World War I: ऐसे हुई थी प्रथम विश्व युद्ध की शुरूआत, जानिए इसका भयावह इतिहास

By अनन्या मिश्रा | Jul 28, 2025

आप सभी ने फर्स्ट वर्ल्ड वॉर के बारे में काफी कुछ पढ़ा होगा। वैसे तो साल 1914 से 1918 तक लड़ा गया था। यह युद्ध एशिया, यूरोप और अफ्रीका तीन महाद्वीपों के आकाश, समुद्र और धरती में लड़ा गया था। लेकिन इसको मुख्य रूप से इसको यूरोप का महायुद्ध कहा जाता है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर इस लड़ाई को 'विश्व युद्ध' क्यों कहा जाता है और दुनिया पर इसका क्या प्रभाव पड़ा था।

प्रथम विश्व युद्ध

प्रथम विश्व युद्ध की वजह से करीब आधी दुनिया हिंसा के चपेट में आ गया था। इस दौरान करीब 1 करोड़ लोगों की मौत हुई थी। वहीं 2 करोड़ से अधिक लोग इस युद्ध में घायल हो गया था। साथ ही कुपोषण और बीमारियों जैसी घटनाओं से भी लाखों लोगों ने अपनी जान गंवाई थी। प्रथम विश्व युद्ध के खत्म होते-होते दुनिया के चार बड़े साम्राज्यों जर्मनी, रूस, उस्मानिया और ऑस्ट्रिया-हंगरी का विनाश हो गया था। इसके बाद यूरोप की सीमाएं फिर से निर्धारित हुई और महाशक्ति के रूप में अमेरिका दुनिया के सामने उभरा था।

बता दें कि प्रथम विश्व युद्ध के लिए किसी भी एक घटना को उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता है। प्रथम विश्व युद्ध को 1914 तक हुई तमाम घटनाओं और कारणों की वजह माना जा सकता है। लेकिन फिर भी इस युद्ध का तत्कालीक कारण यूरोप के सबसे विशाल ऑस्ट्रिया-हंगरी साम्राज्य के उत्तराधिकारी आर्चड्यूक फर्डिनेंड और उनकी पत्नी की हत्या को माना जाता है। 28 जून 1914 को उनकी हत्या हुई थी, जिसका आरोप सर्बिया पर लगाया गया था। इस घटना के 1 महीने बाद 28 जुलाई 1914 को सर्बिया पर ऑस्ट्रिया ने हमला कर दिया। फिर इस युद्ध में विभिन्न देश शामिल होते गए और इसने विश्व युद्ध का रूप ले लिया।

हालांकि 11 नवंबर 1918 को जर्मनी के ऑफिशियल रूप से सरेंडर करने के बाद युद्ध समाप्त हो गया। इसी वजह से 11 नवंबर को प्रथम विश्व का आखिरी दिन कहा जाता है। वहीं 28 जून 1919 को जर्मनी ने वर्साय की संधि, जिसको शांति समझौत भी कहा जाता है, इस पर हस्ताक्षर किए गए। वहीं इस कारण जर्मनी को अपनी भूमि का एक बड़ा हिस्सा गंवाना पड़ा। साथ ही सेना का आकार सीमित कर दिया गया और उस पर दूसरे राज्य पर कब्जा करने की पाबंदी लगा दी गई।

ऐसा माना जाता है कि वर्साय की संधि को जर्मनी पर जबरदस्ती थोपा गया। इस वजह से हिटलर और जर्मनी के अन्य लोग इसको अपना अपमान मानते थे और माना जाता है कि यह अपमान ही सेकेंड वर्ल्ड वॉर की वजह बना था।

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