स्वतंत्रता आंदोलन में अहम भूमिका निभाई बिपिन चंद्र पाल ने

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | May 20, 2017

कांग्रेस को पिछली सदी के आरंभ में नई पहचान दिलाने वाली 'लाल बाल पाल' की राष्ट्रवादी तिकड़ी में शामिल बिपिन चंद्र पाल ने न सिर्फ स्वतंत्रता आंदोलन में अहम भूमिका निभाई बल्कि विदेशी उत्पादों का बहिष्कार करते हुए स्वदेशी आंदोलन को एक नई दिशा प्रदान की। पाल के नाम से मशहूर उग्र राष्ट्रवादी नेता बिपिन चंद्र पाल का जब राजनीति में आगमन हुआ उस समय अंग्रेज सरकार कांग्रेस को बहुत गंभीरता से नहीं लेती थी। लेकिन गरम दल की सक्रिय भूमिका के कारण स्थिति में बदलाव हुआ और तत्कालीन सरकार को उनकी कई मांगें माननी पड़ीं।

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में पत्रकारिता विभाग के पूर्व अध्यक्ष एवं कांग्रेस के इतिहास पर पुस्तक लिख चुके डॉ. बलदेव राज गुप्त के अनुसार कांग्रेस की स्थापना 1885 में हुई और अगले करीब दो दशक तक उसका बहुत प्रभाव नहीं रहा। उस समय उसे राजनीतिक और सामाजिक ज्ञान का प्रशिक्षण केंद्र माना जाता था। डॉ. गुप्त के अनुसार भारत सरकार के अलावा ब्रिटेन में भी कांग्रेस का विशेष प्रभाव नहीं था। लोगों को भी नहीं पता था कि कांग्रेस की क्या मांग है या उसके क्या उद्देश्य हैं। ऐसे समय ही देश के अलग−अलग हिस्सों में दो विचारधारा 'बंगाल और दक्षिणी विचारधारा' उभर कर सामने आई। उस समय के दक्षिण का मतलब मौजूदा स्थिति के अनुसार नहीं है। बल्कि उन दिनों बंबई भी दक्षिण क्षेत्र में ही शामिल था।

 

गुप्त के अनुसार बाद में उस विचारधारा को सामने लाने वाले नेताओं को ही गरम दल का अगुवा कहा गया। इन तीनों प्रमुख नेताओं 'लाल, बाल और पाल' को अरविन्द घोष का मार्गदर्शन प्राप्त था। बाद के दिनों में अरविन्द अध्यात्म की ओर मुड़ गए। वर्ष 1905 में बंगाल विभाजन की पृष्ठभूमि में कांग्रेस का अधिवेशन वाराणसी में संपन्न हुआ। इसमें गरम दल के नेता विशेष रूप से सक्रिय रहे और उन्होंने पुरानी सड़ी गली नीतियों की जमकर आलोचना की। इसके साथ ही उन्होंने विदेशी उत्पादों के बहिष्कार और स्वदेशी आंदोलन पर भी जोर दिया।

 

गुप्त के अनुसार तिकड़ी ने गरम दल के अंदर नया जोश भरा और युवाओं को कांग्रेस की ओर आकर्षित करने का प्रयास किया। युवाओं को कांग्रेस की ओर आकर्षित करने के लिए जो काम आज युवा नेता राहुल गांधी कर रहे हैं वैसा ही प्रयास गरम दल की तिकड़ी ने पिछली सदी के शुरुआती दशकों में किया था। वास्तव में कांग्रेस उन दिनों सोई हुई थी और आम जनता से उसका संपर्क बहुत अधिक नहीं था। लेकिन गरम दल की भूमिका के कारण स्थिति में काफी बदलाव आया। उन नेताओं के प्रयासों के कारण जहां पार्टी की नीतियों में बदलाव हुआ वहीं संगठन के अंदर नई ऊर्जा का संचार हुआ और बड़ी संख्या में लोग इससे जुड़े। इससे कांग्रेस को नई पहचान मिली।

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