बंदरों को आधार कार्ड क्यों नहीं ? (व्यंग्य)

By दीपक गिरकर | Mar 08, 2018

हिमाचल प्रदेश में लगभग दो हज़ार बंदर हैं। इन बंदरों ने राज्य में उत्पात मचा रखा है। विधानसभा चुनावों में भाजपा और कांग्रेस दोनों ने सत्ता मिलने पर बंदरों की समस्या से निजात दिलाने का वादा किया था। भाजपा ने चुनाव प्रचार के दौरान बंदरों की संख्या पर काबू पाने के लिए उनकी नसबंदी अभियान नहीं चलाने के लिए कांग्रेस को दोषी ठहराया था। बंदरों की नसबंदी के लिए पूर्व की कांग्रेस सरकार ने करोड़ों रूपये खर्च किए हैं लेकिन उनकी संख्या बढ़ती ही जा रही है।

राजनैतिक दल बंदरों की समस्या को समझ नहीं पा रहे हैं। बंदर इसलिए उत्पात मचा रहे हैं क्योंकि सरकार ने यह घोषणा की है कि आधार की तर्ज पर देश में गायों को यूनिक आईडी नंबर मिलेगा। गायों को आधार कार्ड मिलने से उनका मूल्य काफ़ी बढ़ जाएगा। आधार कार्ड मिलने से गायों को सभी सरकारी योजनाओं का फ़ायदा मिलेगा। गायों को आधार कार्ड मिलने की खबर से इतनी खुशी हो रही है कि उन्हें लग रहा है जैसे उनको लाल बत्ती मिलने वाली हो। आधार कार्ड मिलने से उनको सरकारी योजनाओं के फ़ायदे मिलेंगे और साथ ही वे सारे मूलभूत अधिकार मिल जाएँगे जो की संविधान के अंतर्गत हर भारतीय को प्राप्त हैं। गाय बिरादरी में इस खबर से खुशी की लहर दौड़ गई है। गायों के कुछ बछड़े अपनी माताओं से पूछ रहे हैं कि क्या आधार कार्ड से हमारे भी बैंक खाते खुलेंगे? और यदि हमारे बैंक खाते खुलते हैं और भविष्य में यदि नोटबंदी होगी तब हमारे खातों में टैक्स चोरी करने वाले करोड़ों रूपये जमा करेंगे तब वे रूपये हमारे ही हो जाएँगे तब हमारी सत्तर पीढ़ियां बैठ कर हर रोज चारे की जगह काजू बादाम, हलवा पूड़ी खाएंगी।

 

गायों के आधार कार्ड बनने की खबर से पूरे ब्रह्माण्ड के जानवरों में खलबली मची हुई है। बंदरों ने अपनी बिरादरी की संसदीय बोर्ड की आपातकालीन मीटिंग बुलाई थी जिसमें मुख्य मुद्दा यही था कि अगर गायों को आधार कार्ड दिए जा रहे हैं तो संविधान के अनुसार हमें भी ये कार्ड मिलने चाहिए। बंदर बिरादरी में सबसे अधिक आक्रोश है। उनका कहना है कि आधार कार्ड सबसे पहले हमें मिलना चाहिए क्योंकि हम मनुष्य के पूर्वज हैं। यदि गायों से पहले हमें आधार कार्ड नहीं मिले तो हम पूरे देश में इतनी उछलकूद करेंगे कि देश के चुने हुए प्रतिनिधि भी उछलकूद करना भूल जाएँगे। बंदर बिरादरी का यह सोचना है कि सभी जानवर बिरादरियों के अपने-अपने घर हैं। केवल बंदर बिरादरी को ही घर/ मकान की सुविधा उपलब्ध नहीं है। आधार कार्ड बनने से उनको भी सरकारी सुविधाओं का लाभ प्राप्त होगा और साथ ही घर की समस्या भी हल हो जाएगी।

 

जानवरों की किस बिरादरी को आधार कार्ड दिए जाने चाहिए और उन आधार कार्ड को किन-किन सरकारी योजनाओं से लिंक करना चाहिए इसके बारे में एक आयोग गठित करना चाहिए। सरकार इतना ही कर देगी तो बंदर उत्पात मचाना बंद कर देंगे क्योंकि आख़िर वे भी मनुष्यों के पूर्वज ही हैं। खाली दिमाग़ शैतान का घर होता है। यदि बंदर खाली बैठे रहेंगे तो उछलकूद करेंगे और उत्पात मचाएँगे। जापान की राजधानी टोकियो में एक ऐसा रेस्टोरेंट है जहाँ वेटर का काम बंदर करते हैं। हमारे देश में बंदरों को स्वच्छता अभियान के काम में लगाया जा सकता है।

 

-दीपक गिरकर

प्रमुख खबरें

Sydney Bondi Beach पर आतंकी हमला: हनुक्का कार्यक्रम में फायरिंग, 11 की मौत

दिल्ली की हवा फिर जहरीली: AQI 459 के साथ ‘सीवियर’ श्रेणी में पहुंचा प्रदूषण

नशा, न्यायिक सुधार और रोस्टर व्यवस्था पर मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत की बेबाक राय — जानिए क्या कहा?

Stanford की रिपोर्ट: AI में भारत की धाक, दुनिया में तीसरे पायदान पर, विकसित देशों को पछाड़ा