहिणी व्रत की विशेष बात यह है कि यह व्रत वर्ष में एक बार नहीं बल्कि हर महीने में आता है।

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मासिक दुर्गाष्टमी- 14 मार्च गुरुवार

 

दुर्गाष्टमी के दिन श्रद्धालु माता दुर्गा का पूजन करते हैं और दिन भर उपवास रखते हैं। दुर्गाष्टमी को मासिक दुर्गाष्टमी या मास दुर्गाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। यह हर महीने की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनायी जाती है।


मीन संक्रान्ति- 15 मार्च शुक्रवार

 

हिन्दू पंचांग के अनुसार मीन संक्रान्ति 12वें माह में पड़ती है। यह वर्ष भर के पवित्र त्योहारों में से एक है। इस दिन सूर्य मीन राशि में प्रवेश करता है जिसके कारण इसे मीन संक्रान्ति कहा जाता है।

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आमलकी एकादशी- 17 मार्च रविवार

 

आमलकी यानी आंवला को शास्त्रों में उसी प्रकार श्रेष्ठ स्थान प्राप्त है जैसा नदियों में गंगा को प्राप्त है और देवों में भगवान श्रीविष्णु को। भगवान श्रीविष्णुजी ने जब सृष्टि की रचना के लिए ब्रह्मा को जन्म दिया उसी समय उन्होंने आंवले के वृक्ष को जन्म दिया। आंवले को भगवान श्रीविष्णु ने आदि वृक्ष के रूप में प्रतिष्ठित किया है। इसके हर अंग में ईश्वर का स्थान माना गया है। भगवान विष्णु ने कहा है जो प्राणी स्वर्ग और मोक्ष प्राप्ति की कामना रखते हैं उनके लिए फाल्गुन शुक्ल पक्ष में जो पुष्य नक्षत्र में एकादशी आती है उस एकादशी का व्रत अत्यंत श्रेष्ठ है। इस एकादशी को आमलकी एकादशी के नाम से जाना जाता है।

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