By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jul 12, 2018
तिरुवनंतपुरम। 'रामायण माह’ की शुरुआत से पहले केरल में संस्कृत विद्वानों एवं इतिहासकारों का संगठन 'संस्कृत संघ’ रामायण पर राज्यव्यापी सेमिनार आयोजित करने की तैयारी में है ताकि इस महाकाव्य की 'गलत व्याख्या’ करने की संघ परिवार की कथित कोशिशों का मुकाबला किया जा सके। मलयालम कैलेंडर के आखिरी महीने 'कर्ककिटकम’ को केरल में हिंदू समुदाय 'रामायण माह’ के तौर पर मनाता है। इस वर्ष यह 17 जुलाई से शुरू हो रहा है।
'संस्कृत संघ’ में कई वाम समर्थक विद्वान, शिक्षाविद् और वामपंथ से सहानुभूति रखने वाले लोग सदस्य के तौर पर शामिल हैं। यह संगठन मध्य जुलाई और अगस्त के बीच किसी उचित दिन सभी 14 जिलों में 'रामायण चिंता’ विषय पर सेमिनार आयोजित करने की तैयारी में है। बहरहाल, संगठन के पदाधिकारियों ने मीडिया में आई इन खबरों को खारिज कर दिया कि 'संस्कृत संघ’ सत्ताधारी माकपा की शाखा है और वामपंथी पार्टी की ओर से 'रामायण माह’ मनाए जाने की प्रक्रिया में यह सेमिनार आयोजित किए जा रहे हैं।
माकपा के राज्य सचिव कोडियेरी बालाकृष्णन ने भी खबरों को खारिज करते हुए कहा कि 'रामायण माह’ मनाने की पार्टी की कोई योजना नहीं है। उन्होंने एक बयान में कहा, 'मीडिया में आई यह खबरें बेबुनियाद हैं कि माकपा रामायण माह मनाने वाली है। संस्कृत संघ एक स्वतंत्र संस्था है। माकपा का संगठन नहीं।’’ संस्कृत संघ के राज्य संयोजक तिलकराज ने कहा कि संगठन की स्थापना पिछले साल सितंबर में हुई थी जिसका मकसद दक्षिणपंथी ताकतों की ओर से प्राचीन पुस्तकों की गलत व्याख्या पर लगाम लगाना है। उन्होंने कहा, 'हमारा संगठन स्वतंत्र है जिसमें प्रगतिशील एवं धर्मनिरपेक्ष मानसिकता वाले विद्वान, इतिहासकार और शिक्षाविद् हैं।’’