धमकी देता रह गया अमेरिका, बगराम पर भारत ने जमा लिया अपना कब्जा

By अभिनय आकाश | Nov 04, 2025

अमेरिका ने बनाया, सोवियत ने जीता। अमेरिका ने फिर हासिल किया और आखिरकार तालिबान को विरासत में मिल गया। तालीबान से फिर इसे वापस अपने कब्जे में लेने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा था कि तालिबान बगराम को वापस अमेरिका को सौंप दे। नहीं तो परिणाम बुरे भुगतने होंगे। ट्रंप की धमकी पर तालिबान का पलटलार भी देखने को मिला। लेकिन ये सब तो पुरानी बातें हो गई हैं। अब फिलहाल इस एयरबेस पर तो भारत ने एंट्री मार ली है। 

सोवियत-अमेरिका और बगराम

अफनिस्तान में बगराम एयरबेस का निर्माण करवाया था। उस वक्त सोवियत और अमेरिका नजदीक हुआ करते थे। दोनों देशों के बीच पुल का काम अफगानिस्तान किया करता था। लेकिन बाद में हालात बदल गए। उस वक्त अफगानिस्तान काफी हद तक सोवियत के प्रभाव में हुआ करता था। 1970 तक यहां राजा का शासन हुआ करता था। पर्यटकों के लिए अफगानिस्तान एक शानदार जगह हुआ करती थी। लेकिन 1973 में राजा की सत्ता का तख्तापलट कर दिया गया और फिर यहां से शुरू हुआ अफगानिस्तान की बर्बादी का सिलसिला। इसी आपस की लड़ाई में सोवियत भी मैदान में आ जाता है और तब सोवियत बगराम एयरबेस पर अपने सैन्य विमान उतारता है।

ट्रंप ने मांगा बगराम, भड़का तालिबान

ट्रंप ने अफ़ग़ानिस्तान के तालिबान शासकों से बगराम को सौंपने का बार-बार आह्वान किया है, लगभग पाँच साल पहले 2020 के एक समझौते ने काबुल से अमेरिका की वापसी का रास्ता साफ़ किया था। 18 सितंबर को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि हमने तालिबान को मुफ़्त में दे दिया। हम उस अड्डे को वापस चाहते हैं। दो दिन बाद, उन्होंने ट्रुथ सोशल पर चेतावनी दी, अगर अफ़ग़ानिस्तान बगराम एयरबेस को इसे बनाने वालों, यानी संयुक्त राज्य अमेरिका को वापस नहीं करता है, तो बुरा होगा! हालांकि, तालिबान ने इस अनुरोध को दृढ़ता से खारिज कर दिया है। मुख्य प्रवक्ता ज़बीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा कि अफ़ग़ान किसी भी हालत में अपनी ज़मीन किसी को भी नहीं सौंपने देंगे।

ट्रम्प बगराम क्यों चाहते हैं?

काबुल से लगभग 50 किलोमीटर दूर स्थित बगराम हवाई अड्डा, अफ़ग़ानिस्तान का सबसे बड़ा सैन्य हवाई अड्डा है, जिसमें 3 किलोमीटर और 3.6 किलोमीटर के दो कंक्रीट रनवे हैं। इसकी रणनीतिक स्थिति और बुनियादी ढाँचा इसे अफ़ग़ान हवाई क्षेत्र, खासकर देश के ऊबड़-खाबड़ इलाकों में, नियंत्रण के लिए एक महत्वपूर्ण गढ़ बनाता है। बगराम ने 2001 के बाद अमेरिका के नेतृत्व वाले "आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध" में एक केंद्रीय भूमिका निभाई थी। मॉस्को फ़ॉर्मेट वक्तव्य में एक स्वतंत्र, एकजुट और शांतिपूर्ण अफ़ग़ानिस्तान के लिए समर्थन की पुष्टि की गई और द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय स्तरों पर आतंकवाद-रोधी सहयोग पर ज़ोर दिया गया। प्रतिभागियों ने आतंकवाद के उन्मूलन और अफ़ग़ानिस्तान की धरती को क्षेत्रीय या वैश्विक सुरक्षा ख़तरे के रूप में इस्तेमाल होने से रोकने के लिए व्यापक उपायों का आग्रह किया, जो पाकिस्तान के संबंध में भारत की चिंताओं को दर्शाता है। 

बगराम ने अमेरिका के घमंड को तोड़ा  

अफगानिस्तान के आंतरिक संघर्षों की वजह से ही 1979 में अफगानी सत्ता में सोवियत की बैठ बढ़ जाती है। अमेरिका भी इस पूरे संघर्ष पर नजर बनाए रखता है। 1959 में अमेरिकी राष्ट्रपति वाइट आइजन हावर पहले अमेरिकी राष्ट्रपति थे जो बगराम एयरबेस की यात्रा करते हैं। 2006 में जॉर्ज बुश बगराम पहुंचते हैं। बराक ओबामा ने 2010, 2012 और 2014 में इस एयर फील्ड का कई बार औचक दौरा भी किया था। क्योंकि इसी एयरबेस से अमेरिका पूरे दो दशक तक तालिबान को कंट्रोल करने की कोशिश करता रहा था।  

बेआरबरू होकर अफगानिस्कान से अमेरिकी सैनिकों की रवानगी

2021 में एक ऐसा वक्त भी आया जब अमेरिका को इस एयरबेस को रातोंरात छोड़ना पड़ा। मतलब अफगानिस्तान से भागना पड़ा। अमेरिका अफगानिस्तान के एयरबेस के साथ-साथ अपना घमंड भी यहां छोड़कर गया था। हथियारों का जखीरा आधुनिक सैन्य वाहन और जो भी संसाधन उसने यहां जुटाए थे। एक झटके में सब छोड़कर उसे जाना पड़ा। कुछ रिपोर्ट्स दावा करती हैं कि हथियार करीब 50 बिलियन डॉलर तक के हो सकते हैं जिन पर आज तालिबान का कब्जा है।

भारत की होगी रणनीतिक जीत?

भारत के साथ मिलकर तालिबान कूटनीति के साथ भावनात्मक संबंधों में भी सुधार कर रहा है। तो ऐसे में देखना होगा कि क्या भारत तालीबान को इस एयरबेस के लिए मना पाता है या नहीं। क्योंकि भारत को अगर यह एयरबेस मिल जाता है तो भारत के लिए एक बहुत बड़ी रणनीतिक जीत होगी। अमेरिका को जवाब होगा और रणनीतिक तौर पर ये पाकिस्तान और अमेरिका की जो जुगलबंदी है जो गठजोड़ है उसकी एक बहुत बड़ी हार होगी।  

प्रमुख खबरें

रूसी राष्ट्रपति पुतिन का विमान भारत जाते समय दुनिया का सबसे ज़्यादा ट्रैक किया जाने वाला विमान था

Shikhar Dhawan Birthday: वो गब्बर जिसने टेस्ट डेब्यू में मचाया था तहलका, जानें शिखर धवन के करियर के अनसुने किस्से

Parliament Winter Session Day 5 Live Updates: लोकसभा में स्वास्थ्य, राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक पर आगे विचार और पारित करने की कार्यवाही शुरू

छत्तीसगढ़ : हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल की तबीयत बिगड़ी, अस्पताल में भर्ती