दुनिया की 17वीं सबसे ताकतवर महिला कैसे बनी 'योगी' के हाथों की कठपुतली, बाबा चला रहे थे देश का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज

By अभिनय आकाश | Feb 15, 2022

सेबी का एक चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है। हिमालय में रहने वाले एक बाबा के कहने पर एनएसई की पूर्व एमडी अपने फैसले लिया करती थी। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज यानी एनएसई देश की बड़ी स्टॉक एक्सचेज है। भारत के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज का कम्बाइन मार्केट करीब 4 ट्रिलियन डॉलर है और इस 4 ट्रिलियन डॉलर के मार्केट वाले स्टॉक एक्सचेंज के बारे में इंडियन सिक्योरिटी एजेंसी और सेबी ने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। इसी एनएसई की पूर्व एम और सीईओ चित्रा रामकृष्ण को लेकर सेबी ने एक बड़ी बात बताई है। चित्रा रामकृष्ण पर खुलासा करते हुए सेबी ने बताया कि वो हिमालय के एक बेनाम बाबा जिन्हों वो योगी कहती हैं। उनकी सलाह पर ही फैसले लेती थी। इन्हीं बाबा के कहने पर उन्होंने आनंद सुब्रहमण्यम को एक्सचेंज में ग्रुप ऑपरेशनल ऑफिसर और एमडी का एडवाइजर नियुक्त किया था। एक कथित योगी के कहने पर चित्रा ने आनंद सुब्रहमण्यम की नियुक्ति करते हुए उन्हें पांच करोड़ रुपये का वेतन दे दिया। चित्रा पर आरोप है कि सीईओ के तौर पर काम करते हुए अज्ञात योगी ने स्टॉक एक्सचेंज और फाइनेंसियल प्लान की जानकारी भी शेयर की। सेबी ने चित्रा के खिलाफ अपने आखिरी ऑर्डर में ये बात सबके सामने रखी है। चित्रा रामकृष्ण और सीईओ रवि नारायण समेत दूसरे लोगों पर भी जुर्माना लगाया गया है। साथ ही एनएसई अगले छह महीने तक कोई नया प्रोडक्ट नहीं ला सकता है। 

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सेबी ने एनएसई और उसके पूर्व एमडी और सीईओ चित्रा रामकृष्ण और रवि नारायण और अन्य को सुब्रमण्यम की नियुक्ति से संबंधित मामले में प्रतिभूति अनुबंध नियमों का उल्लंघन करने के लिए दंडित किया। नियामक ने रामकृष्ण पर 3 करोड़ रुपये, नारायण और सुब्रमण्यम पर 2-2 करोड़ रुपये और वी आर नरसिम्हन पर 6 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। सेबी के आदेश में कहा गया है कि रामकृष्ण के अनुसार अज्ञात व्यक्ति एक आध्यात्मिक शक्ति थी जो अपनी इच्छानुसार कहीं भी प्रकट हो सकती थी और उसके पास कोई भौतिक या स्थानीय समन्वय नहीं था। वो हिमालय पर्वतमाला में रहता है।

बाबा की हर बात मानती थीं रामकृष्ण

पूर्णकालिक सदस्य अनंत बरुआ द्वारा हस्ताक्षरित सेबी के आदेश में कहा गया है कि सुब्रमण्यम कथित रूप से उक्त योगी के सहयोगी थे, जिन्होंने रामकृष्ण के फैसलों को प्रभावित किया। आदेश में कहा गया है कि रामकृष्ण ने यह स्वीकार किया है कि वह इस अनाम बाबा से कभी नहीं मिली। उनका कहना है कि वे मेल आईडी rigyajursama@outlook.com पर उनसे करीब 20 वर्षों से संपर्क में थीं। बाबा की इस मेल आईडी में ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद के आगे के दो अक्षर हैं। अज्ञात व्यक्ति की सलाह पर ही उन्हें एक साल में तीन बार एनक्रीमेंट मिला। चित्रा पूरी तरह से सुब्रमण्यम पर निर्भर है और उनकी सलाह के बिना कुछ भी नहीं करती है। चित्रा ने बताया की अप्रूवल की रेटिंग देते वक्त भी वो बाबा से पूछती थी और आनंद सुब्रहमण्यम को हमेशा A+ रेटिंग देती थी। 

गोपनीय जानकारी की साझा

सेबी के आदेश के अनुसार, दिसंबर 2016 में पद छोड़ने वाली रामकृष्ण ने एनएसई की कुछ आंतरिक गोपनीय जानकारी जैसे संगठनात्मक संरचना, लाभांश परिदृश्य, वित्तीय परिणाम, मानव संसाधन नीतियां और संबंधित मुद्दे, नियामक की प्रतिक्रिया आदि को अज्ञात व्यक्ति के साथ संबोधित करके साझा किया। सेबी ने कहा कि यह सवाल उठता है कि बिना प्रासंगिक अनुभव के सुब्रमण्यम को रामकृष्ण द्वारा एमडी और सीईओ के मुख्य रणनीतिक सलाहकार के रूप में क्यों नियुक्त किया गया था, जब वह पहले से ही पिछले 20 वर्षों से अज्ञात व्यक्ति से अपनी सभी आधिकारिक सलाह ले रही थीं।

