By अभिनय आकाश | Jan 27, 2022
पश्चिमी उत्तर प्रदेश का मिजाज बदलने के लिए भाजपा के चाणक्य अमित शाह ने कमान संभाल ली है। देश के सबसे बड़े सूबे की सबसे बड़ी जंग को जीतने के लिए भाजपा के सबसे बड़े चाणक्य ने जाटलैंड में घेराबंदी शुरू कर दी है। जाटों को अपने पाले में लाने के लिए दिल्ली में 250 से ज्यादा जाट नेताओं से अमित शाह ने मुलाकात भी की। इस मुलाकात के जरिये भाजपा ने जाटलैंड में बड़ा संदेश देने की कोशिश की है। इसके अलावा उन्होंने जाट नेता जयंत चौधरी को भी बीजेपी के साथ आने का खुला ऑफर दे दिया है। लेकिन इस ऑफर पर जयंत ने फौरन पलटवार किया और साफ कर दिया कि न्यौता मुझे नहीं बल्कि उन 700 से ज्यादा किसान परिवार को दें जिनके घर आपने उजार दिए।
अखिलेश-जयंत देंगे जवाब
अमित शाह ने 250 से ज्यादा जाट नेताओं से मुलाकात कर सूबे की राजनीति का पारा चढ़ा दिया है। अमित शाह के जाटलैंड में सेंधमारी के बाद अब बारी अखिलेश यादव और जयंत चौधरी पर हर किसी की नजर टिकी थी। अखिलेश यादव और जयंत चौधरी 28 जनवरी से एक साथ पश्चिमी यूपी का दौरा करने जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि इस दौरान आरएलडी प्रमुख जयंत और सपा अखिलेश यादव जाट बहुल मुजफ्फरनगर में प्रेस कॉफ्रेंस करके जाट समुदाय को बड़ा सियासी संदेश देने जा रहे हैं। बता दें कि चुनावी रैलियों और सभाओं पर वैसे तो चुनाव आयोग की रोक है, लेकिन घर-घर जाकर जनसंपर्क करने की मनाही नहीं है। ऐसे में यही माना जा रहा है कि अखिलेश और जयंत की जोड़ी डोर टू डोर कैंपेन करने मुजफ्फरनगर में 28 जनवरी से उतरेगी।
दोनों चरणों के चुनाव में जाट और मुस्लिम वोटर काफी अहम
उत्तर प्रदेश में सात चरणों में मतदान होना है। पहले चरण में 10 फरवरी को 11 जिलों की 58 सीटों पर मतदान होगा। इसमें शामली, मुजफ्फरनगर, बागपत, मेरठ, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, हापुड़, बुलंदशहर जिले प्रमुख हैं। दूसरे चरण में 14 फरवरी को नौ जिलों की 55 विधानसभा सीटों पर मतदान होगा। इसमें सहारनपुर, बिजनौर, मुरादाबाद, संभल, रामपुर, बरेली, अमरोहा, पीलीभीत प्रमुख जिले हैं। पहले दोनों चरणों में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अधिकांश इलाकों में चुनान होंगे, जहां जाट और मुस्लिम वोटर काफी अहम माने जाते हैं।
किसान आंदोलन और जाट समुदाय में भाजपा के खिलाफ नाराजगी
पिछले चुनावों में भाजपा ने इस इलाके में अच्छा प्रदर्शन किया था लेकिन इस बार किसान आंदोलन की वजह से क्षेत्र के किसानों और जाट समुदाय में भाजपा के खिलाफ नाराजगी देखने को मिली है। ज्ञात हो कि किसानों, जाटों और दलितों के साथ ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुसलमानों की आबादी अच्छी है। हर चुनाव में भाजपा पर इस इलाके में साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण करने की कोशिश के आरोप लगते रहे हैं। इस बार भाजपा की ओर से पलायन और ‘‘80 बनाम 20’’ जैसे मुद्दों को उठाकर ध्रुवीकरण की कोशिश की जा रही है। दूसरी तरफ सपा और रालोद भी जाट वोटों को अपने साथ जोड़े रखने की कवायद शुरू कर दी है। इसी क्रम में सपा प्रमुख अखिलेश यादव और जयंत चौधरी मुजफ्फरनगर में एक साथ प्रेस को संबोधित करने वाले हैं और जाट समुदाय को साधे रखने के लिए अपना एजेंडा भी साफ करेंगे।