2024 चुनाव में नरेंद्र मोदी के खिलाफ कौन होगा या कौन-कौन होगा?

By अंकित सिंह | Aug 30, 2022

देश में राजनीतिक उठापटक का दौर जारी है। इस सप्ताह में चाय पर समस्या कार्यक्रम में वर्तमान में राजनीतिक हालात और कांग्रेस की स्थिति पर चर्चा की। इस दौरान हमेशा की तरह प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे इस कार्यक्रम में मौजूद रहे। सबसे पहला सवाल हमने नीरज दुबे से पूछा कि वर्तमान में राजनीतिक परिदृश्य क्या दिखाई दे रही है? क्या 2024 के लिहाज से सभी राजनीतिक दल अपनी चुनावी तैयारियों में जुट चुकी है? इसके जवाब में नीरज दुबे ने कहा कि बिल्कुल देख सकते हैं कि 2024 की तैयारियों में सभी पार्टियां जुटी हुई हैं। उन्होंने कहा कि एक ओर तो फिलहाल यह फिक्स नजर आ रहा है कि भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ही चेहरे पर 2024 के चुनावी मैदान में होगी। लेकिन विपक्ष अभी भी यह फैसला नहीं कर पा रहा है कि 2024 के चुनाव में उसका उम्मीदवार कौन होगा। विपक्ष की ओर से सभी नेता अपनी-अपनी दावेदारी को पेश करने की कोशिश करते हैं। नीतीश कुमार के विपक्ष में जाने के बाद से प्रधानमंत्री पद के लिए जो कंपटीशन है, उसमें एक नाम और जुड़ गया है। ऐसे में सवाल यही है कि विपक्ष से एक नाम पर आम सहमति कैसे बना पाएगा?


अरविंद केजरीवाल लगातार अपनी पार्टी को विस्तार करने की कोशिश कर रहे हैं और कहीं न कहीं आम आदमी पार्टी की ओर से इस बात का दावा किया जा रहा है कि अरविंद केजरीवाल बनाम मोदी हो सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बात समझ चुके हैं कि अरविंद केजरीवाल लगातार अपनी स्थिति मजबूत कर रहे हैं। यहीं कारण है कि वह रेवड़ी कल्चर पर प्रहार कर रहे हैं। इसके अलावा परिवारवाद और भ्रष्टाचार की राजनीति के खिलाफ भी वह लगातार हमलावर हैं। नीरज दुबे ने कहा कि ममता बनर्जी, केसीआर, अरविंद केजरीवाल, उद्धव ठाकरे जैसे नेता लगातार अपने आप को प्रधानमंत्री पद का दावेदार बता रहे हैं। उनकी पार्टी के नेता लगातार उन्हें आगे कर रहे हैं। कुछ लोग ऐसे भी हैं जो सही वक्त आने पर खुद को आगे करने का मन बना रहे हैं जिसमें फारूख अबदुल्ला और शरद पवार के नाम शामिल हैं। नीरज दुबे ने कहा कि कहीं ना कहीं विपक्ष पूरी तरह से बंटा हुआ है। हमने राष्ट्रपति चुनाव में देखा, हमने उपराष्ट्रपति चुनाव में देखा।

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उदाहरण देते हुए नीरज दुबे ने कहा कि आप बाकी जगह के बाद छोड़ दें। महाराष्ट्र में फिलहाल महा विकास आघाडी खुद के मजबूत होने का दावा करती है। लेकिन बृहन्मुंबई नगर निगम के चुनाव में जिस तरीके से मेयर पद को लेकर तकरार शुरू हो चुकी है, उससे जाहिर तौर पर यह लगता है एक कहीं ना कहीं तीनों दलों में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं है। कांग्रेस फिलहाल मेयर पद पर अपना दावा कर रही है। जबकि शिवसेना किसी भी हालत में छोड़ने को तैयार नहीं है। कांग्रेस ने तो भ्रष्टाचार का आरोप लगा दिया है। यही कारण है कि इस बात का अनुमान काफी दिनों से लग रहा है कि एमवीए कभी भी ताश के पत्तों की तरह ढह जाएगा। जम्मू कश्मीर में भी गठबंधन की खूब चर्चा है। लेकिन नेशनल कांफ्रेंस ने पहले ही ऐलान कर दिया कि विधानसभा की सभी सीटों पर उसकी पार्टी चुनाव लड़ेगी। ऐसे में गठबंधन को लेकर सवाल तो उठेंगे।


हमने कांग्रेस की समस्या पर भी बात की। नीरज दुबे ने साफ कहा कि कांग्रेस के पास फिलहाल कोई रणनीति और नीति नहीं है। उदयपुर चिंतन शिविर के बाद जो दावे किए गए थे, उस पर चला अमल होता तो दिखाई नहीं दे रहा है। नीरज दुबे ने साफ तौर पर कहा कि कांग्रेस को भारत जोड़ो यात्रा से पहले कांग्रेसी जोड़ो यात्रा शुरू करनी चाहिए। उसके कई नेता नाराज चल रहे हैं। कई इस्तीफा देने की कोशिश में है। कई ने इस्तीफा दे दिया है। ऐसे में पार्टी को खुद को एकजुट करना होगा। ऐसा ही कुछ आनंद शर्मा ने कहा। नीरज दुबे ने दावा किया कि कांग्रेस के बुजुर्ग नाराज हैं। युवा नाराज हैं। ऐसे में पार्टी के लिए आगे की स्थिति क्या होगी, यह खुद पार्टी को तय करना है। कांग्रेस इस बात को समझ नहीं पा रही है कि किस राजनीति के साथ आगे बढ़ना है। उसे सिर्फ यही लग रहा है कि आरएसएस और भाजपा का विरोध करना है।


- अंकित सिंह

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