पासपोर्ट अधिनियम के प्रावधान को चुनौती देने वाली Prashant Bhushan की याचिका पर न्यायालय में सुनवाई टली

Prashant Bhushan
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भूषण ने दिल्ली उच्च न्यायालय के जनवरी 2016 के फैसले के खिलाफ सर्वोच्च अदालत में अपील दाखिल की थी। उच्च न्यायालय ने पासपोर्ट अधिनियम के प्रावधान के खिलाफ उनकी याचिका खारिज कर दी थी।

उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को पासपोर्ट कानून के एक प्रावधान और किसी आरोपी को अदालत से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करने पर केवल एक वर्ष के लिए पासपोर्ट जारी करने की अधिसूचना की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई को गर्मियों की छुट्टियों के बाद तक के लिए स्थगित कर दिया।

न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ को सूचित किया गया था कि याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील जयंत भूषण उपलब्ध नहीं हैं जिसके बाद पीठ ने मामले को स्थगित कर दिया।

शीर्ष अदालत की ग्रीष्मकालीन छुट्टियां 20 मई को शुरू होंगी और आठ जुलाई से न्यायालय में पुन: काम शुरू होगा। शीर्ष अदालत ने वकील प्रशांत भूषण की याचिका पर पहले केंद्र और गाजियाबाद के क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय को नोटिस जारी किया था।

उन्हें कुछ प्रदर्शनों और धरनों में कथित रूप से शामिल होने के मामले में उनके खिलाफ दर्ज कुछ प्राथमिकियों के चलते केवल एक साल की अवधि के लिए पासपोर्ट जारी किया जाता है। भूषण ने दिल्ली उच्च न्यायालय के जनवरी 2016 के फैसले के खिलाफ सर्वोच्च अदालत में अपील दाखिल की थी। उच्च न्यायालय ने पासपोर्ट अधिनियम के प्रावधान के खिलाफ उनकी याचिका खारिज कर दी थी।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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