Chai Par Sameeksha: ED-CBI पर विपक्ष के आरोपों में कितना दम है? संसद चलेगी या हंगामा चलेगा?

By अंकित सिंह | Mar 20, 2023

प्रभासाक्षी के खास साप्ताहिक कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में इस सप्ताह भी हमने राजनीतिक विषयों पर चर्चा की। सबसे पहला सवाल प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे से हमने संसद में जारी गतिरोध को लेकर ही पूछा। इसको लेकर नीरज दुबे ने साफ तौर पर कहा कि हम सिर्फ इसी बजट सत्र की बात क्यों करें, इससे पहले भी हमने कई सत्रों को देखा है। संसद में जबरदस्त हंगामा हुआ है और शुरुआती दिनों में कोई कामकाज नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि 2019 के चुनाव के बाद जो जनादेश आई है, उसे विपक्ष अब तक स्वीकार नहीं कर पाया है। उन्होंने कहा कि सब कुछ सामान्य चलता रहता है, लेकिन जैसे ही संसद सत्र शुरू होने वाला रहता है, अचानक एक-दो दिन पहले कोई बड़ा मुद्दा आ जाता है। इस मुद्दे को लेकर संसद की कार्यवाही नहीं हो पाती। उन्होंने कहा कि ज्यादातर विदेशी मामलों को लेकर हमारी संसद की कार्यवाही ठप होती रही है। ऐसे में इस बात पर संदेह जाता है कि कोई ना कोई बाहरी ताकत ऐसी है जो हमारे देश को आगे नहीं बढ़ने देना चाहती।


नीरज दुबे ने साफ तौर पर कहा कि संसदीय व्यवधानों के खिलाफ आंदोलन खड़ा करने का वक्त आ गया है। उन्होंने कहा कि सांसद इस बात को लेकर तैयार नहीं दिख रहे हैं कि यह संसद नियमों से चले। उन्होंने कहा कि मैं कांग्रेस के नेताओं के ट्विटर हैंडल और सोशल मीडिया साइट्स को देख रहा हूं तो संसद को लेकर अलग-अलग तस्वीरें साझा की जा रही है जिसमें संसद में ताला लगा हुआ है या फिर माइक बंद है। लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है और दोनों ही सदनों के अध्यक्ष को इसको लेकर कार्यवाही करनी चाहिए। उन्होंने साफ करके सवाल पूछा कि क्या यह लोकतंत्र के मंदिर की मर्यादा का हनन नहीं है? हंगामा करने वाले नेता सिर्फ टैक्सपेयर्स की पैसे को बर्बाद नहीं कर रहे बल्कि देश को भी पीछे ले जा रहे हैं और समय को भी बर्बाद कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हंगामे की वजह से उन सांसदों को बोलने का मौका नहीं मिल पाता है जो पहली बार चुनकर आए हैं और अपने क्षेत्र का मुद्दा उठाना चाहते हैं। 

 

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अदानी मुद्दे पर विपक्ष की जेपीसी की मांग पर नीरज दुबे ने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट ने इस को लेकर एक कमेटी का गठन कर दिया है तो फिर जेपीसी का कोई औचित्य ही नहीं रह जाता। इसके साथ ही नीरज दुबे ने उम्मीद जताई कि आगामी सप्ताह में संसद चलेगा क्योंकि बजट पास नहीं हुआ है। 31 मार्च से पहले बजट को पास करना होता है। यह संवैधानिक बाध्यता है। उन्होंने यह भी कहा कि हो सकता है राहुल गांधी को लोकसभा में उनके बात रखने का मौका मिले। 


जांच एजेंसियों का दुरुपयोग 

विपक्ष द्वारा केंद्र सरकार पर जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का भी आरोप लगाया जा रहा है। इसको लेकर भी हमें नीरज दुबे से सवाल पूछा। नीरज दुबे ने कहा कि ईडी के आंकड़ों के मुताबिक नेताओं से जुड़े मामले 3% से भी कम है। इसमें पूर्व विधायक, पूर्व सांसद, पूर्व मंत्री शामिल हैं। इसका मतलब साफ है कि 97% लोग अलग है। इससे साफ जाहिर हो गया ईडी सिर्फ नेताओं को ही निशाना नहीं बना रही। ईडी ने जो मनी लॉन्ड्रिंग के केस में कार्यवाही की है उसमें 96% लोगों के खिलाफ सजा हुई है। इसका मतलब साफ है कि कोर्ट के सामने पर्याप्त सबूत रखे गए हैं। इसके साथ ही नीरज दुबे ने इस दौरान अमित शाह के बयान का भी जिक्र किया। बयान में अमित शाह ने कहा था कि अब तक जितने भी मामले चल रहे हैं उनमें से सिर्फ 2 मामले ही इस सरकार में दर्ज हैं, बाकी के सभी मामले पहले की सरकारों में दर्ज किए गए थे। नीरज दुबे ने साफ तौर पर कहा कि आरोप गलत है ईडी और सीबीआई का दुरुपयोग किया जा रहा है। 


विपक्षी एकता

हाल में ही अखिलेश यादव और ममता बनर्जी की मुलाकात हुई थी। दोनों ने कांग्रेस के बिना बंधन को लेकर चर्चा की जिसमें नवीन पटनायक, एससीआर जैसे दल शामिल हो सकते हैं। इसको लेकर हमने सवाल किया। नीरज दुबे ने साफ तौर पर कहा कि कहीं ना कहीं कांग्रेस के लिए अच्छी खबर नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जो भी क्षेत्रीय दल उभरे हैं वह कांग्रेस के खिलाफ लड़ाई लड़ कर उभरे हैं। ऐसे में वह कांग्रेस को किसी भी प्रकार का संजीवनी नहीं देना चाहते। यही कारण है कि लगभग ज्यादातर क्षेत्रीय दल कांग्रेस के खिलाफ भी रहना चाहते हैं। 

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