भाजपा के कांग्रेस मुक्त भारत नारे को तेजी से वास्तविकता में बदल रहे हैं अरविंद केजरीवाल

By नीरज कुमार दुबे | Mar 12, 2022

आम आदमी पार्टी जिस तेजी के साथ राष्ट्रीय फलक पर छा रही है उससे कयास लगाये जाने लगे हैं कि यह पार्टी जल्द ही कांग्रेस की जगह ले लेगी। दिल्ली में कांग्रेस के 15 साल के शासन का अंत करके अरविंद केजरीवाल जिस मजबूती के साथ मुख्यमंत्री पद की कुर्सी संभाले हुए हैं उससे कांग्रेस के लिए दिल्ली के दरवाजे पूरी तरह बंद नजर आ रहे हैं। यही नहीं आम आदमी पार्टी ने पंजाब में भी कांग्रेस का सफाया कर दिया है। इससे पहले गुजरात के सूरत नगर निगम चुनावों में भी कांग्रेस का सफाया करके आम आदमी पार्टी मुख्य विपक्षी पार्टी बन गयी थी। इसी तरह वह राज्य जहां-जहां कांग्रेस कमजोर है, वहां आम आदमी पार्टी तेजी से बढ़त हासिल करती जा रही है। इसलिए सवाल उठता है कि भाजपा ने जो कांग्रेस मुक्त भारत का नारा दिया था, क्या उसे वास्तविकता में बदलने के लिए अरविंद केजरीवाल असली मेहनत कर रहे हैं? भाजपा ने कांग्रेस को केंद्र और राज्यों की सत्ता से बाहर कर विपक्षी खेमे में भेज दिया लेकिन केजरीवाल कांग्रेस को विपक्षी खेमे से भी आउट करने में जुट गये हैं।

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देखा जाये तो आप ने अपने अब तक के सियासी सफर में एक बड़ा मुकाम हासिल किया है और राष्ट्रीय राजनीति में एक विकल्प के रूप में उभरी है। ‘आप’ ने पंजाब में 92 सीट पर जीत हासिल कर निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस को बहुत पीछे छोड़ दिया। केजरवाल की पार्टी अब 117 सदस्यीय पंजाब विधानसभा में तीन चौथाई बहुमत के साथ राज्य में सरकार बनाएगी। आप ने 40 सदस्यीय गोवा में भी दो सीट हासिल कर तटीय राज्य में कुछ पकड़ बनायी है, लेकिन यह उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में खाता खोलने में नाकाम रही। हम आपको बता दें कि आप ने पंजाब, गोवा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की सभी विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ा था, ताकि वह अपना विस्तार करके राष्ट्रीय राजनीति में एक बड़ी ताकत बन सके। पंजाब में जीत से उत्साहित पार्टी का लक्ष्य अब गुजरात और हिमाचल प्रदेश में अपना विस्तार करने पर है। इन दोनों राज्यों में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसमें आप भी मैदान में उतरेगी। आप के सूत्रों ने बताया कि गुजरात को ध्यान में रखते हुए पार्टी की योजना पंजाब का विजय पताका इस भाजपा शासित राज्य में पहुंचाने की है।

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उल्लेखनीय है कि अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार-रोधी आंदोलन से वर्ष 2011 में उपजी इस पार्टी के नेता एवं पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकल्प के तौर पर पेश किया जा रहा है। चुनाव विश्लेषकों के मुताबिक केंद्र के तीन विवादास्पद कृषि कानून के खिलाफ किसानों के आंदोलन का समर्थन करना, कांग्रेस में आंतरिक कलह और शासन के दिल्ली मॉडल ने आप की जीत को आसान कर दिया। ‘आप’ देश की एकमात्र क्षेत्रीय पार्टी और देश की केवल तीसरी ऐसी पार्टी है, जिसकी दो राज्यों में सरकार है। आप के अलावा दो या दो से ज्यादा राज्यों में सरकार वाली पार्टियां भाजपा और कांग्रेस हैं। पंजाब में कांग्रेस आंतरिक कलह के कारण लोगों का विश्वास हासिल नहीं कर सकी, तो अकाली (शिअद) भी मतदाताओं को आकर्षित नहीं कर सके क्योंकि उसने पहले के अपने शासन में कुछ खास नहीं किया था। ऐसी स्थिति में आप को लोगों ने एक विकल्प के रूप में देखा।


केजरीवाल और अन्य नेताओं ने वर्ष 2012 में ‘आप’ का गठन किया था। इसने दिल्ली विधानसभा में 70 में से 28 सीट जीतकर चुनावी राजनीति में अपनी शुरुआत की। वर्ष 2013 में मुख्यमंत्री केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली में आप की सरकार बनी और कांग्रेस ने बाहर से समर्थन दिया था। दिल्ली विधानसभा में संख्या बल में कमी के कारण जन लोकपाल विधेयक पारित करने में विफल रहने पर केजरीवाल ने फरवरी, 2014 में पूर्ण जनादेश हासिल करने के लिए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। दिल्ली विधानसभा का दोबारा चुनाव लड़ने से पहले आप ने वर्ष 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ा और पंजाब में चार सीट हासिल की। इसके बद पार्टी ने वर्ष 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में 70 में से 67 सीट पर जीत दर्ज की। ‘आप’ ने वर्ष 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में 70 में से 62 सीट जीतकर एक बार फिर कीर्तिमान स्थापित किया। बहरहाल, अब आम आदमी पार्टी का जो सफर शुरू हुआ है उसमें लोगों का अनुमान है कि यह कांग्रेस की जगह लेकर भाजपा से मुकाबला करेगी। देखना होगा कि आप का यह सफर कितना आसान रहता है।


- नीरज कुमार दुबे

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