जीवन का अंत समस्याओं का अंत नहीं होता, वीजी सिद्धार्थ ने गलत मिसाल पेश की

By नीरज कुमार दुबे | Jul 31, 2019

भारत में कर्ज के बोझ से दबे किसान या किसी गरीब द्वारा आत्महत्या की खबरें अकसर आती हैं लेकिन कर्ज के बोझ से दबे उद्योगपति वी.जी. सिद्धार्थ की आत्महत्या ने सबको चौंकाया भी है साथ ही ऐसा करके सिद्धार्थ ने एक खराब और खतरनाक उदाहरण पेश किया है। इस दुनिया से रुखसत होकर वह भले सांसारिक कष्टों से मुक्ति पा गये हों लेकिन समस्याओं का जो अंबार छोड़ कर गये हैं वह उनके खड़े किये गये कैफे कॉफी डे के साम्राज्य से कहीं ज्यादा बड़ा है। निश्चित ही वी.जी. सिद्धार्थ की मृत्यु एक दुखद घटना है। आखिर उनके समक्ष ऐसी परिस्थिति क्यों उत्पन्न हो गयी यह तो जांच एजेंसियां ही पता लगा पाएंगी लेकिन फौरी तौर पर एक बात स्पष्ट है कि बढ़ते कर्ज, व्यापार घाटे और आयकर के बकाये की भारी भरकम रकम ने वी.जी. सिद्धार्थ को परेशान कर दिया था और ऐसा लग रहा था कि वह अकेले पड़ते जा रहे हैं। लेकिन उनका अंतिम खत बताया जा रहा जो पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है उसको देखें तो लगता है कि वी.जी. सिद्धार्थ इसमें शायद पूरी और सही कहानी बता कर नहीं गये। सिद्धार्थ के आरोपों को आखिर सही कैसे माना जा सकता है जब आयकर विभाग अपनी कार्रवाई के पक्ष में पुख्ता दलीलें पेश कर रहा है।

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देश में पिछले कुछ वर्षों के दौरान देखने को मिला है कि लोगों/बैंकों का पैसा लेकर भागने वाले कारोबारियों/उद्योगपतियों की संख्या बढ़ी है लेकिन वी.जी. सिद्धार्थ ने देश से भागने की बजाय दुनिया छोड़ने का विकल्प चुना तो जरूर कुछ बड़े कारण होंगे। वी.जी. सिद्धार्थ का जाना इंडिया.इंक के लिए झटका है लेकिन इस घटना का एक संकेत यह भी है कि आप लोगों का पैसा लेकर विदेश भागेंगे तो कानून वहां भी आपका पीछा नहीं छोड़ेगा और अगर आप यहां रह कर भी गड़बड़ करेंगे तो हमारी एजेंसियां अब आपको ऐसा नहीं करने देंगी। गलती स्वीकार कर उसे सुधार लेने से शायद ऐसी परिस्थिति को टाला जा सकता था लेकिन हिम्मती सिद्धार्थ जीवन से हार मान जाएंगे, यह किसी ने नहीं सोचा था। जो लोग आत्महत्या कर सभी जिम्मेदारियों, कष्टों से मुक्ति पा लेना चाहते हैं क्या उन्होंने कभी सोचा है कि वह जहां जा रहे हैं क्या पता वहां ज्यादा कष्ट भुगतने पड़ें। असमय मौत को गले लगाने वाले सृष्टि के खेल में विघ्न भी डालते हैं जिसकी सजा उन्हें निश्चित तौर पर मिलती होगी लेकिन तब सिर्फ पछतावे के अलावा और कुछ बचता नहीं होगा। यहां यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि जिस परेशानी को आप नहीं झेल पा रहे हो और दुनिया से चले जाने का निर्णय कर लेते हो उस परेशानी को आपका परिवार कैसे झेलेगा? उसके लिए तो आप दोगुनी समस्याएं पैदा कर गये। उसे कारोबारी समस्याओं के अलावा आपकी मौत के गम से भी जूझना है।

 

