वो 17 दिन जब बदल गया सिंधिया का मन और बन गई शिवराज सरकार (पुस्तक समीक्षा)

By दिनेश शुक्ल | Sep 15, 2020

मध्य प्रदेश ही नहीं देश की पत्रकारिता में कुछ ही नाम ऐसे नाम है जो पत्रकारिता के साथ उसके अनुभवों को भी कागज पर उकेरते रहते है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में तो ना के बराबर ही पत्रकार मिलेंगे जो एंकर, विजुअल, पैकेज के प्रारूप में खबरों के अलावा उनके पत्रकारिता के दौरान घट रही घटनाओं को कलमबद्ध करते हो और वह भी ऐसे जैसे सब वर्तमान में आंखों के सामने चल रहा हो। ऐसे में एक नाम बरबस ही पटल पर उभर आता है वह नाम है एबीपी न्यूज़ के विशेष वरिष्ठ संवाददाता ब्रजेश राजपूत का। मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के छोटे से कस्बे करेली से आने वाले ब्रजेश राजपूत न्यूज़ टेलीविजन का जाना पहचाना नाम है। इनकी खबरों में जहां एक कशिश है तो वहीं इनकी लेखनी अद्भुत है। ब्रजेश राजपूत ने टीवी न्यूज़ चैनल के कंटेंट एनालिसिस पर पीएचडी की है। उन्हें पॉलिटिकल रिपोर्टिंग के लिए देश की प्रतिष्ठित वर्ष 2017 का रामनाथ गोयनका एक्सीलेंस इन जर्नलिज्म अवार्ड, दैनिक भास्कर सम्मान 2016, मुम्बई प्रेस क्लब का रेड इंक अवार्ड 2013 व दिल्ली का मीडिया एक्सीलेंस अवार्ड 2012 में प्रदान किया गया है। ब्रजेश राजपूत की अब तक चार किताबें पाठकों के लिए उपलब्ध है। उनकी सबसे पहली किताब "चुनाव, राजनीति और रिपोर्टिंग", दूसरी "ऑफ द स्क्रीन", तीसरी "चुनाव है बदलाव का" और चौथी हाल ही में आई "वो 17 दिन"। इन चार किताबों में आपको ढेर सारी कहानियां, रोमांच, राजनीतिक ज्ञान के साथ ही सामान्य ज्ञान भी मिल जाएगा।

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लेकिन ब्रजेश राजपूत की चौथी किताब "वो 17 दिन" में रोमांच, राजनीति, सामान्य ज्ञान और कहानियों के अलावा एक चीज और है जो आपको इसे पढ़ने के लिए विवश करेगी। वह है मध्य प्रदेश में 15 साल बाद सत्ता में लौटी कांग्रेस की कमलनाथ सरकार का समय से पहले ही सत्ता में रहते हुए एक ही झटके में सत्ता से बेदखल हो जाना और वह भी मात्र 17 दिन चले राजनीतिक ड्रामे के बाद एक अनुभवी राजनीतिज्ञ कमलनाथ के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने से। मध्य प्रदेश के चौथी बार मुख्यमंत्री बने शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि कांग्रेस की सरकार अपने अंतर्कलह और खुद के बोझ से गिर जाएगी और वही हुआ भी। छत्रपों और गुटों में बटी कांग्रेस की कमलनाथ सरकार 20 मार्च को वास्तव में अपने ही बोझ से गिर गई। लेकिन यह सरकार कैसे गिरी, क्या कारण रहे, क्या ऐसा घटा जो सरकार गिरने का कारण बना। यह सब ब्रजेश राजपूत की किताब "वो 17 दिन" में चित्रों सहित 152 पेज की इस किताब में आपको पढ़ने को मिल जाएगा। 


"वो 17 दिन" एक ऐसी किताब है जो वर्तमान परिदृश्य में चल रही घटनाओं और राजनीतिज्ञों की राजनीतिक चालों से आपको रूबरू करवाती है। ज्योतिरादित्य सिंधिया का कांग्रेस से मोह भंग हो जाना और अपने समर्थकों सहित ऐसी पार्टी में शामिल हो जाना जो हमेशा से ही उनके लिए एक प्रतिद्वंदी रही हो उसी की सरकार प्रदेश में बनवा देना। यह सब राजनीतिक घटनाएं कैसे घटी यह आपको ब्रजेश राजपूत की किताब "वो 17 दिन" में पढ़ने को मिलेगी। यह पहली घटना नहीं है जब मध्य प्रदेश में इस तरह चुनी हुई सरकार गिराकर विपक्ष सत्ता में काबिज हुआ हो। ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरह ही उनकी दादी विजयाराजे सिंधिया भी कांग्रेस से नाराज हो गई थी और उन्होंने भी प्रदेश में डीपी मिश्र की सरकार गिराकर गोविंद नारायण सिंह की संविद सरकार बनवा दी थी। लेकिन वह सब उस समय कैसे घटा, क्या हुआ, कैसे हुआ उपलब्ध नहीं है, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कैसे कांग्रेस से नाराज होकर सरकार गिराई यह "वो 17 दिन" के रूप में ब्रजेश राजपूत की कलम से कलमबद्ध है।

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"राजनीति में अचानक कुछ भी यूँ ही नहीं होता। यदि कुछ हुआ है, तो आप शर्त लगा सकते हैं कि यह उस तरह से पूर्व नियोजित था।"- फ्रेंकलिन डेनालो रूज़वेल्ट (अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति) ब्रजेश राजपूत की किताब "वो 17 दिन" के कवर पेज पर शिवराज सिंह चौहान, ज्योतिरादित्य सिंधिया, कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की तस्वीरों के ऊपर यह लिखा है। एक लेखक के लिए सबसे बड़ी चुनौती अपने समकालीन लोगों के बारे में लिखना होती है। किसी व्यक्ति के बारे में घटनाओं के विवरण के साथ कैसे लिखा जाए यह गहनता का विषय होता है। इसके लिए कुछ लोग नाराज भी हो सकते है और कुछ लोग खुश भी लेकिन सच्चाई के साथ जो लिखा जाता है वह नाराजगी या खुशी का विषय न होकर एक इतिहास बन जाता है। "वो 17 दिन" एक ऐसा ही दस्तावेज है। जिसमें सच्चाई के साथ उन सत्रह दिनों को ब्रजेश राजपूत ने कलमबद्ध किया है, जो उनके सामने घटित हो रहा था। इस किताब में कहानी है कमलनाथ सरकार गिरने की और शिवराज सरकार बनने की।


पुस्तक: वो 17 दिन (कहानी कमलनाथ सरकार गिरने और शिवराज सरकार बनने की)

लेखक: ब्रजेश राजपूत

प्रकाशक: शिवना प्रकाशन, पी.सी.लैब, सम्राट कॉम्प्लेक्स बेसमेंट, बस स्टैंड, सीहोर (म.प्र.)- 466001

मूल्य: 175.00₹

समीक्षक: दिनेश शुक्ल


- दिनेश शुक्ल

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