देवभूमि हरिद्वार में कांटे की टक्कर में क्या भाजपा इस बार जीत हासिल कर पायेगी ?

By नीरज कुमार दुबे | Apr 06, 2024

उत्तराखंड में लोकसभा की पांच सीटें हैं इसमें से हरिद्वार लोकसभा सीट को वीआईपी मन जाता है।  एक तो यह तीर्थनगरी है साथ ही उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था की धुरी चार धाम यात्रा का प्रवेश द्वार भी है। अब तक यहाँ से पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक सांसद थे। निशंक 2014 और 2019  का लोकसभा चुनाव जीते थे। सत्तारूढ़ भाजपा ने इस बार उनका टिकट काट कर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को हरिद्वार सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है।


प्रभासाक्षी की चुनाव यात्रा जब हरिद्वार पहुंची तो हमने जनता के मन को टटोलने का प्रयास किया, इस दौरान लोगों ने हमसे कहा कि महंगाई और बेरोजगारी बड़ा मुद्दा हैं लेकिन यह भी सही है कि पिछले १० वर्षों में राज्य को विकास की तमाम सौगातें मिली हैं। लोगों ने कहा कि बिजली और पानी की व्यवस्था में काफी सुधार आया है लेकिन अब उसका खर्च काफी बढ़ गया है। स्थानीय व्यापारियों ने कहा कि हर जगह जिस तरह अनधिकृत दुकानें खुल गयी हैं वो सब बहरी लोगों की हैं इसलिए यहाँ के व्यापारियों को नुकसान हो रहा है। हालाँकि इस बात को सभी मानते हैं कि हाल के वर्षों में यहाँ सुविधाएँ बढ़ने से श्रद्धालुओं की तादाद काफी बढ़ गयी है जिससे यहाँ के लोगों की आमदनी में इजाफा हुआ है।

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हमने जब हरिद्वार में आये श्रद्धालुओं से बात की तो पाया कि अधिकतर लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुरीद हैं। जब हमने इसका कारण जानने का प्रयास किया तो लोगों ने कहा कि केंद्र और राज्य में भाजपा सरकार के चलते यहाँ सुविधाओं में काफी सुधर हुआ है। लोगों का कहना था कि जिस तरह पीएम मोदी सनातन धर्म को आगे बढ़ा रहे हैं उससे भी समाज में अच्छा सन्देश गया है। जब हमने यहाँ के भाजपा प्रत्याशी के बारे में लोगों के मन की बात जानने का प्रयास किया तो लोगों का कहना था कि त्रिवेंद्र सिंह रावत इसी जिले की राजनीति करते हुए मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे थे। लोगों ने कहा कि मुख्यमंत्री रहते हुए रावत ने हरिद्वार और देहरादून के बीच आवागमन आसान किया और इस जिले का खूब विकास किया जिसका फायदा भाजपा को मिलेगा।

 

हम आपको बता दें कि त्रिवेंद्र सिंह रावत का मुख्य मुकाबला कांग्रेस उम्मीदवार वीरेंदर रावत से है। वीरेंदर रावत वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के बेटे हैं। इस सीट पर बसपा ने भी जातिगत समीकरणों को देखते हुए मजबूत उम्मीदवार उतरा है। वहीँ एक पूर्व पत्रकार और निर्दलीय विधायक उमेश की और से भी लोकसभा चुनाव के समर में उतर जाने से लड़ाई रोचक हो गयी है।

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