इसमें कोई दो राय नहीं कि वी.जी. सिद्धार्थ उन लोगों के लिए एक बड़ी प्रेरणा के स्रोत थे जोकि अपने दम पर कुछ करना चाहते हैं या अपना कारोबार खड़ा करने का सपना देखते हैं। लेकिन उस सपने का अंत ऐसा डरावना होगा यह जानकार बहुत से लोग निराश होंगे। देश में अपना स्टार्टअप शुरू करने की जो बाढ़ आई हुई है उस अभियान को इस घटना से झटका लग सकता है। बहुत-सी नयी कंपनियों को फंड जुटाने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है या अकसर किसी क्षेत्र में मंदी होने की वजह से लगातार घाटा सहना पड़ता है या अनेकों ऐसे कारण होते हैं जिनसे समूह को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में क्या सभी आत्महत्या कर लें? समाधान जीवन खत्म करने से नहीं होगा बल्कि जीवटता के साथ मुश्किलों का सामना करने से निकलेगा। महिंद्रा समूह के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने इस घटना पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए बिलकुल सही कहा है कि बिजनेस में नाकामी की वजह से कारोबारियों को आत्मसम्मान नहीं खोना चाहिए।

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जहां तक वी.जी. सिद्धार्थ की कार्यकुशलता की बात है तो यकीनन उन्होंने कड़ी मेहनत से कैफे कॉफी डे को वैश्विक ब्रांड स्टारबक्स के मुकाबले खड़ा कर दिया था। 90 के दशक में कॉफी दक्षिण भारत में ही ज्यादातर पी जाती थी या फिर बड़े होटलों अथवा पांच सितारा होटलों तक ही सीमित थी। लेकिन सिद्धार्थ ने इसे आम लोगों तक पहुँचाने में बड़ा योगदान दिया। उनके परिवार का जुड़ाव कॉफी की खेती से 150 वर्षों से रहा है इसलिए उनकी इस क्षेत्र में समझ भी अच्छी थी जोकि व्यापार को आगे ले जाने में काम आई। अधिकतर फूड कंपनियां फ्रेंचाइजी के आधार पर अपना विस्तार करती हैं लेकिन वी.जी. सिद्धार्थ सबकुछ अपने बलबूते खड़ा करना चाहते थे। यही कारण है कि इस समय देश के 247 शहरों में कैफे कॉफी डे के अपने 1758 कैफे हैं। यह देश की सबसे बड़ी कॉफी रिटेल चेन भी है। हाल ही में कंपनी का मूल्यांकन 3254 करोड़ रुपए का हुआ था और यदि गत वर्ष के इसके कारोबार की बात करें तो कंपनी ने 600 मिलियन डॉलर का बिजनेस किया था। यही नहीं वी.जी. सिद्धार्थ अपने इस कारोबार के जरिये 30 हजार से ज्यादा नौकरियां पैदा कर चुके हैं।

 

ऐसा प्रचारित किया जा रहा है कि आयकर विभाग की ओर से प्रताड़ित किये जाने के चलते वी.जी. सिद्धार्थ पिछले कुछ दिनों से परेशान चल रहे थे। सिद्धार्थ ने अपने असत्यापित अंतिम पत्र में लिखा भी है कि आयकर विभाग के पूर्व डीजी उनको प्रताड़ित कर रहे थे और यह ‘‘हमारे माइंडट्री सौदे को रोकने के लिए दो अलग-अलग मौकों पर हमारे शेयर जब्त करने और बाद में हमारे कॉफी डे शेयर का अधिकार लेने के तौर पर आया जबकि हमने संशोधित रिटर्न दाखिल कर दिया था।’’ हालांकि आयकर विभाग ने ऐसी किसी बात से साफ इंकार किया है। आयकर विभाग का तो यह भी कहना है कि वी.जी. सिद्धार्थ ने अपने प्रतिष्ठानों पर छापों के बाद कुछ आय छिपा कर रखने की बात स्वीकार की थी। आयकर विभाग ने यह भी कहा है कि शेयरों की अस्थायी जब्ती की कार्रवाई राजस्व हिंतों के संरक्षण के लिए की गयी थी और यह कार्रवाई छापों के दौरान जुटाये गए विश्वसनीय साक्ष्यों पर आधारित थी जोकि बेंगलुरु स्थित समूह के खिलाफ 2017 में की गई थी। आयकर विभाग ने साफ कहा है कि वी.जी. सिद्धार्थ को माइंडट्री के शेयर की बिक्री से 3200 करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे लेकिन सौदे पर देय कुल 300 करोड़ रुपये के न्यूनतम वैकल्पिक कर में से मात्र 46 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था। आयकर विभाग का तो यह भी कहना है कि वी.जी. सिद्धार्थ ने एक हलफनामे में अपने हाथ में और कॉफ़ी डे इंटरप्राइजेज लिमिटेड की क्रमश: 362.11 करोड़ रुपये और 118.02 करोड़ रुपये की बिना हिसाब की आय होना स्वीकार किया था।

