दो साल से लापता लड़का परिवार को मिला, देखकर रो दिए माता-पिता, उत्तर प्रदेश के ढाबे में काम कर रहा था बच्चा

By रेनू तिवारी | Jun 27, 2025

बच्चे चुरा जाना, बच्चों का अपहरण, या बच्चों को गिरोह द्वारा चुरा कर बेच दिया जाना, शहरों में यह काफी कॉमन अपराध है। इस लिए शहरों में माता-पिता अपने बच्चों को ज्यादा बाहर न जाने की सलहा देते रहते हैं। सोचिए उस माता-पिता पर क्या बीतती होगी जिसका बच्चा घर के बाहर से चुरा लिया जाए.. वह हर दिन इस आस में अपनी जिंदगी बिताने लगते हैं कि काश मेरा बच्चा कभी वापस घर लौट आये। लेकिन कहते हैं जाने वाला कहां वापस आता है। अगर वापस आया तो वह कोई चमत्कार ही होगा। ऐसा चमत्कार लेकिन हुआ है। दिल्ली के शहदरा में ये चमत्कार हुआ है।  

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दिल्ली के शाहदरा में अपने माता-पिता की डांट से परेशान होकर घर छोड़ने वाले एक किशोर को दो साल बाद उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में एक ढाबे पर काम करते हुए पाया गया। एक अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। शंकर शाह (13) 30 जनवरी, 2023 से लापता था। शाहदरा के पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) प्रशांत गौतम ने बताया, ‘‘उसी दिन उसके पिता ललित शाह की शिकायत पर फर्श बाजार थाने में अपहरण का मामला दर्ज किया गया था। वे बिहारी कॉलोनी के निवासी हैं।’’

डीसीपी ने बताया कि मामले की जांच के दौरान पुलिस ने नोटिस जारी किए, देशभर के सभी जिलों की पुलिस को सूचित किया और दूरदर्शन, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई), राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) आदि के माध्यम से शंकर की तस्वीर प्रसारित की गई। इसके अलावा, शंकर की जानकारी अखबारों और पुलिस के आंतरिक बुलेटिन में प्रकाशित की गई। अगस्त 2023 में उसकी सूचना देने वाले के लिए 10,000 रुपये का इनाम भी घोषित किया गया।

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डीएसपी ने बताया कि मामले में अहम सुराग 20 मई, 2025 को मिला, जब शंकर ने एक अनजान नंबर से अपने पिता को फोन किया। उन्होंने बताया, ‘‘जांचकर्ताओं ने उस नंबर का कॉल रिकॉर्ड (सीडीआर) प्राप्त किया, जिससे शंकर का पता उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के फेरू माजरा गांव में पाया गया। उसे 12 जून को बरामद किया गया और सभी कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद अगले दिन उसके परिवार को सौंप दिया गया।’’

पूछताछ में शंकर ने बताया कि वर्ष 2023 में घर छोड़ने के बाद वह आनंद विहार रेलवे स्टेशन से ट्रेन में चढ़ गया। उसे पता नहीं था कि वह ट्रेन कहां जा रही थी। शंकर ट्रेन से सहारनपुर में उतरा और वहां सड़क किनारे एक ढाबे पर काम करने लगा, जहां वह दो साल से अधिक समय तक रहा। ढाबा मालिक ने उसे रहने की जगह और भोजन दिया।

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