भागवत की टिप्पणी कहीं यूपी में भाजपा का ब्राह्मण वोटबैंक ना बिगाड़ दे

By अजय कुमार | Feb 13, 2023

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत ने जातिवादी वर्ण व्यवस्था के लिए पंडितों को जिम्मेदार क्या ठहराया पूरे ब्राह्मण समाज का गुस्सा संघ के साथ-साथ बीजेपी के खिलाफ भी फूट पड़ा है, जो स्वाभाविक नहीं लगता है। इसमें कहीं न कहीं राजनीति हो रही है। ब्राह्मण समाज ठीक वैसे ही उद्वेलित हो रहा है जैसे रामचरितमानस की एक चौपाई को लेकर अगड़ों-पिछड़ों की राजनीति को हवा दी जा रही है, जबकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत की ओर से पंडितों के खिलाफ दिए बयान के बाद संघ और भाजपा के ब्राह्मण नेता डैमेज कंट्रोल में जुट गए हैं।


उधर, सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर ब्राह्मणों ने संघ प्रमुख के बयान पर नाराजगी जाहिर करते हुए टिप्पणियां शुरू कर दी हैं। इधर, विपक्ष ने भागवत के बयान को हथियार बनाकर एक तीर से दो निशाने साधने की रणनीति बनाई है। सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म पर ब्राह्मणों ने भागवत, संघ और भाजपा को घेरना शुरू कर दिया। ब्राह्मणों ने सोशल मीडिया पर भागवत के बयान की निंदा करते हुए उसे राजनीति से प्रेरित बताया। इस साल राजस्थान, मध्य प्रदेश, त्रिपुरा, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ और मिजोरम सहित नौ राज्यों में चुनाव होना है। विपक्ष इन चुनावों में भागवत के बयान को पूरी कोशिश करेगा। आगामी लोकसभा चुनाव के लिहाज से भी ब्राह्मण वोट बैंक भाजपा के लिए महत्वपूर्ण है।

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गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में केंद्र में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने में भाजपा सबसे अधिक यूपी पर निर्भर है। यूपी में ब्राह्मण समाज की करीब 11 फीसदी आबादी है। आगामी नगरीय निकाय चुनाव और लोकसभा चुनाव के मद्देनजर समाज की नाराजगी भांपकर संघ और भाजपा के नेताओं ने भागवत के बयान का बचाव शुरू कर किया है। सबसे पहले आरएसएस के प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा कि मोहन भागवत ने पंडित शब्द का उपयोग ज्ञानियों अथवा विद्वानों के लिए इस्तेमाल किया था, न कि किसी जाति धर्म के लिए। उन्होंने कहा कि मोहन भागवत ने भाषण के दौरान पंडित शब्द का इस्तेमाल किया था, जिसका मतलब विद्वान या ज्ञानी होता है। इसका गलत मतलब निकाल कर मुद्दा बनाया जा रहा है।


उधर, भाजपा के नेताओं ने संघ की लाइन को ही आगे बढ़ाया। भाजपा के प्रदेश महामंत्री एवं कन्नौज के सांसद सुब्रत पाठक ने कहा कि संघ प्रमुख के बयान का गलत अर्थ निकाला जा रहा है। उन्होंने पंडित शब्द का उपयोग ज्ञानी या विद्वान के लिए किया है, न कि ब्राह्मण समाज के लिए किया है। राष्ट्रीय परशुराम परिषद के संस्थापक और श्रम कल्याण परिषद के पूर्व अध्यक्ष पंडित सुनील भराला का कहना है कि विपक्ष भागवत के बयान को तोड़-मरोड़कर पेश कर रहा है। ब्राह्मण समाज विपक्ष के बहकावे में आने वाला नहीं है। संघ प्रमुख का बयान किसी जाति धर्म के खिलाफ नहीं है, उन्होंने पंडित शब्द का उपयोग ज्ञानी या विद्वान के लिए किया है।


यूपी में ब्राह्मण वोटरों की ताकत की बात की जाए तो उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण वोटरों की संख्या करीब 11 फीसदी है। 403 में 62 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां ब्राह्मण वोटर्स ही निर्णायक की भूमिका में हैं। यहां ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या 20 प्रतिशत से भी अधिक है। प्रयागराज समेत चार ऐसे भी विधानसभा क्षेत्र हैं, जहां ब्राह्मणों की संख्या 40 फीसदी से भी ज्यादा है। मतलब साफ है, यूपी की सियासत में ब्राह्मणों का दबदबा पूरी तरह से काम है। इस बार 2022 के विधानसभा चुनाव में 403 सीटों में से 52 ब्राह्मण विधायक चुनकर आए हैं, जिनमें से सबसे ज्यादा 46 बीजेपी से हैं जबकि पांच सपा और एक कांग्रेस से हैं। ऐसे ही 49 विधायक ठाकुर समाज से जीतकर आए हैं, जिनमें बीजेपी गठबंधन से 43, सपा से 4, बसपा से एक और जनसत्ता पार्टी से राजा भैया हैं।


खैर, एक तरफ भागवत के बयान पर बीजेपी रक्षात्मक मुद्रा में है तो रामचरित मानस की चौपाई पर भाजपा को घेर रहा विपक्ष अब संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान को हथियार बनाकर एक तीर से कई निशाने साधने में जुटा है। विपक्ष की रणनीति है कि रामचरित मानस की चौपाई के जरिये भाजपा और संघ को दलितों और पिछड़ों के बीच कटघरे में खड़ा रखा जाए। साथ ही इस मुद्दे को हवा देकर अब ब्राह्मणों में भी नाराजगी पैदा की जाए। इसी तरह रामचरित मानस की चौपाई पर विवाद खड़ा करने वाले सपा एमएलएसी स्वामी प्रसाद मौर्य ने संघ प्रमुख के बयान को आधार बनाते हुए कहा कि जाति व्यवस्था पंडितों (ब्राह्मणों) ने बनाई। स्वामी प्रसाद ने कहा कि भागवत के बयान ने धर्म की आड़ में गाली देने वाले ढोंगियों की कलई खोल दी है। कम से कम अब तो रामचरित मानस से आपत्तिजनक टिप्पणी हटाने के लिए आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा है कि यदि यह बयान मजबूरी का नहीं है तो भागवत को साहस दिखाते हुए केंद्र सरकार को कह कर गलत टिप्पणी हटवानी चाहिए। उन्होंने कहा कि मात्र बयान देकर लीपापोती करने से बात बनने वाली नहीं है।


-अजय कुमार

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