By अभिनय आकाश | Jun 07, 2023
कबीर दास जी ने कहा था कि "धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय, माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय।" इसका अर्थ है कि मन में धीरज रखने से सबकुछ होता है। अगर कोई माली किसी पेड़ को सौ घड़े के पानी से सींचे तो भी उस पर फल ऋतु आने पर ही लगेगा। नए संसद भवन के नक्शे में अखंड भारत के जिक्र ने एक बार फिर से इस परिकल्पना को जीवंत कर दिया है। हमारे देश में कई बार अखंड भारत की बात समय समय पर की जाती है। जिसमें आज के भारत के अलावा पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों को भी जोड़ कर साथ में देखा जाता है। वैसे तो सुनने के साथ ही कई लोग इसे कपोर परिकल्पना कह सिरे से खारिज कर देते हैं। लेकिन अगर हम यूरोप या अफ्रीका की तरफ जाए तो हमें यूरोपीयन यूनियन या अफ्रीकन यूनियन के रूप में दो उदाहरण मिलते हैं जिससे सीखकर हम भारतीय उपमहाद्वीप में कुछ इस तरह की व्यवस्था बना सकते हैं। लेकिन ये व्यवस्था कैसी होगी और इसमें आज के भारत का क्या रोल होगा इन सभी सवालों के जवाब आपको अखंड भारत के इस दूसरे भाग में बताएंगे। पहले-दूसरे भाग में जहां हमने आपको मौर्य शासन के दौरान भारत को एक सूत्र में पिरोने और फिर धीरे-धीरे आंक्राताओं के आक्रमण के बाद ब्रिटिश शासन से गुजरते हुए भारत के खंडित होने की कहानी सुनाई। अब आइए आपको अखंड भारत के आगे के सफर पर लिए चलते हैं।
भारत, अखंडता और संघ
संघ की दृष्टि में राष्ट्र एक राजनीतिक सत्ता नहीं है, जो एक राजनीतिक शक्ति से शासित होती है। एक सांस्कृतिक सत्ता है इसलिए भारत के राष्ट्रगाण में पंजाब, सिंध, गुजरात, मराठा है। सिंध हमारे भारत का हिस्सा नहीं है। इंडस वैली सिविलाइजेशन का ज्यादातर हिस्सा पाकिस्तान में है। ननकाना साहिब और करतारपुर साहिब दोनों पाकिस्तान में है लेकिन भारतीय इतिहास में पढ़ाया जाता है। इसी तरह गांधार भी अफगानिस्तान में है। भारत की अखंडता का विस्तार वेस्ट इंडीज तक था। वहां के मूल निवासियों को इंडियन कहा जाता है। इंडोनेशिया का अर्थ ग्रीक में निशिया का मतलब द्वीप होता है। इसका मतलब है भारतीय द्वीप। हमारा ब्रह्म संवत एक अरब सत्तानवे करोड़ चालीस लाख 29 हजार 124 यानी 1,97 बिलियन सालों की अखंडता। अब ये चेतना जग रही है तो उनता लड़ने की जरूरत नहीं पड़ेगी और ये स्वयं साकार होकर आ जाएगी।
यूरोपीयन यूनियन में क्या होता है?
