By अभिनय आकाश | Sep 03, 2025
दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) को एक जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया। यह जनहित याचिका उच्च पदस्थ पुलिस और सीएपीएफ अधिकारियों के निजी आवासों में घरेलू नौकरानी के रूप में बीएसएफ और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) के कर्मियों के दुरुपयोग से संबंधित है। मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने जवाब मांगा और मामले को अगले साल जनवरी के लिए सूचीबद्ध कर दिया। यह जनहित याचिका (पीआईएल) बीएसएफ के सेवारत डीआईजी संजय यादव द्वारा दायर की गई है।
प्रतिवादियों ने याचिकाकर्ता के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाया। उनके वकील ने कहा कि बीएसएफ कर्मियों के दुरुपयोग के लिए उन पर भी मुकदमा चलाया गया था और उन्हें दंडित भी किया गया था। यह उन्हें इस मुद्दे को उठाने से नहीं रोकता है। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा उठाया गया मुद्दा मौजूद है। यह याचिका अधिवक्ता डॉ. सुरेंद्र सिंह हुड्डा के माध्यम से दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि जनशक्ति का इतना बड़ा दुरुपयोग, खासकर ऐसे समय में जब केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और असम राइफल्स में 83,000 से ज़्यादा पद रिक्त हैं, राष्ट्रीय सुरक्षा और कानून-व्यवस्था के लिए गंभीर ख़तरा पैदा करता है, और सरकारी खजाने पर भी बेवजह दबाव डालता है।
याचिकाकर्ता ने इस बात पर ज़ोर दिया है कि यह एक प्रचलित प्रथा है जिसमें सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के विभिन्न जवानों को सीमा पर आधिकारिक कर्तव्यों या कानून-व्यवस्था से हटाकर उच्च पदस्थ अधिकारियों के निजी घरों में घरेलू कामों के लिए तैनात किया जाता है। याचिका में कहा गया है हमारे देश के जवानों को विशेष रूप से एक उच्च पदस्थ अधिकारी के कुत्ते की देखभाल के लिए भी तैनात किया जाता है। याचिकाकर्ता, बीएसएफ में सेवारत उप महानिरीक्षक होने के नाते, इस प्रथा से अच्छी तरह वाकिफ़ हैं।