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आयकर विभाग को इस वर्ष जनवरी में मीडिया की खबरों से पता चला था कि वी.जी. सिद्धार्थ माइंडट्री लिमिटेड के इक्विटी शेयर तत्काल आधार पर बेचने की योजना बना रहे हैं जोकि उनके और उनकी कंपनी के पास थे। आयकर अधिकारियों को यह भी पता चला था कि सिद्धार्थ और कॉफी डे इंटरप्राइजेज लिमिटेड दोनों के पास माइंडट्री लिमिटेड के करीब 21 प्रतिशत शेयर थे। यह भी पता चला था कि शेयर की बिक्री के लिए सौदे को एक महीने के भीतर पूरा किया जाना था। चूंकि इस मामले में करोड़ों रुपये के कर का मामला बनता था और करदाता ने इन शेयरों को बेचने के लिए आयकर प्राधिकारियों से अनुमति नहीं ली थी, इसलिए उन्हें नियमों के तहत जब्त कर लिया गया। माइंडट्री लिमिटेड के 74,90,000 शेयर आयकर विभाग की ओर से जब्त किये गए और कर अपवंचन के बड़े मामलों में राजस्व हितों के संरक्षण के लिए ऐसी कार्रवाई सामान्य तौर पर होती ही है।

 

बहरहाल, दक्षिण कन्नड़ जिले के कोटेपुरा क्षेत्र में नेत्रावती नदी से वी.जी. सिद्धार्थ का पार्थिव शरीर मिल गया है। दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक अनंत संभावनाओं वाले व्यक्ति का ऐसा अंत हुआ। वी.जी. सिद्धार्थ ने अपने आपको असफल कारोबारी के तौर पर देखा लेकिन देखा जाये तो उन्होंने जिस तेजी के साथ अपनी मेहनत से इतना बड़ा कारोबारी साम्राज्य खड़ा किया वैसी मिसालें कम ही देखने को मिलती हैं। 1993 में उन्होंने अमलगमेटेड बीन कंपनी (एबीसी) के नाम से अपनी कॉफी ट्रेडिंग कंपनी शुरू की थी जिसका शुरुआत में सालाना कारोबार छह करोड़ रुपए था लेकिन यह बाद में बढ़कर 2,500 करोड़ रुपये हो गया। कैफे कॉफी डे खोलने का ख्याल सिद्धार्थ के मन में तब आया जब वह जर्मनी की कॉफी रेस्तरां की श्रृंखला चलाने वाली टीचीबो के मालिक से मिले और उनसे बातचीत के बाद बेहद प्रभावित हुए। वी.जी. सिद्धार्थ ने कैफे कॉफी डे (सीसीडी) का पहला स्टोर 1994 में बेंगलुरू में खोला था और भारत के विभिन्न शहरों के अलावा वियना और कुआलालंपुर भी सीसीडी के आउटलेट हैं। कर्नाटक के कुछ राजनेता सिद्धार्थ की मृत्यु का राजनीतिकरण करने की जो कोशिश कर रहे हैं उससे उन्हें बचना चाहिए।

 

-नीरज कुमार दुबे

 

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