Guru Dutt Death Anniversary: बेजोड़ सफलता के बावजूद क्यों बेचैन थे गुरुदत्त, जानें उनकी दर्दनाक कहानी

By अनन्या मिश्रा | Oct 10, 2025

भारतीय सिनेमा को 50 से 60 के दशक में बेहतरीन फिल्मों के जरिए गुलजार करने वाले फिल्ममेकर गुरुदत्त का 10 अक्तूबर को निधन हो गया था। गुरुदत्त ने अपनी जिंदगी के में हर रंग देखे थे। उन्होंने शानदार फिल्मों के निर्माण के अलावा एक्टिंग में भी अपना लोहा मनवाया था। लेकिन इसके बाद भी गुरुदत्त ने महज 39 साल की उम्र में जीवनलीला को समाप्त कर लिया था। गुरुदत्त अभिनेता, प्रोड्यूसर, फिल्ममेकर और राइटर थे। सब कुछ होने के बाद भी गुरु दत्त ताउम्र बेचैन रहे। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर गुरुदत्त के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...


भारतीय सिनेमा के लिए मिसाल

भारतीय सिनेमा के लिए मिसाल बन चुके अभिनेता गुरुदत्त एक ऐसे कलाकार थे, जिन्होंने अपने जीवन को सिनेमा का पर्दा समझा और अपना सब कुछ उसमें झोंक दिया। उनके अंदर एक अजीब सी बेचैनी रहती थी। यह बेचैनी पर्दे पर कुछ अद्वितीय और अद्भुत करने की थी। वह अपने आप में सिनेमा का महाविद्यालय थे। गुरुदत्त की तीन क्लासिक फिल्में 'प्यासा', 'कागज और फूल' और 'साहिब बीवी और गुलाम' को टेक्स्ट बुक का दर्जा प्राप्त है।

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ऐसे शुरू किया था फिल्मी सफर

साल 1946 में गुरुदत्त ने प्रभात स्टूडियो की एक फिल्म 'हम एक हैं' से बतौर कोरियोग्राफर अपना फिल्मी करियर शुरू किया था। इसके बाद गुरुदत्त को फिल्म में अभिनय करने का मौका मिला और उनका करियर आगे बढ़ ही रहा था कि साल 1951 में देवानंद की फिल्म 'बाजी' सक्सेस के बाद गुरुदत्त की मुलाकात गीता दत्त से हुई। फिल्म के दौरान गुरुदत्त और गीता एक-दूसरे के करीब आए औऱ साल 1953 में दोनों ने शादी कर ली।


शादीशुदा जिंदगी में आया तूफान

अपनी शादी शुदा जिंदगी से गुरुदत्त काफी खुश थे और करियर भी आगे बढ़ रहा था। इसी दौरान गुरुदत्त की मुलाकात वहीदा रहमान से हुई। बताया जाता है कि गुरु और वहीदा एक-दूसरे से बेहद प्यार करने लगे थे। लेकिन गुरुदत्त पहले से शादीशुदा थे। जिसके बाद गुरुदत्त और गीता दत्त में आए दिन वहीदा रहमान को लेकर झगड़े होते रहते थे। फिर साल 1957 में दोनों की शादीशुदा जिंदगी में दरार आ गई और दोनों अलग-अलग रहने लगे।


हिंदी सिनेमा को एक से बढ़कर एक हिट फिल्में देने वाले गुरुदत्त उस समय दिवालिया हो गए, जब उनकी फिल्म 'कागज के फूल' फ्लॉप हो गई। एक ओर उनकी निजी जिंदगी में परेशानियां चल रही थीं, तो दूसरी तरफ प्रोफेशनल लाइफ में होने वाले नुकसान के कारण गुरुदत्त बिल्कुल टूट चुके थे। उन्होंने दो बार आत्महत्या का प्रयास भी किया था।


मृत्यु

वहीं 10 अक्तूबर 1964 को 39 साल की उम्र में गुरुदत्त अपने बेडरूम में मृत पाए गए थे। माना जाता है कि मौत से ठीक एक रात पहले गुरुदत्त ने खूब शराब पी थी।

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