आपदा और युद्ध के समय पीड़ितों की मदद के लिए जागरूक करता है ‘विश्व रेडक्रॉस दिवस'

By अमृता गोस्वामी | May 08, 2021

कोरोना महामारी ने दुनियाभर में हाहाकार मचा रखा है ऐसे में हर एक मन में बस यही ख्याल उठ रहा है कि कोई हो जो इस महामारी से त्रस्त असहाय लोगों के लिए मदद का हाथ बढ़ा सके, उनका संबल बन सके। मानवता इस वक्त अत्यंत प्रासंगिक है क्योंकि जब भी ऐसा वक्त आता है तो मानवता ही मानव की सहायक बनती है। दुनिया में कितने ही लोग और कितनी ही संस्थाएं ऐसी हैं जो मानवता को अपना परम धर्म मानकर निःस्वार्थ रूप से आढ़े वक्त में इंसानों के काम आती रही हैं। रेडक्रॉस सोसायटी एक ऐसा ही अन्तर्राष्ट्रीय संगठन है जिसका उद्देश्य मानव जिन्दगी और सेहत के लिए एकजुट होकर निष्पक्ष रूप से कार्य करना है। कोरोना महामारी में रेडक्रॉस सोसाइटी आज 24 घंटे जरूरतमंदों की मदद कर, उन्हें जागरूक कर हर तरह से अपना फर्ज निभा रही है।

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अन्तर्राष्ट्रीय रेडक्रॉस संगठन या इंटरनेशनल कमिटी ऑफ रेडक्रॉस (आईसीआरसी) की स्थापना 1863 में हुई थी। इसका मुख्यालय जेनेवा में स्थित है। इसके संस्थापक हेनरी डयूनेंट हैं। हेनरी डयूनेंट की जन्म तारीख 8 मई को दुनिया भर में विश्व रेडक्रॉस डे मनाया जाता है जिसका उद्देश्य आपदा के समय स्वेच्छा से निष्पक्ष होकर एकजुटता के साथ जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए हाथ बढ़ाने वालों और ऐसे स्वयंसेवकों के अभूतपूर्व योगदान का सम्मान करना है।

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आज 8 मई विश्व रेडक्रॉस दिवस पर आइए जानते हैं इसकी शुरूआत क्यों और कैसे हुई

हेनरी ड्यूनैंट स्विटजरलैंड के एक समाजसेवी और व्यवसायी थे, 1859 में उन्होंने इटली में युद्ध में भयंकर हिंसा देखी जिसमें हजारों सैनिक मारे गए और कई घायल पड़े थे। हेनरी ने देखा कि इन सैनिकों की सहायता के लिए वहां कोई मेडिकल टीम भी नहीं थी, यह जानकर उन्हें काफी दुख हुआ। हेनरी ने तब कुछ स्वयंसेवकों के साथ मिलकर घायल सैनिकों की मदद व उनका  उपचार किया और उन सैनिकों के परिवार को चिट्ठी भी लिखी। बाद में हेनरी ने इस घटना का जिक्र अपनी एक किताब में भी किया जिसके अंत में उन्होंने एक ऐसी सोसायटी बनाने की इच्छा व्यक्त की थी जो विपरीत परिस्थितियों में लोगों की मदद करे। हेनरी के सुझाव पर जेनेवा पब्लिक वेलफेयर सोसायटी ने 1863 में एक कमेटी का गठन किया। कमेटी की ओर से 1863 में एक अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें 16 राष्ट्रों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस सम्मेलन में कई उपयुक्त प्रस्तावों और सिद्धांतों को अपनाने के साथ इस बात पर भी जोर दिया गया कि रेड क्रॉस संगठन के विकास के लिए तथा आहत सैनिकों और युद्ध के अन्य पीड़ितों की सहायता के लिए सभी देशों में राष्ट्रीय समितियां बनाई जाएं। अलग-अलग देशों में संगठित इन समितियों को नेशनल रेड क्रॉस सोसायटी नाम दिया गया। रेडक्रॉस सोसायटी की पहचान के लिए सफेद पट्टी में रेड क्रॉस के चिन्ह को मान्यता दी गई जिसे आज दुनिया भर में आपदा के समय मानव की सेवा के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।


आपको बता दें की रेडक्रॉस संगठन के संस्थापक समाजसेवी जॉन हेनरी ड्यूनैंट का जन्म 8 मई, 1828 को हुआ था। समाजसेवा के लिए किए गए उनके कार्यों के लिए 1901 में उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया वहीं उनके द्वारा स्थापित ‘रेडक्रॉस संगठन’ को 1917, 1944 और 1963 में तीन बार नोबेल पुरस्कार से पुरस्कृत किया जा चुका है। यह इस संगठन की विशेषता ही है कि दुनिया भर में कहीं भी कोई युद्ध हो, महामारी हो या कोई प्राकृतिक आपदा आ जाए रेडक्रॉस संगठन बिना किसी भेदभाव के लोगों की मदद के लिए हर समय तत्पर रहता है।


विश्व भर में आज 200 के लगभग देशों में रेडक्रॉस सोसायटी काम कर रही है। भारत में रेड क्रॉस सोसाइटी का गठन पार्लियामेंट्री एक्ट के तहत 1920 में हुआ था। देश भर में इसकी 750 से अधिक शाखाएं कार्यरत हैं। 


रेडक्रॉस संगठन की एक बड़ी उपलब्धि ब्लड बैंक भी हैं। विश्व का पहला ब्लड बैंक रेडक्रॉस की पहल पर ही 1937 में अमेरिका में खुला था। दुनिया के अधिकांश ब्लड बैंक आज रेडक्रॉस और उनकी सहयोगी संस्थाओं द्वारा ही संचालित किए जा रहे हैं।


अमृता गोस्वामी

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