By अनन्या मिश्रा | Jul 28, 2025
हेल्थ एक्सपर्ट की मानें, तो अभी तक इसके सही कारण नहीं पता चल पाया है। कई बार यह किसी वायरल संक्रमण या फिर बहुत ज्यादा मानसिक या शारीरिक तनाव या किसी बीमारी के बाद शुरू हो सकती है। हालांकि इस बीमारी का खास टेस्ट नहीं होता है। इसलिए डॉक्टर देखकर ही इसकी पहचान कर लेते हैं। हाल ही के कुछ शोध में सामने आया है कि क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम के पीछे कुछ अनुवांशिक कारण भी हो सकते हैं। कुछ लोगों को उनके जीन या परिवार में पहले से होने की वजह से भी यह बीमारी हो सकती है। वहीं कोविड के बाद भी लोगों में यह बीमारी देखी जा रही है।
अगर व्यक्ति को लगातार 6 महीने से अधिक थकान बनी रहती है। इसके कारण से ऑफिस जाना, काम करना या दोस्तों से मिलने में मुश्किल का सामना करना पड़ता है।
जो काम आप पहले आराम से कर लेती थी, अब वही काम करने के बाद आपको थकान होती है या तबियत खराब हो जाती है। साथ ही इससे उबरने में काफी दिन लग सकते हैं।
अगर आपको रातभर सोने के बाद भी फ्रेशनेस महसूस नहीं होता है। या फिर उल्टी, थकान और बार-बार नींद आती है।
दिमाग धीमा सा लगता है, साफ-साफ बोल नहीं पाते हैं या बातें भूलने लगते हैं। यानी की आपको सोने में और ध्यान लगाने में परेशानी होती है।
बता दें कि इस बीमारी का असर हर व्यक्ति पर अलग-अलग होता है। कुछ लोग अधिक बीमार हो जाते हैं, तो कुछ लोग चलने-फिरने के काबिल रहते हैं।