PGDAV सांध्य कॉलेज में हर्षोल्लास से मनाया गया वार्षिक सांस्कृतिक महोत्सव

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Mar 02, 2020

नयी दिल्ली। प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी पी.जी.डी.ए.वी महाविद्यालय (सांध्य) द्वारा दो-दिवसीय (27 और 28 फरवरी 2020) वार्षिक सांस्कृतिक महोत्सव– ‘फलक-2020’ का आयोजन अत्यंत उल्लास के साथ किया गया। इस वर्ष फलक का आयोजन “एक भारत श्रेष्ठ भारत” को केंद्र में रखकर किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में श्री सुनील सेठी को आमंत्रित किया गया, जो फैशन जगत का एक जाना पहचाना नाम है। कार्यक्रम का उद्घाटन प्राचार्य डॉ. रवीन्द्र कुमार गुप्ता एवं मुख्य अतिथि श्री सुनील सेठी के करकमलों द्वारा किया गया। फलक-2020 की संयोजिका डा. रुक्मिणी ने कहा कि हम चाहते हैं कि फलक-2020 का इतिहास स्वर्णिम अक्षरों में फलक (पट्टी) पर लिखा जाये और यह नाम सार्थक हो, हम सभी का यह प्रयास रहेगा।

इस सांस्कृतिक आयोजन के अंतर्गत कॉलेज प्राचार्य डॉ। रवीन्द्र कुमार गुप्ता ने समस्त विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए इस प्रकार के होने वाले आयोजन को इसलिए महत्वपूर्ण माना क्योंकि शिक्षा के साथ-साथ कलात्मक गतिविधियाँ छात्रों की मौलिक प्रतिभा और उनके सम्पूर्ण व्यक्तित्व को उभारती हैं। इस वर्ष इन दो दिवसीय कार्यक्रम में 26 प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि श्री सुनील सेठी ने विद्यार्थियों को ऐसे आयोजनों में हिस्सा लेने के लिए प्रोत्साहित किया क्योंकि शिक्षा के साथ-साथ विद्यार्थी एक टीम वर्क के रूप में अपनी प्रतिभा को भी जीवित रख सकते हैं। सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया के शाखा प्रबंधक अधिकारी श्री उज्ज्वल प्रसाद ने ‘फलक-2020’ की थीम “एक भारत श्रेष्ठ भारत” को सराहा।    

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इस रंगारंग समारोह के पहले दिन अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया जिनमें विभिन्न कॉलेजों से आये विद्यार्थियों ने उत्साह के साथ रंगोली, रचनात्मक लेखन, वाद-विवाद, पोस्टर मेकिंग, एकल एवं सामूहिक नृत्य (लोक एवं पाश्चात्य) और प्रश्नोत्तरी सहित अन्य कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। चयनित प्रतियोगियों को प्रमाणपत्र एवं नकद पुरस्कार दिया गया। पहले दिन की कार्यक्रमों की रूपरेखा इस प्रकार है:

  • रंगोली के अंतर्गत विद्यार्थियों ने अपनी प्रतिभानुसार “अतुल्य भारत” के आधार पर विविध रंगों को रंगोली के माध्यम से प्रस्तुत किया। इन चित्रों में विद्यार्थियों द्वारा भारत की विविधता का अलंकरण किया गया। ऐसा लगा जैसे भारत की विविधतामयी छवि रंगों में समाहित हो उठी है। 
  • प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम के अंतर्गत विद्यार्थियों के व्यवहारिक ज्ञान की परीक्षा ली गयी। इस प्रतियोगिता के तीन चरण थे जिन्हें अपनी सूझ-बूझ और ज्ञान से पार करते हुए वे अंत तक पहुंचे। विविध कॉलेजों एवं संस्थानों से आई हुई 20 टीमों ने हिस्सा लिया और निर्णायक मंडल ने दो टीमों को सबसे बेहतर मानकर उन्हें विजेता घोषित किया। 
  • रचनात्मक लेखन: विद्यार्थियों की प्रतिभा का अंकन रचनात्मक लेखन में दिखायी दिया। सबसे पहले प्रतियोगियों को भारत की विविधता पर आधारित एक दृश्यावली दिखाई गयी जिसे सभी ने मननपूर्वक देखा और उसे अपनी रचनात्मक प्रतिभा से कविता और लेखों द्वारा अभिव्यक्त किया। इतिहास, संस्कृति और पारस्परिक सौहार्द्र पर आधारित भारत के विविध चित्रों को इन्होने अपने शब्दों में अभिव्यक्त किया। 
  • पोस्टर मेकिंग: प्रतिभाशाली विद्यार्थियों द्वारा “संस्कृति जोड़ो-देश जोड़ो” विषय को अपने कैनवास पर प्रस्तुत किया गया। इन चित्रों में छात्रों की दृष्टि से अतुल्य भारत की व्यापक छवि उकेरी गयी जिसे अत्यंत उत्साह के साथ सभी ने इन प्रयासों को सराहा। 

