Matrubhoomi: ये हैं भारत की 5 सबसे पुरानी कंपनियां, 150 साल से अधिक समय से देश में कर रही हैं व्यापार

By अभिनय आकाश | Apr 01, 2022

भारत को आज पेटीएम, ओला, ज़ोमैटो जैसे बेतहाशा आउट-ऑफ-द-बॉक्स स्टार्टअप्स मौजूद है। लेकिन यह उद्यमशीलता का क्रेज कुछ ऐसा नहीं है जो हाल के वर्षों में देखने को मिला हो। भारतीयों ने एक करियर विकल्प के रूप में 'व्यापार' की क्षेत्र में कदम बढ़ाए और अपने झंडे गाड़े हैं। स्टार्टअप के दौर में जहां हर रोज देश में नई कंपनियां खुल रही हैं और बंद हो रही हैं। लेकिन इसके साथ ही आज भी देश में ऐसी कई कंपनियां हैं जिनकी उम्र 100 साल से भी अधिक हैं। इस लेख में हम भारत की कुछ सबसे पुरानी कंपनियों पर एक नज़र डालेंगे जो पिछले एक शताब्दी से वर्तमान दौर तक फल-फूल रही हैं। 

भारत की 5 सबसे पुरानी कंपनियां 

1. वाडिया समूह (1736)

2. ईद-पैरी लिमिटेड (1788)

3. भारतीय स्टेट बैंक - एसबीआई (1806)

4. आरपीजी समूह (1820)

5. आदित्य बिड़ला समूह (1857)

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वाडिया समूह

ये भारत का सबसे पुराना समूह है जिसकी स्थापना 1736 में हुई थी। एक  पारसी व्यवसायी लवजी नसरवानजी वाडिया ने जहाजों और डॉक बनाने के लिए ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ अनुबंध हासिल किया था। कंपनी ने 300 से अधिक जहाजों का निर्माण किया, उनमें से कुछ का उपयोग एचएमएस मिंडेन और एचएमएस त्रिंकोमाली जैसे युद्धों में भी किया गया था। लवजी और उनके भाई सोराबजी के नेतृत्व में वाडिया समूह ने बॉम्बे ड्राई डॉक भी बनाया जो एशिया का पहला ड्राई डॉक और सूरत शिपब्रेकिंग यार्ड था। उन्हें बॉम्बे को एशिया में अंग्रेजों के लिए एक रणनीतिक बंदरगाह बनाने का श्रेय भी दिया जा सकता है। कंपनी को 1879 में बॉम्बे डाइंग कंपनी शुरू करने का भी श्रेय दिया जाता है जो आज उनके साम्राज्य की एक प्रमुख कंपनी है। कंपनी को एक छोटे पैमाने के संचालन में शुरू किया गया था जहां सूती धागे को लाल, हरे और नारंगी रंग में डुबो कर काटा और रंगा जाता था। वर्तमान में कंपनी के पास 1,500 करोड़ रुपये से अधिक का एमकैप है। आज यह समूह विमानन, स्वास्थ्य सेवा, रसायन, एफएनसीजी जैसे क्षेत्रों में कार्य करता है और यहां तक ​​कि आईपीएल टीम पंजाब किंग्स का भी स्वामित्व वाडिया ग्रुप के पास है। 

ईद-पैरी लिमिटेड

कई अन्य कंपनियों के विपरीत ईद-पैरी लिमिटेडकी स्थापना 1788 में अंग्रेजी व्यापारी थॉमस पैरी द्वारा पैरी एंड कंपनी के रूप में की गई थी। इसे चीनी और स्प्रिट के लिए एक व्यापारिक कंपनी के रूप में बनाया गया था। 6 दशकों में कंपनी देश की चीनी की सबसे बड़ी व्यापारी बन गई थी। इसने कंपनी को ईस्ट इंडिया डिस्टिलरीज एंड शुगर फैक्ट्रीज लिमिटेड बनाकर अपनी स्पिरिट और चीनी कारोबार का फैलाव किया। 1962 में कंपनियों का एक बार फिर विलय हो गया और मुरुगप्पा समूह द्वारा इसे अधिग्रहण कर लिया गया। आज भी कंपनी चीनी कारोबार में एक बड़ी कंपनी है, जिसकी क्षमता प्रतिदिन 32,500 (TCD) मीट्रिक टन गन्ने की पेराई करने की है।

भारतीय स्टेट बैंक

कई लोगों को आश्चर्य होता है कि एसबीआई न केवल सबसे पुराना बैंक है, बल्कि एक अलग ही उद्देश्य एक लिए इसका गठन किया गया था। 1806 में बैंक ऑफ कलकत्ता के रूप में इस बैंक को मुख्य रूप से ब्रिटिश जनरल वेलेस्ली के मराठों और मैसूर के शासक टीपू सुल्तान के खिलाफ युद्ध को निधि देने के लिए स्थापित किया गया था! 1809 में बैंक का नाम बदलकर बैंक ऑफ बंगाल कर दिया गया। देश के अन्य बैंकों के साथ विलय के बाद 1 जुलाई को 1955 में इंपीरियल बैंक का नाम बदलकर भारतीय स्टेट बैंक रखा गया था। आज एसबीआई देश के सबसे बड़े बैंकों में से एक है जिसका मार्केट कैप रु. 3.76 लाख करोड़। 2020 में एसबीआई को दुनिया के 43 वें सबसे बड़े बैंक के रूप में और फॉर्च्यून 500 द्वारा 221 वें सबसे बड़े निगम के रूप में स्थान दिया गया था।

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आरपीजी समूह

देश के दिग्गज उद्योगपतियों में शामिल आरपी गोयनका को लोग काफी सम्मान की नजर से देखते हैं। उनकी जड़ें 19वीं सदी में भी देखी जा सकती हैं जब रामदत्त गोयनका ने 1820 में इसकी स्थापना की थी। आरपीजी इंटरप्राइजेज का गठन करने वाले आरपी गोयनका उद्योग संगठन फिक्की और एशिया-पेसेफिक चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष रहे। इसके अलावा लंबे समय तक आईआईटी खड़गपुर में बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के चेयरमैन का पद भी संभाला। वे 2000 से 2006 के बीच राज्य सभा के सदस्य भी रहे थे। उन्होंने कई अन्य व्यवसायों के बीच डंकन ब्रदर्स और ऑक्टेवियस स्टील को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे कंपनी एक समूह बन गई। आज ये समूह अपनी प्रमुख कंपनियों जैसे सिएट टायर्स और फार्मास्युटिकल कंपनी आरपीजी लाइफ साइंसेज के लिए जाना जाता है। 

आदित्य बिड़ला ग्रुप

देश के सबसे बड़े समूह में से एक आदित्य बिड़ला समूह की स्थापना 1857 में शिव नारायण बिड़ला ने की थी। लेकिन घनश्यामदास बिड़ला ही थे जिन्होंने बिड़ला कंपनियों को आज जिस मुकाम पर पहुंचाया है, वहां पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई। विश्व युद्ध के दौरान बोरियों की बढ़ती मांग के कारण कंपनी ने जूट में एक व्यापारिक व्यवसाय स्थापित किया। अरबों डॉलर का समूह आज एक लंबा सफर तय कर चुका है। समूह कपड़ा, वित्त, सीमेंट, खनन, धातु, खुदरा और दूरसंचार उद्योग में काम करता है।

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