MY पर भरोसा, गैर यादव OBC का दांव, BJP के फॉर्मूले पर अखिलेश यादव ने बिछाई बिसात

By अभिनय आकाश | Jan 25, 2022

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर अखिलेश यादव का जोश हाई है। उन्हें सरकार बनती दिख रही है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि कैसे? जानकारों की राय में अखिलेश के इस आत्मविश्वास की सबसे बड़ी वजह वो छोटे दल हैं जिनके बलबूते ही बीजेपी ने प्रदेश के दोबारा मुख्यमंत्री बनने के सपने को चकनाचूर किया था। इस बार अखिलेश इन्हीं छोटे-छोटे दलों को साथ लेकर उत्तर प्रदेश की सत्ता में वापस लौटने का मौका तलाश रहे हैं। जिसके लिए उन्होंने गैर यादव ओबीसी पर दांव खेला है। समाजवादी पार्टी की पहली सूची में समाजवादी पार्टी (सपा) ने अपने 159 प्रत्याशियों की लिस्ट जारी की, जिसमें 31 मुस्लिमों को टिकट दिया है। लेकिन सपा की लिस्ट में सपा और मुस्लिमों से ज्यादा गैर यादव ओबीसी को जगह मिली है। 

जातिय समीकरण को साधने की कोशिश  

समाजवादी पार्टी की लिस्ट में मुसलमानों और यादवों के अलावा गैर यादव ओबीसी को भी साधने की कोशिश हुई। इसके तहत अखिलेश ने इस बार 66 ओबीसी प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है। सपा ने 14 ब्राह्मणों को भी उम्मीदवार बनाया है। इसके अलावा 10 कायस्थ/बनिया, 7 ठाकुर, तीन सिख और दो अन्य प्रत्याशियों पर भी दांव लगाया है। टिकट वितरण में सवर्णों (ब्राह्मण+ठाकुर+कायस्थ/बनिया) की हिस्सेदारी 16.14 फीसदी है।

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अखिलेश यादव की नई रणनीति 

बीजेपी ने गैर यादव ओबीसी वोटरों को अपने पाले में लाकर एक अलग वोट बैंक तैयार किया। सपा अब इसी फॉर्मूले पर अपनी नई सोशल इंजीनियरिंग की तैयारी में लगी है। सपा ने 64 ओबीसी उम्मीदवारों को टिकट दिया है। इसमें 15 यादव उम्मीदवार हैं जबकि गैर यादव ओबीसी प्रत्याशियों की संख्या 49 है। अखिलेश ने गैर यादव ओबीसी जातियों पर एक बड़ा दांव चला है। यूपी की ओबीसी आबादी में यादवों के बाद सबसे ज्यादा कुर्मियों की आबादी मानी जाती है। कुर्मियों को 12, 5 मौर्य, 4 गड़रिया और एक लोधी जाति के प्रत्याशी को सपा ने अपना उम्मीदवार बनाया है।  

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