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  • विद्यार्थियों में सर्वाधिक लोकप्रिय एवं आकर्षक वाद-विवाद-संवाद प्रतियोगिता होती है। इस वर्ष भी अनेक महाविद्यालयों से आए विद्यार्थियों ने कुशल वक्ता के रूप में केन्द्रीय विषय के पक्ष एवं विपक्ष में अपने संतुलित विचार रखे। इस प्रकार के संवाद पारस्परिक ज्ञान की भूमिका के साथ-साथ सोचने और समझने के नए आयाम भी उनके बीच प्रस्तुत करते हैं। 
  • वाल पेंटिंग: जैसे कागज़ पर रंग उतारे जाते हैं, ठीक उसी प्रकार दीवार पर किन रंगों से विचार को प्रस्तुत किया जाए, इसकी झलक वाल-पेंटिंग में दिखायी पड़ी। भारत को देखने का नजरिया प्रतियोगियों द्वारा विविध रूप में सामने आया। अद्भुत और आकर्षक विचारों को रंगों से बांधने की चेष्टा विद्यार्थियों द्वारा की गई। 
  • गायन और नृत्य प्रतियोगिताओं में विद्यार्थियों द्वारा अद्भुत समां बांधा गया। लोक-नृत्य द्वारा भारतीय संस्कृति को उसी रूप में प्रस्तुत करके समस्त दर्शकों का मन मोह लिया गया। इसी प्रकार पाश्चात्य नृत्य शैली के विविध रूप को भी प्रतियोगियों ने कुशलतापूर्वक प्रदर्शित किया। 
  • लगातार शब्दों को तेज़ी से उसे ‘रैप’ में बांधकर और बिना रोके प्रस्तुत करने का अद्भुत कौशल इस सांस्कृतिक महोत्सव में ऐसा लगा जैसे सोने पर सुहागा हो। प्रत्येक विद्यार्थी जब लगातार शब्दों को अपने ‘रैप’ में पिरो रहा था, तो दर्शक दीर्घा में बैठे विद्यार्थी उसका आनंद लिए जा रहे थे।  

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पी.जी.डी.ए.वी. महाविद्यालय (सांध्य) के वार्षिक सांस्कृतिक महोत्सव ‘फलक-2020’ के दूसरे दिन भी “एक भारत श्रेष्ठ भारत” की अद्भुत और आकर्षक छवि को दोहराया गया। छात्रों की संख्या विभिन्न प्रतियोगिताओं में देखते ही बनती थी। विद्यार्थियों में कौशल की कमी नहीं है और वे सहज होकर अनेक प्रतियोगिताओं में अपनी कला का उत्तम नमूना हमारे प्रांगण में प्रस्तुत कर रहे थे। दूसरे दिन के सांस्कृतिक आयोजन की रूपरेखा निम्नलिखित है: 

