45 साल की अदावत से पहले 31 साल तक पक्के दोस्त रहे दोनों देश, ईरान और इजरायल में सीधी जंग हुई तो कौन पड़ेगा भारी?

 Iran and Israel
Prabhasakshi
अभिनय आकाश । Apr 19 2024 2:42PM

19 अप्रैल को हुए इजरायली हमले के बाद ईरान ने इमरजेंसी बैठक बुलाई है। कुल मिलाकर कहें तो मीडिया ईस्ट में तनाव बढ़ने के पूरे आसार नजर आ रहे हैं। इजरायल और ईरान एक दूसरे के कट्टर दुश्मन बन चुके हैं। दोनों आपस में एक दूसरे पर ड्रोन और मिसाइलों से हमला कर रहे हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि दोनों देश कभी एक दूसरे के पक्के दोस्त हुआ करते थे।

हम सुनेंगे सबकी लेकिन करेंगे अपने मन की। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अपने इस बयान से साफ कर दिया था कि वो ईरान से बदला लेंगे कब, कहां और कैसे? इस सवाल का जवाब आज सुबह सवेरे मिल गया। जब खबर आई कि कई दिनों की प्लानिंग के बाद इजरायल ने जुम्मे के दिन ईरान पर हमला कर दिया। आपको याद होगा कि 13 अप्रैल यानी शनिवार के दिन ईरान ने इजरायल पर रॉकेट और ड्रोन दागे थे। शनिवार यहूदियों के लिए पवित्र दिन माना जाता है। इस दिन को यहूदि सब्बाथ कहते हैं। अब इजरायल ने भी इस्लाम के पवित्र दिन शुक्रवार को ईरान पर हमला कर दिया। इजरायल ने ईरान पर एयरस्ट्राइक कर उसके इस्फहान शहर को निशाना बनाया। इससे पहले ईरान की तरफ से इजरायल पर 300 से ज्यादा मिसाइलें और ड्रोन लॉन्च किए गए थे। और उससे भी पहले इजरायल की तरफ से दमिश्वक में इजरायली दूतावास की इमारत को निशाना बनाया गया। हालांकि 19 अप्रैल को हुए इजरायली हमले के बाद ईरान ने इमरजेंसी बैठक बुलाई है। कुल मिलाकर कहें तो मीडिया ईस्ट में तनाव बढ़ने के पूरे आसार नजर आ रहे हैं। इजरायल और ईरान एक दूसरे के कट्टर दुश्मन बन चुके हैं। दोनों आपस में एक दूसरे पर ड्रोन और मिसाइलों से हमला कर रहे हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि दोनों देश कभी एक दूसरे के पक्के दोस्त हुआ करते थे। 

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इजरायल को मान्यता देने वाला पहला देश ईरान

1948 में इजरायल अस्तित्व में आया। उस वक्त उसे काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। 1948 में अरब इजरायल वॉर हुआ और फिर 1956 में स्वेज नहर संकट, 1967 में सिक्स डे वॉर, 1973 का युद्ध लेकिन ईरान कभी इन युद्धों में किसी की तरफ से शामिल नहीं हुआ।  इस दौरान दुनिया के अधिकतर मुस्लिम देश इजरायल के खिलाफ थे। उसे एक देश के तौर पर मान्यता देने से इनकार कर रहे थे। जब सभी मुस्लिम देश इजरायल के खिलाफ थे तब ईरान ने ही सबसे पहले इजरायल को मान्यता दी थी। इसके बाद इजरायल ने भारी तादाद में ईरान को हथियार सप्लाई करना शुरू कर दिया था। फिर ईरान की तरफ से भी इजरायल को तेल की सप्लाई की जाने लगी। दोनों देशों के बीच दोस्ती इतनी गहरी थी कि इजरायल और ईरान की खुफिया एजेंसियां टेक्नोलॉजी के साथ-साथ ज्वाइंट ट्रेनिंग भी साथ में किए। 

