क्या होती है भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी? आखिर इसकी चर्चा इस बार इतनी क्यों हैं?

By अंकित सिंह | Oct 11, 2021

हाल में ही भारतीय जनता पार्टी ने अपने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा की थी। इसके बाद से लगातार यह सुर्खियों में बना हुआ है। सबसे ज्यादा चर्चा इस बात को लेकर हो रही है कि भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे सुब्रमण्यम स्वामी, वरुण गांधी और मेनका गांधी को इस बार 80 सदस्य टीम में जगह नहीं दी गई। भाजपा के लिए राष्ट्रीय कार्यकारिणी की अहमियत कितनी बड़ी है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जो नई कार्यकारिणी घोषित हुई है उसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पार्टी के पूर्व अध्यक्ष अमित शाह, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, पीयूष गोयल के अलावा कई बड़े नेता और कई केंद्रीय मंत्री शामिल हैं। ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी है कि आखिर राष्ट्रीय कार्यकारिणी की पार्टी में भूमिका क्या होती है और यह इतना  महत्वपूर्ण कैसे हैं?

 

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राष्ट्रीय कार्यकारिणी का महत्व

राष्ट्रीय कार्यकारिणी में कुल 80 सदस्य होते हैं। इस बार भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी में 80 सदस्यों को शामिल किया गया है। इसके अलावा 50 विशेष आमंत्रित सदस्य हैं और 179  स्थाई आमंत्रित सदस्य होंगे जिसमें विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, विधानसभा और विधान परिषद के विधायक दल के नेता, पूर्व मुख्यमंत्री, राष्ट्रीय प्रवक्ता, राष्ट्रीय मोर्चा के अध्यक्ष, प्रदेश प्रभारी, सह प्रदेश प्रभारी के अलावा संगठन में काम करने वाले लोग शामिल होते हैं। पार्टी के संविधान के हिसाब से देखें तो भाजपा की सबसे बड़ी पंचायत है। माना जाता है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को जितने भी काम करने होते हैं वह राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सहमति के बाद ही किया जाता है। भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी एक पावर फुल बॉडी होती है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की शक्ति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह पार्टी के अध्यक्ष तक को हटा सकते हैं। इसके अलावा पार्टी के संविधान का संशोधन करने का भी अधिकार राष्ट्रीय कार्यकारिणी को प्राप्त है।

 

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महत्वपूर्ण फैसलों में भूमिका

राष्ट्रीय कार्यकारिणी पार्टी के लिए नए नियम जोड़ सकती है। वैसे तो कार्यकारिणी की बैठक में सभी फैसले आम सहमति से हो जाती हैं लेकिन जब भी वोटिंग की नौबत आती है तो कहीं ना कहीं फैसला बहुमत से लिया जाता है। भाजपा के संविधान के हिसाब से देखें तो राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक साल में कम से कम 3 बार बुलाई जा सकती है। हालांकि कोरोना महामारी की वजह से पिछले डेढ़ साल से यह बैठक नहीं हो सकी। पार्टी के संविधान के हिसाब से अध्यक्ष को कार्यकारिणी चुनने का अधिकार है। पार्टी के लिए नीति निर्धारित भी कार्यकारिणी की बैठक से ही होती है।

 

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