भारतीय सेना का 'मिलिट्री फार्म' इस वजह से हुआ बंद, एक सदी से ज्यादा का है इतिहास

By अभिनय आकाश | Apr 01, 2021

फौजी अधिकारियों और जवानों को अब फौजी गायों से उनका दूध, मक्खन और पनीर नहीं मिलेगा। भारतीय सेना के सबसे पुराने मिलिट्री फार्म को बंद करने का निर्णय लिया है। अधिकारियों के अनुसार इसे बंद करने से संबंधित समारोह का आयोजन दिल्ली छावनी में मिलिट्री फार्म्स रिकॉड्स में किया गया। दिल्ली कैंट में बुधवार को आखिरी बार मिलिट्री फार्म के झंडे को हमेशा के लिए उतार दिया गया। 

मिलिट्री फार्म को बंद करने की हुई थी सिफारिश

शेखटकर कमेटी ने मिलिट्री फार्म को बंद करने की सिफारिश की थी। जिसके बाद कैबिनेट से इसी स्वीकृति मिली। मिलिट्री फार्म के बंद होने के बाद इस जमीन को सैनिकों के रहने और अन्य व्यवस्थाओं के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। रक्षा मंत्रालय ने अगस्त 2017 में कई सुधारों की घोषमा की थी जिनमें सैन्य फार्म को  बंद करना भी शामिल था।

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एक सदी से ज्यादा का है इतिहास

1 फरवरी 1889 को पहला मिलिट्री फार्म इलाहाबाद में स्थापित किया गया था। पिछले 132 सालों में मिलिट्री फार्म ने 3.5 करोड़ लीटर दूध सेना के जवानों को उपलब्ध कराया है। आजादी के बाद भारतीय सेना के मिलिट्री फार्म की संख्या 130 थी जिसमें 30 हजार से भी ज्यादा मवेशी थे। 1990 में लेह-लद्दाख में भी मिलिट्री फार्म स्थापित किया गया था। जिससे सीमा पर तैनात जवानों को हर मौसम में मिलिट्री फार्म से ताजा दूध भेजा जा सके। 

राज्य सरकारों को सौंपी जाएंगी गायें

मिलिट्री फार्म के मवेशियों को बेहद ही कम कीमतों पर राज्य सरकारों को दिया गया। इन मिलिट्री फार्म के बंद होने से जो सिविलियन रक्षा मंत्रालय के अधीन काम करते हैं, उन्हें दूसरे विभागों में तबादला कर दिया गया है। 

 

 


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