इस्लामिक क्रांति के बाद शुरू हुई रिश्तों में खटास 

ईरान में अयातुल्लाह खुमैनी की अगुवाई में इस्लामिक क्रांति की शुरुआत हुई। इजरायल के साथ ईरान के रिश्ते खराब होने लगे। खुमैनी ने अमेरिका और इजरायल को शैतानी देश कहना शुरू कर दिया। मुस्लिम राष्ट्र की मांग उठने लगे। 1979 में ईरान पूरी तरह से मुस्लिम राष्ट्र बन गया और इसी के साथ इजरायल के साथ ईरान के रास्ते अलग हो गए। दोनों देशों के बीच आवाजाही बंद हो गई। एयर रूट को पूरी तरह से बंद कर दिया गया। दोनों देशों के कूटनीतिक संबंधों पर विराम लग गया। आगे चल कर रिश्ते और बिगड़ गए जब ईरान ने इजरायल के विरोधी सीरिया, यमन और लेबनान जैसे देशों को हथियार की सप्लाई शुरू कर दी। अब दोनों देश जंग के मुहाने पर खड़े हैं और एक दूसरे पर रॉकेट और मिसाइल दागते नजर आ रहे हैं। 

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सीधा जंग हुई तो कौन पड़ेगा भारी

इज़राइली सेना के पास 3,000 से अधिक टैंक हैं, जिनमें 441 मर्कवा एमकेआई, 455 मर्कवा एमकेआईआई, 454 मर्कवा एमकेIII, 175 मर्कवा एमकेआईवी और 206 सेंचुरियन मॉडल शामिल हैं। रॉयटर्स के अनुसार, इजरायली सेना के पास लगभग 10,484 बख्तरबंद कार्मिक वाहक (एपीसी) और 5,432 तोपें हैं, जिनमें 620 मोटर चालित और 456 खींचे गए टुकड़े शामिल हैं। रॉयटर्स समाचार एजेंसी के अनुसार, ईरान की सेना के पास 1,613 टैंक हैं, जिनमें 100 स्थानीय रूप से निर्मित ज़ुल्फ़िकार, 1979 की क्रांति से पहले प्राप्त लगभग 100 पुराने ब्रिटिश-निर्मित चीफटेन एमके3 और एमके5 मॉडल, 150 यूएस-निर्मित एम-60ए1 और साथ ही 480 सोवियत-डिज़ाइन किए गए टी-72 शामिल हैं। तेहरान में 8,196 तोपखाने के टुकड़ों के अलावा, लगभग 640 एपीसी भी हैं - जिनमें से 2,010 खींचे गए हैं और 800 से अधिक मोटर चालित हैं।  

 मिसाइल शस्त्रागार  ईरानइजरायल 
 शॉर्ट रेंज शहाब-2 (1,280 किमी) जेरिको-1 (1,400 किमी)
 मीडियम रेंज ग़दर-1 (1,600 किमी) जेरिको-2 (2,800 किमी)
 लॉन्ग रेंज सज्जिल-2 (2,400 किमी) जेरिको-3 (5,000 किमी)

 मिसाइल शक्ति

ईरान की लगभग 1,000 रणनीतिक मिसाइलें, जो पूरी खाड़ी और उससे आगे तक मार करने में सक्षम मानी जाती हैं, कथित तौर पर रिवोल्यूशनरी गार्ड्स द्वारा नियंत्रित हैं, और इसमें ईरान निर्मित शहाब-1 (स्कड-बी), शहाब-2 सहित लगभग 300 कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलें शामिल हैं। तेहरान ने घरेलू स्तर पर शहाब-3 रणनीतिक मध्यवर्ती दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों (आईआरबीएम) का भी उत्पादन किया है, जिसकी अनुमानित सीमा 1,000 किमी तक है। ग़दर-1 की अनुमानित सीमा 1,600 किलोमीटर है और शहाब-3 संस्करण जिसे साज्जिल-2 के नाम से जाना जाता है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इसकी रेंज 2,400 किमी तक बताई गई है। यदि यह सच है, तो इज़राइल और पूर्वी यूरोप का अधिकांश भाग इसके दायरे में होगा। जनवरी 2009 में ईरान ने कहा कि उसने हवा से हवा में मार करने वाली एक नई मिसाइल का परीक्षण किया है। फिर 7 मार्च 2010 को ईरान ने कहा कि उसने कम दूरी की क्रूज़ मिसाइलों का उत्पादन शुरू कर दिया है, जिसे उन्होंने अत्यधिक सटीक और भारी लक्ष्यों को नष्ट करने में सक्षम बताया। रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के पास 24 लॉन्चर हैं।

 नेवल ईरान इजरायल
 कुल नेवी शिप 261 64
 मरचेंट मरीन 74 10
 पोत 3 4
एयरक्रॉफ्ट करियर  0 0
 डिस्ट्रॉयर 3 3
 सबमरीन 19 03
 फ्रिगेट 5 0
 पैट्रोल क्रॉफ्ट 198 42
 एम्बिस्यस  

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