26 years of BIMSTEC: बिम्सटेक क्या है और भारत के लिए क्यों इतना महत्वपूर्ण है?

By अभिनय आकाश | Jun 06, 2023

नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्पकमल दाहाल प्रचंड ने बिम्सटेक क्षेत्र के करीब 1.6 अरब लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए क्षेत्रीय सहयोग के महत्व पर जोर दिया है। बहु-क्षेत्रीय व तकनीकी और आर्थिक सहयोग (बिम्सटेक) के गठन के 26 वर्ष पूरे होने के मौके पर प्रचंड ने यह बयान दिया। 1997 में छह जून को बैंकॉक में भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका एवं थाईलैंड ने बिम्सटेक नामक आर्थिक सहयोग समूह का गठन किया गया था। ऐसे में आइए जानते हैं कि आखिर बिम्सटेक क्या है, भारत के लिए ये इतना जरूरी क्यों है और समूह के प्राथमिकता वाले क्षेत्र कौन से हैं?

इसे भी पढ़ें: World Bank के अध्यक्ष बंगा ने अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस से मुलाकात की

बिम्सटेक क्या है?

बिम्सटेक यानी बे ऑफ बंगाल इनिसिएटिव फॉर मल्टीसेक्टोरल टेक्निकल एंड इकनोमिक कॉरपोरेशन दक्षिण एशिया दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों का एक अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग संगठन है। दो लैंड-लॉक राज्य नेपाल और भूटान भी सात सदस्य-समूह का हिस्सा हैं। भारत, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, श्रीलंका जैसे पांच दक्षिण एशिया और दो दक्षिण पूर्व एशिया म्यांमार और थाईलैंड से हैं। बिम्सटेक की स्थापना 6 जून 1997 को बैंकाक में हुई थी।

इस समूहीकरण का संख्याओं में क्या अर्थ है?

आर्थिक और तकनीकी सहयोग के लिए बनाए गए संगठन में भारत के अलावा नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका, म्यांमार, भूटान और थाईलैंड शामिल है। दुनिया की आबादी का 22% देशों में ही रहती है। साथी देशों की कुल जीडीपी 2.8 ट्रिलियन डॉलर है।  देशों का ये संगठन मूल रूप से एक सहयोगात्मक संगठन है जो व्यापार ऊर्जा पर्यटन मत्स्य पालन परिवहन और प्रौद्योगिकी को आधार बनाकर शुरू किया गया था। लेकिन बाद में इसे कृषि गरीबी उन्मूलन आतंकवाद संस्कृति जनसंपर्क सार्वजनिक स्वास्थ्य पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन को भी शामिल किया गया बिम्सटेक का मुख्यालय ढाका में बनाया गया है। 

इसे भी पढ़ें: China-Pakistan के लिए बहुत बड़ा खतरा है India-America के गहरे होते रक्षा संबंध

भारत की क्या दिलचस्पी है?

बिम्सटेक दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया के बीच एक सेतु है। समूह में दो दक्षिण पूर्व एशियाई देशों, म्यांमार और थाईलैंड का पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए भारत की महत्वाकांक्षी कनेक्टिविटी योजनाओं के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है। म्यांमार एकमात्र दक्षिणपूर्व एशियाई देश है जिसके साथ भारत की भूमि सीमा लगती है। भारत-म्यांमार-थाईलैंड राजमार्ग उन प्रमुख परियोजनाओं में से एक है जो सरकार की एक्ट ईस्ट (पहले लुक ईस्ट) नीति में बड़े पैमाने पर शामिल है। दक्षेस के सुचारु संचालन के आड़े आने वाले भारत-पाकिस्तान के टकराव के साथ, बिम्सटेक जैसे समूह एक अलग तरीके से क्षेत्रीय सहयोग की अवधारणा को आगे बढ़ा सकते हैं। भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी को सफल बनाना है तो बिम्सटेक को भी सफल बनाना होगा। बेय ऑफ बंगाल के जितने भी तटीय देश हैं उनके साथ मेल जोल बढ़ेगा। भारत का लगभग 50 प्रतिशत ट्रेड ईस्ट को जाता है। एशिया ही ऐसी जगह है जहां पर तरक्की हो रही है और ग्रोथ ज्यादा है। 

बिम्सटेक के संस्थापक सिद्धांत क्या हैं?

बिम्सटेक के भीतर सहयोग संप्रभु समानता, क्षेत्रीय अखंडता, राजनीतिक स्वतंत्रता, आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और पारस्परिक लाभ के सिद्धांत के सम्मान पर आधारित है। बिम्सटेक के भीतर यह सहयोग सदस्य देशों को शामिल करने वाले द्विपक्षीय, क्षेत्रीय या बहुपक्षीय सहयोग के लिए एक अतिरिक्त होगा, और इसका विकल्प नहीं होगा।

इसे भी पढ़ें: Nuclear Weapon: खत्म हो गए एटमी नियम, अब कौन दबाएगा न्यूक्लियर बटन, जानें कैसे दुनिया को खत्म कर सकती हैं ये दो महाशक्तियां

बिम्सटेक समूह के प्राथमिकता वाले क्षेत्र कौन से हैं?

बिम्सटेक के सात सदस्यों ने अब तक 14 प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की पहचान की है। प्रत्येक देश स्वैच्छिक तरीके से एक या अधिक क्षेत्रों का नेतृत्व करता है। भारत आतंकवाद का मुकाबला और अंतरराष्ट्रीय अपराध, दूरसंचार और परिवहन जैसे मुद्दों का नेतृत्व करता है। लेकिन एक विचार यह रहा है कि प्रतिबद्धताओं के प्रसार ने पिछले दो दशकों में ठोस परिणाम नहीं दिए हैं। 

प्रमुख खबरें

Jagannath Rath Yatra Row | परंपरा से खिलवाड़! पुरी जगन्नाथ मंदिर ने PM मोदी का खींचा ध्यान, बेवक्त रथ यात्रा रोकने की अपील

गुजरात की GIFT City में शराबबंदी खत्म, सरकार ने दी पीने और पिलाने की अनुमति, परमिट की जरूरत खत्म

Delhi Dwarka Murder Case | दिल्ली के द्वारका में महिला की गला घोंटकर हत्या, लापता पति के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज

जेफ्री एप्स्टीन फाइल्स जारी, भारी रेडैक्शन और गायब दस्तावेजों पर विवाद