Mukhtar Ansari: जिसका कभी खौफ था, उसे भी खौफ ने ही मारा
पिछले दस वर्षो से मुख्तार अंसारी खौफ में जी रहा था। एक तरफ योगी सरकार उसको सजा दिलाने में लगी थी तो दूसरी ओर उसके विरोधी उससे हिसाब बराबर करने में लगे थे, इसी वजह से वह जेल में भी अपने आप को सुरक्षित नहीं समझता था।
लखनऊ। समय कभी एक सा नहीं रहता है। यह बात एक बार फिर मुख्तार की मौत ने साबित कर दी है। कभी जिसके नाम से गुंडे माफिया और बिल्डर्स कांपा करते थे, जब वह अपने काफिले के साथ सड़क से गुजरता था तो लोग अपने घरों की खिड़की-दरवाजे बंद कर लिया करते थे यहां तक सरकारें तक जिसके सामने नतमस्तक हो जाया करती थीं। मुकदमों की लम्बी चौड़ी लिस्ट उसके क्रूरता के किस्से बयां करती थी ऐसा शख्स या कथित बाहुबली मुख्तार अंसारी का ऐसा समय बदला की वह स्वयं खौफ में जीने लगा था।
पिछले दस वर्षो से वह खौफ में जी रहा था। एक तरफ योगी सरकार उसको सजा दिलाने में लगी थी तो दूसरी ओर उसके विरोधी उससे हिसाब बराबर करने में लगे थे, इसी वजह से वह जेल में भी अपने आप को सुरक्षित नहीं समझता था। किसी ने नहीं सोचा था कि कभी वह माफिया भी खौफ के साए में जिंदगी की जंग हार जायेगा, जिससे उसका करीबी नाता था। तमाम लोगों को मौत के घाट उतार देने वाले मुख्तार अंसारी, जिसकी मौत हुई तो हार्ट अटैग के चलते लेकिन उसके पीछे कानून का खौफ भी शामिल था, जो उसको उसके पुराने गुनाह याद दिला रहा था।
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जब से मुख्तार पंजाब से बांदा जेल आया था, शायद ही कोई ऐसा दिन रहा हो, जब उसने यूपी की जेल से दूसरी जेल भेजे जाने की इच्छा न की हो। यही वजह थी कि कब वह ब्लड प्रेशर, शुगर और पेट की बीमारी की गिरफ्त में आ गया, उसे खुद ही नहीं पता चला। इसके अलावा उसे लगातार दो-तीन मामलों में आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा चुकी है। वहीं, जिस दिन से प्रदेश में अतीक और उसके भाई की हत्या हुई है, तभी से मुख्तार के दिल में कानून और मौत का खौफ और पैदा हो गया था। यही वे हालात थे कि जेल में उसका एक-एक दिन एक-एक साल के बराबर बीत रहा था। आखिर में वह घड़ी भी आ गई, जब खौफ ही उसके लिए मौत बन गया और उसकी धड़कनों ने उसका साथ छोड़ दिया।
दो दिन पहले जब मुख्तार की हालत बिगड़ने पर उसे जेल से मेडिकल कॉलेज लाया गया था, तभी भाई अफजाल और बेटे उमर अब्बास ने पिता की मौत की आशंका जताई थी। जेल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए थे। अफजाल ने तो यह तक कहा था कि उसके भाई की हत्या का सातवीं बार प्रयास किया गया है। इस बार भी 19 मार्च को उन्हें खाने में जहर दिया गया था। वहीं बेटे उमर ने भी प्रशासन पर आरोप मढ़ते हुए कहा था कि उसे पिता से मिलना तो दूर शीशे से देखने तक नहीं दिया गया था।
खैर, अब मुख्तार अंसारी एक इतिहास बन चुका है, इसके साथ ही पूर्वांचल में अपराध का एक और पन्ना हमेशा के लिये बंद हो गया। अतीक अहमद की हत्या के बाद मुख्तार अंसारी की मौत से पूर्वांचल के अन्य कई माफियाओं में भी दहशत व्याप्त हो गई हैं उनको लगता है कि अतीक और मुख्तार के बाद वह भी किसी अप्रिय घटना के शिकार हो सकते हैं।
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