फर्श से अर्श तक का सफर भाजपा नेता स्वतंत्र देव सिंह ने कड़े संघर्षों से तय किया है, आज रखते हैं सरकार हिलाने का दम?

By रेनू तिवारी | Dec 24, 2021

जब जब बात उत्तर प्रदेश चुनाव की होती हैं तो अपने आप ही भाजपा के लिए स्वतंत्र देव सिंह की भूमिका बढ़ जाती हैं। विपक्ष के आरोपो का बड़ी ही बेबाकी से स्वतंत्र देव सिंह जवाब देते हैं। अब एक बार फिर से राजनीतिक रूप से सबसे महत्वपूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं ऐसे में सभी पार्टियां ऐड़ी-चोटी का जोर जनता को वोट के लिए लुभाने में लगा रही हैं। जहां मौजूदा योगी सरकार पर विपक्ष किसान आंदोलन, लखीमपुर खीरी हिंसा, बेरोजगारी, मंहगाई जैसे मुद्दों को लेकर हमलावर हैं तो वहीं स्वतंत्र देव सिंह अपने जवाबों से विपक्ष के दांत खट्टे कर रहे हैं। आइये आपको बताते हैं आखिर कौन हैं स्वतंत्र देव सिंह और कैसा रहा है इनका राजनीतिक सफर।

 

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स्वतंत्र देव सिंह भारतीय जनता पार्टी, उत्तर प्रदेश के वर्तमान अध्यक्ष हैं। उत्तर प्रदेश के चुनाव की बागडोर फिलहाल इनके ही हाथ में हैं। किस तरह चुनाव के लिए कार्यकर्ताओं को दिशा-निर्देश देने हैं, किस तरह रैलियों का आयोजन करना हैं। पार्टी के अंदर हर तरह की चीजों को व्यवस्थित रखता स्वतंत्र देव सिंह की ही जिम्मेदारी हैं। इससे पहले वह पूर्व परिवहन और प्रोटोकॉल राज्य मंत्री और उत्तर प्रदेश सरकार में बिजली राज्य मंत्री रह चुके हैं। उन्हें 16 जुलाई 2019 को उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था। यूपी के मिर्जापुर जिले के जमालपुर ब्लॉक के ओरी गांव में जन्मे स्वतंत्र देव सिंह बुंदेलखंड के जालौन जिले के उरई में काम करने के लिए जाने जाते हैं। सिंह जो बिना राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले परिवार से आते हैं, अपने परिवार के पहले व्यक्ति थे जो आरएसएस में शामिल हुए और बाद में भाजपा के कार्यकर्ता बनें। उसके लिए यह सफर बहुत संघर्षों से भरा रहा हैं लेकिन अपनी मेहनत के दम पर उन्होंने अपना संघर्ष जारी रखा और आज उत्तर प्रदेश के एक महत्वपूर्ण नेता हैं, जिन्हें जनता का अपार समर्थन प्राप्त हैं।

 

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निजी जीवन

सिंह का जन्म मिर्जापुर के ग्राम-उड़ी, जमालपुर में एक बहुत ही विनम्र परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा अपने गांव ओरी के एक प्राथमिक विद्यालय से शुरू की। उन्हें खेलों में बहुत रुचि थी और वे अपने स्कूल की कुश्ती टीम के कप्तान थे। उन्होंने झांसी के बुंदेलखंड विश्वविद्यालय से विज्ञान स्नातक (बीएससी) की डिग्री प्राप्त की। अपने कॉलेज के दिनों में वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़ गए, जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध एक दक्षिणपंथी अखिल भारतीय छात्र संगठन है। स्वतंत्र देव सिंह ने 1986 से पहले एक हिंदी भाषा के दैनिक समाचार पत्र में एक पत्रकार के रूप में अपनी यात्रा शुरू की, जब वे एक प्रचारक के रूप में आरएसएस में शामिल हुए।


राजनीतिक सफर

स्वतंत्र देव सिंह की यात्रा 1986 में शुरू हुई जब वे एक प्रचारक के रूप में आरएसएस में शामिल हुए। उन्होंने संगठन के लिए जड़ स्तर पर काम करना शुरू किया। 1988-99 में, सिंह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के सदस्य बने और उसी के महासचिव (संगठन) बनाए गए। अपने अत्यधिक परिश्रम और निरंतर प्रयासों के कारण वे संगठन के भीतर एक जाना माना चेहरा बन गए। 1991 में उन्हें भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) की कानपुर इकाई का प्रभारी बनाया गया, जो भारतीय जनता पार्टी (BJP) की युवा शाखा है।


1994 में, स्वतंत्र देव सिंह को बुंदेलखंड युवा मोर्चा का प्रभारी बनाया गया और वे 1996 के युवा मोर्चा के महासचिव चुने जाने तक इस पद पर बने रहे। उनके महान संगठनात्मक कौशल को देखते हुए उन्हें फिर से उसी कर्तव्य से पुरस्कृत किया गया। बाद में, उन्हें 2001 में भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया।


2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान यूपी और बिहार में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की राजनीतिक रैलियों का मुख्य रणनीतिकार और प्रभारी बनाए जाने पर उन्हें भारी लोकप्रियता मिली। उन्होंने बड़ी राजनीतिक रैलियों को आसानी से प्रबंधित किया और शीर्ष नेतृत्व हमेशा उनके परिणामों से संतुष्ट था।


2017 के राज्य विधानसभा चुनावों में भाजपा के भारी अंतर से चुने जाने के बाद स्वतंत्र देव सिंह योगी आदित्यनाथ सरकार में स्वतंत्र प्रभार के साथ पूर्व परिवहन मंत्री थे।[2] सिंह ने 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान अपनी उपस्थिति दर्ज कराई जब उन्हें मध्य प्रदेश में पार्टी मामलों का प्रभारी बनाया गया। पार्टी ने 29 लोकसभा सीटों में से 28 पर जीत हासिल की।


स्वतंत्र देव सिंह को शीर्ष नेतृत्व द्वारा 16 जुलाई 2019 को भाजपा यूपी प्रदेश अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था।


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