By अभिनय आकाश | Dec 16, 2025
बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को लवासा हिल स्टेशन परियोजना को कथित तौर पर अवैध रूप से दी गई अनुमतियों के मामले में शरद पवार और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग करने वाली जनहित याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया, साथ ही यह भी संकेत दिया कि वह याचिका को खारिज करने के पक्ष में है। अदालत ने यह भी संकेत दिया कि वह याचिका को खारिज करने के पक्ष में हैं। मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम अंखड़ की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता नानासाहेब जाधव कोई ऐसा कानूनी प्रावधान पेश करने में विफल रहे जिसके तहत कोई अदालत, अपने क्षेत्राधिकार का इस्तेमाल करते हुए पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दे सकती है।
न्यायाधीशों ने जनहित याचिका खारिज करने की बात कही, लेकिन अंततः फैसला सुरक्षित रख लिया, ताकि याचिकाकर्ता और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) प्रमुख शरद पवार के वकील अपनी-अपनी दलीलों के समर्थन में अदालती फैसलों को प्रस्तुत कर सकें। पीठ ने यह नहीं बताया कि वह फैसला कब सुनाएगी। जाधव की याचिका में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को निर्देश देने का अनुरोध किया गया कि वह शरद पवार, उनकी बेटी और बारामती से सांसद सुप्रिया सुले, एवं उनके भतीजे और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के खिलाफ पुणे जिले के लवासा में एक हिल स्टेशन के निर्माण के लिए कथित तौर पर अवैध अनुमति देने के आरोप में मामला दर्ज करे।
2023 में सीबीआई जांच की मांग करते हुए दायर की गई नई जनहित याचिका में जाधव ने कहा कि उन्होंने दिसंबर 2018 में पुणे पुलिस आयुक्त के पास पवार और अन्य के खिलाफ जांच की मांग करते हुए शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसी साल मार्च में शरद पवार ने जनहित याचिका का विरोध करते हुए हस्तक्षेप याचिका दायर की और दावा किया कि जाधव ने इसी तरह के या मिलते-जुलते आरोप बार-बार लगाए हैं।