  • भारतीय एवं पाश्चात्य समूह व् एकल गायन: इस प्रतियोगिता के साथ कार्यक्रम की रंगारंग शुरुआत हुई। अनेक टीमों ने भारतीय संगीत शैली और प्रख्यात रागों को प्रस्तुत किया। सचमुच, भारतीय गीत-संगीत को अद्भुत विरासत एवं राग विद्यार्थियों को अपनी संस्कृति से जुड़े रहने का एक संकल्प प्रदान करते हैं। विद्यार्थियों की प्रतिभा का मूल्यांकन राग विशेषज्ञ सुश्री श्वेता वी। पाटिल द्वारा किया गया। उन्होंने विद्यार्थियों को अपने शास्त्रीय संगीत से जुड़े रहने का मन्त्र दिया एवं महत्वपूर्ण रागों के प्रति मूल्यवान सुझाव अनेक उदाहरणों के साथ प्रस्तुत किया। विभिन्न महाविद्यालयों से आए प्रतिभागियों ने ऐसा सुरों का समां बांधा कि सभी गीत-संगीत की लहरी में डूब गए। इनमें अनेक विद्यार्थियों ने लोक-प्रचलित पाश्चात्य शैली में भी गीतों को प्रस्तुत किया। 
  • योगोत्सव: इस भाग-दौड़ की जिंदगी में जीवन-शैली प्रभावित हुई है। आज अपने शरीर को दिया गया समय का योगदान अत्यंत आवश्यक हो गया है। योग स्वस्थ तन-मन का आधार है। कॉलेज में एक सक्रिय योग-क्लब है जिसमें अध्यापक एवं विद्यार्थी इनसे लाभ प्राप्त करते हैं। आज की प्रतियोगिता में भी विभिन्न संस्थानों से आये योगाभ्यासियों ने विविध आसनों को प्रस्तुत कर योग की महत्ता पर बल दिया। इस यांत्रिक जीवन में तन-मन को योगासन द्वारा रोगमुक्त रखा जा सकता है। 
  • कविता भावों की सहज अभिव्यक्ति है और यह मनुष्य के भीतर से प्रकट होती है। अनेक महाविद्यालयों से आए विद्यार्थियों का कवि-रूप कविता पाठ में देखने सुनने को मिला। 

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  • मुख इंसान का दर्पण होता है। यह सभी बातों या सुख-दुःख को छिपता नहीं है। आज की प्रतियोगिता में विद्यार्थियों द्वारा भारतीय समाज के चेहरे को अपने चेहरे पर अंकित करके अविस्मरणीय आयाम प्रस्तुत किया गया। पर्यावरण, स्त्री-दशा और भारतीय सैनिकों के अमिट योगदान जैसे अमूल्य विषय को अपने चेहरे पर रंगों का सहारा लेकर उन्होंने दिखाया।  
  • हास्य का जीवन में महत्वपूर्ण योगदान है। खुलकर हँसना तनाव को दूर करता है। हास्य व्यंग का पुट लिए अनेक महाविद्यालयों से आए विद्यार्थियों ने अपनी कलात्मक सूझ-बूझ से वातावरण को मन्त्रमुग्ध कर दिया। इस हास्य व्यंग के विषय समकालीन थे किन्तु इसके पीछे वह सोच व्ही थी जो हमें हँसी के साथ सोचने-समझने की भी ऊर्जा देती है। 
  • फैशन शो भी इस कार्यक्रम का आकर्षण था जहाँ विभिन्न संस्थानों एवं कॉलेजों से आए विद्यार्थियों ने रैंप-वाक किया 

इस रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम की संयोजिका डॉ. रुक्मिणी ने औपचारिक धन्यवाद देते हुए ‘फलक – 2020’ की सफलता का श्रेय प्राचार्य डॉ. रवीन्द्र कुमार गुप्ता जी के कुशल नेतृत्व और अतुल्य योगदान को दिया। साथ ही उन्होंने अध्यापकों के अकथनीय योगदान तथा समस्त कर्मचारियों के अत्यधिक सहयोग के लिए अपना आभार व्यक्त किया। कॉलेज के छात्रों के अथक परिश्रम की चर्चा करते हुए उन्होंने विद्यार्थियों को सराहा तथा प्रोत्साहित किया। अंत में डॉ. रुक्मिणी ने सांस्कृतिक महोत्सव की सफलता के लिए सभी का आभार व्यक्त किया। 

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इस कार्यक्रम की पूर्णता और सफलता के लिए प्राचार्य डॉ. रवीन्द्र कुमार गुप्ता ने सभी प्रतिभागियों एवं समस्त कॉलेज परिवार के प्रति अपना आभार व्यक्त किया। इस प्रकार के सांस्कृतिक आयोजन शिक्षा के साथ विद्यार्थियों के जीवन में महत्वपूर्ण आयाम जोड़ते हैं। अपने वक्तव्य में प्राचार्य जी ने कहा कि कॉलेज में इस प्रकार के सांस्कृतिक आयोजन विद्यार्थियों के सम्पूर्ण व्यक्तित्व के निर्माण में सहायक सिद्ध होते हैं। 

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