यूरोप के ज्यादातर देश यूरोपीयन यूनियन का हिस्सा हैं। इससे इन्हें कई तरह के फायदे मिलते हैं। इससे यूरोप में शांति बनी रहती है। यूरोप के देश आपस में सेना नहीं भेजते हैं। इसके अलावा अगर कोई देश ईयू का हिस्सा है तो आप बिना वीजा के न केवल किसी भी देश में घूम सकते हैं बल्कि वहां पढ़ाई और काम भी कर सकते हैं। ईयू के देशों के बीच में इतना तालमेल है कि अगर अगर आपको एक-दूसरे देशों को सामान एक्सपोर्ट-एक्सपोर्ट करना है तो कोई एक्सट्रा कर नहीं देना होता है। यहां तक की मोबाइल का रोमिंग चार्ज नहीं लगता। एक ही करेंसी के इस्तेमाल होने की वजह से यूरो इतना मजबूत है। यूरोपीयन यूनियन की अपनी एक अलग पार्लियामेंट भी होती है, जहां पर संसद को जनता द्वारा चुना जाता है। सभी देशों के प्रतिनिधि वहां होते हैं।
कैसा होगा अखंड भारत
एरिया: भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, तिब्बत, म्यांमार और श्रीलंका अखंड भारत में आते हैं और उस देश का कुल क्षेत्रफल 83.97 लाख लर्ग किलोमीटर का होगा। क्षेत्रफल के लिहाज से अखंड भारत दुनिया का छठा सबसे बड़ा देश होगा। अभी भारत ऑस्ट्रेलिया के बाद सातवां बड़ा देश है। मौजूदा आंकड़ों के मुताबिक, 170 करोड़ आबादी होगी. 55 करोड़ मुस्लिम, 100 करोड़ से ज्यादा हिंदू होंगे. मुस्लिम आबादी 32% और हिंदुओं की आबादी 60% से कम होगी. 2011 की जनगणना के मुताबिक, अभी 80% हिंदू और 14% मुस्लिम आबादी है। अखंड भारत की जीडीपी 300 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की होगी। जिसमें सबसे ज्यादा जीडीपी भारत की ही होगी। अखंड भारत अभी की तरह दुनिया की पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहेगा।
अखंड भारत बनने से क्या फायदा होगा
अभी अगर पाकिस्तान और भारत समेत सभी देश एक हो जाते हैं, तो हमारा मिलिट्री का बजट लगभग आधा हो जाएगा। कोई देश किसी दूसरे देश को शक की निगाह से नहीं देखेगा। जब ये खर्च कम होगा तो सभी देशों में डेवलपमेंट के काम किए जा सकेंगे। इसके साथ ही चीन जैसे बड़े खतरे को भी आसानी से संभाला जा सकता है। अभी अगर पाकिस्तान और नेपाल को छोड़ दे तो सभी साउथ ईस्ट एशियन देशों के संबध चीन से उतने अच्छे नहीं है। साउथ चाइना सी में सात से आठ देशों का अधिकार है। उस पर चीन ने पूरी तरह से कब्जा किया हुआ है। लेकिन ये छोटे देश हैं। इसलिए चीन के खिलाफ बड़ी कार्रवाई नहीं की जा सकती है। अगर अखंड भारत बन जाए तो चीन अपने आप लाइन पर आ जाएगा और किसी भी देश को परेशान करने से पहले 100 दफा सोचेगा।
क्या ऐसा संभव है?
दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं है। हालांकि ये बेहद मुश्किल जरूर है। सभी देश आज आजाद हैं और उनका अपना संविधान है। अपनी राजनीतिक व्यवस्था है। इन्हें वापस जोड़ने के दो रास्ते हैं। पहला ये कि जंग करके भारत इन पर कब्जा कर ले। जिसकी फिलहाल कोई संभावना नहीं है। दूसरा ये कि ये देश खुद ही अपनी मर्जी से अखंड भारत में शामिल हो जाए। लेकिन इसके अलावा तीसरा विकल्प ये भी है कि ईयू कि तर्ज पर ऐसा गठबंधन बने। एक यूनियन हो और उसका एक पार्लियामेंट हो जहां सभी देश मिलकर बिल पास करे और उस पर एक्शन ले। अभी हमारे पास क्यू ऑपरेशन के नाम पर केवल शार्क समिट है। लेकिन ये बात सभी जानते हैं कि हर साल इसका महत्व और घटता ही जा रहा है। अखंड भारत के प्लान में एक बड़ा फायदा अर्थव्यवस्था को भी पहुंचेगा। इससे सभी देश ट्रेड करना आसान हो जाएगा। यानि कि हम अपना माल कही और भेजन की बजाए इतने बड़े मार्केट में खुद बड़ा बाजार मौजूद होगा। सभी के पास ये ऑप्शन होगा कि वो कही भी रहकर पढ़ाई और रोजगार कर सकते हैं। लेकिन पाकिस्तान और अफगानिस्तान में फैला आतंकवाद हमें थोड़ा डराता भी है। इसके अलावा म्यामांर और बांग्लादेश में बौद्ध नरसंहार भी देखने को मिला है। अगर हमें यूरोपीयन यूनियन के मॉडल पर चलना है तो सभी जातियों और धर्मों को आपस में एक साथ मिलकर रहना सीखना होगा और भारत की गंगा-जमुनी तहजीब भी यही सदियों से कहती आई है।