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योगी शिरोमणि 

चित्रा रामाकृष्ण अप्रैल 2013 से लेकर दिसंबर 2016 तक नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की एमडी और सीईओ थी। वो बीते बीस साल से जिस बाबा के कहने पर प्रोफेसनल फैसले ले रही थीं। उन्हें योगी शिरोमणि कहती हैं। बाबा उन्हें चितसोम बुलाते थे। उनका कहना है कि वो पिछले बीस सालों में निजी और व्यवसायिक सभी मामलों के लिए सलाह दे रहे हैं। चित्रा के मुताबिक ये अज्ञात योगी या कथित शख्स एक अध्यात्मिक शक्ति थी जो अपनी इच्छा अनुसार कहीं भी प्रकट हो सकती थी। 

रामकृष्ण के साथ छुट्टियां मनाने भी गया

बाजार नियामक सेबी ने कहा है कि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) की पूर्व प्रमुख चित्रा रामकृष्ण को कथित तौर पर मार्गदर्शन देने वाले आध्यात्मिक गुरु की दिलचस्पी उनके केश संवारने के तरीके में थी, उनको गाने भेजते थे और उनके साथ सेशेल्स की सैर पर भी गए थे। हालांकि सेबी का यह बयान चित्रा के उस दावे के ठीक उलट है जिसमें उन्होंने कहा था कि उनके आध्यात्मिक गुरु एक सिद्ध-पुरुष या परमहंस हैं और उनका कोई भौतिक शरीर नहीं है। सेबी ने अपनी टिप्पणी में कहा, सभी ई-मेल के ब्योरे में गए बगैर यह साफ है कि इस अज्ञात व्यक्ति का एक भौतिक रूप है और वह चित्रा रामकृष्ण के साथ छुट्टियां मनाने भी गया था। 

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इसमें क्या घोटाला हुआ?

2014-15 में एक मुखबिर ने सेबी से शिकायत की थी कि कुछ ब्रोकरों ने एनएसई के कुछ शीर्षस्थ अधिकारियों के साथ मिलीभगत से कोलोकेशन फसिलिटी का दुरुपयोग किया। तब एनएसई के सदस्यों के बीच आंकड़े प्रसारित करने के लिए तथाकथित टिक-बाय-टिक (टीबीटी) सर्वर प्रोटोकॉल का इस्तेमाल हुआ करता था। इस सिस्टम की प्रमुख विशेषता सूचना भेजने का इसका तरीका थी। सामान्य डेट प्रॉकोकॉल्स में नेटवर्क से जुड़े सभी यूजर्स को एक वक्त में ही डेटा भेजे जाते हैं। लेकिन, टीबीटी में ऑर्ड्स प्राप्त करने के क्रम में ही डेटा भेजे जाते हैं। कुछ ब्रोकरों ने एनएसई अधिकारियों और ऑम्नेसिस टेक्नॉलजीज (एनएसई को टेक्नॉलजी मुहैया कराने वाली कंपनी) की मिलीभगत से एनएसई सर्वर को सबसे पहले एक्सेस किया करते थे। सेबी ने ओपीजी सिक्यॉरिटीज, जीकेएन सिक्यॉरिटीज और वेकटुवेल्थ के साथ-साथ इंटरनेट सेवा प्रदाता संपर्क इन्फोटेनमेंट को अनुचित व्यापारिक कार्यप्रणाली (अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस) का दोषी पाया। ये ब्रोकर्स लगातार एनएसई सर्वर्स का इस्तेमाल दूसरों से पहले करते रहे।

कौन हैं चित्रा रामाकृष्ण

चित्रा रामकृष्ण देश का ही नहीं बल्कि दुनिया में एक बड़ा नाम रही हैं। फॉर्च्यून मैगजीन में चित्रा रामकृष्ण को वर्ल्ड के 17वें नंबर पर सबसे पॉवरफुल वुमने बताया गया था। साल 1963 में जन्मीं चित्रा रामाकृष्ण 1992 में बने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की फाउंडिंग टीम का हिस्सा रही थीं। चित्रा दुनिया में उन बेहद कम महिलाओं की लिस्ट में रही जो स्टॉक एक्सचेंज में टॉप पोजीशन पर रहीं। 

सेबी ने लगाया बड़ा जुर्माना

सेबी ने अपने 190 पन्नों के आदेश में पाया कि योगी ने उन्हें सुब्रमण्यम को नियुक्त करने के लिए निर्देशित किया। इस मामले में कार्रवाई करते हुए सेबी ने रामकृष्ण और सुब्रमण्यन के साथ ही एनएसई और उसके पूर्व प्रबंध निदेशक तथा मुख्य कार्यपालक अधिकारी रवि नारायण तथा अन्य पर भी जुर्माना लगाया। साथ ही रामकृष्ण और सुब्रमण्यन को तीन साल की अवधि के लिए किसी भी बाजार ढांचागत संस्थान या सेबी के साथ पंजीकृत किसी भी मध्यस्थ के साथ जुड़ने को लेकर रोक लगायी गयी है। इसके अलावा नियामक ने एनएसई को कोई भी नया उत्पाद पेश करने से छह महीने के लिये रोक दिया। इसके अलावा, रामकृष्ण और सुब्रमण्यन को तीन साल की अवधि के लिए किसी भी बाजार ढांचागत संस्थान या सेबी के साथ पंजीकृत किसी भी मध्यस्थ के साथ जुड़ने को लेकर रोक लगायी गयी है। जबकि नारायण के लिये यह पाबंदी दो साल के लिये है। इसके अलावा, सेबी ने एनएसई को रामकृष्ण के अतिरिक्त अवकाश के बदले भुगतान किये गये 1.54 करोड़ रुपये और 2.83 करोड़ रुपये के बोनस (डेफर्ड बोनस) को जब्त करने का भी निर्देश दिया।

-अभिनय आकाश 

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