भाजपा-शिवसेना: 30 साल पुरानी हिंदुत्व जोड़ी की दोस्ती टूटी

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Nov 11, 2019

नयी दिल्ली। हिन्दुत्व की विचाराधारा से बंधा भाजपा..शिवसेना का तीन दशक से अधिक पुराना गठबंधन महाराष्ट्र में ‘मुख्यमंत्री पद’ के मुद्दे पर टूट गया। महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर जारी राजनीतिक घटनाक्रम के बीच, केंद्र में भारी उद्योग मंत्री एवं शिवसेना नेता अरविंद सावंत ने सोमवार को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार से इस्तीफा दे दिया और भाजपा पर सत्ता में हिस्सेदारी के तय फार्मूले से मुकरने का आरोप लगाया। 

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सावंत ने दिल्ली में संवाददाताओं से कहा कि कुछ चीजों पर सहमति बनी थी जिसमें मुख्यमंत्री पद सहित सीटों के 50-50 के अनुपात में बंटवारे का फार्मूला तय हुआ था लेकिन भाजपा अब इससे इंकार कर रही है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपना इस्तीफा भेज दिया है। इससे पहले, शरद पवार की राकांपा ने शर्त लगायी थी कि वह शिवसेना के राजग से अलग होने के बाद ही सहयोग पर विचार करेगी और सरकार के लिये साझा न्यूनतम कार्यक्रम तय होगा। इसके बाद ही केंद्र में शिवसेना के कोटे से मंत्री सावंत ने इस्तीफा दिया। भाजपा का हालांकि कहना है कि इसमें आधे..आधे समय के लिये मुख्यमंत्री पद का बंटवारा करने की कोई बात तय नहीं हुई थी। शिवसेना राजग की सबसे बड़ी घटक दल रही है जिसके लोकसभा में 18 सदस्य हैं। 543 सदस्यीय लोकसभा में भाजपा के 303 सदस्य हैं। शिवसेना महाराष्ट्र में 288 सदस्यीय सदन में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है जिसके 56 विधायक हैं। भाजपा के 105 विधायक हैं। कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के क्रमश: 44 और 54 विधायक है। शिवसेना को सरकार बनाने का दावा करने के लिए सोमवार की शाम साढ़े सात बजे तक का समय दिया गया था।

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रविवार को भाजपा ने स्पष्ट किया था कि उसके पास सरकार बनाने के लिये संख्या बल नहीं है और इसलिये वह विपक्ष में बैठेगी। महाराष्ट्र में संख्या बल की कमी का हवाला देते हुए सरकार बनाने से इन्कार करने के एक दिन बाद भाजपा सोमवार को राज्य में हुई राजनीतिक गतिविधियों पर नजर बनाए हुए है। दोनों दलों के 98 विधायक हैं और सरकार बनाने के लिए 145 सीटों की आवश्यकता है। शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस को मिलाकर यह संख्या पूरी हो जाती है। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि भाजपा और शिवसेना के बीच सबसे पहले 1984 में गठबंधन हुआ था जब दोनों दलों ने लोकसभा चुनाव साथ साथ लड़ा था और तब शिवसेना के तीन उम्मीदवार भाजपा के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़े थे। भाजपा और शिवसेना 1989 का विधानसभा चुनाव मिलकर लड़ी थीं और दोनों दलों ने पहली बार 1995 से 2000 तक गठबंधन सरकार बनाई थी। तीन दशक से अधिक पुराने भाजपा..शिवसेना गठबंधन में कई ऐसे मौके आए जिसमें दोनों दलों में खींचतान दिखाई दी लेकिन गठबंधन पूरी तरह से नहीं टूटा। 

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शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे के निधन के बाद 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा और शिवसेना के बीच गठबंधन नहीं हो पाया था और दोनों दल अलग अलग मैदान में उतरे थे। लेकिन चुनाव के बाद दोनों दलों की गठबंधन की सरकार बनी और इसने कार्यकाल पूरा किया। इस चुनाव में भाजपा को 122 सीट और शिवसेना को 63 सीट मिली थी और भाजपा के देवेन्द्र फडणवीस मुख्यमंत्री बने । दोनों दलों ने 2019 का लोकसभा चुनाव साथ साथ लड़ा था। हालांकि इसी साल विधानसभा चुनाव से पहले दोनों दलों में मनमुटाव दिखाई देने लगा। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के हस्तक्षेप के बाद दोनों दलों ने साथ साथ चुनाव लड़ा था। इससे पहले हाल के समय में भाजपा से कई सहयोगी दल अलग हुए हैं जिसमें आंध्रप्रदेश में उसकी सहयोगी चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली तेलुगू देशम पार्टी :तेदेपा: शामिल है। तेदेपा 2019 के लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव से पहले राजग से अलग हुई थी। पूर्ववर्ती जम्मू कश्मीर में पीडीपी की गठबंधन सरकार से भाजपा अलग हो गई  बिहार में भी 2013 में सहयोगी नीतीश कुमार की जदयू भाजपा से अलग हो गई थी लेकिन 2016 में जदयू और भाजपा साथ आ गई थी। 

 

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