अमरिंदर सिंह जंतर मंतर पर धरने पर बैठे, अकाली दल बोला भूख हड़ताल करो

By अनुराग गुप्ता | Nov 04, 2020

नयी दिल्ली। कृषि कानूनों के मुद्दों पर बातचीत के लिए मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के शिष्टमंडल ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलने का समय मांगा था लेकिन उन्हें मिलने का समय नहीं दिया गया। जिसके बाद अब उन्होंने जंतर-मंतर पर धरना दिया। अब आप लोग सोच रहे होंगे कि जब पंजाब विधानसभा में केंद्र के कृषि कानूनों को निष्प्रभावी किए जाने वाला विधेयक पारित हो गया है तो फिर अमरिंदर सिंह ऐसा क्यों कर रहे हैं। दरअसल, धरना प्रदर्शन से पहले अमरिंदर सिंह ने कहा कि कृषि राज्य का विषय है। हमने अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए नए कृषि कानून बनाए लेकिन यह बिल अभी राज्यपाल के पास पड़े हैं। हमने 20 अक्टूबर को उन्हें बिल दे दिया था लेकिन उन्होंने अभी तक उसे राष्ट्रपति के पास नहीं भेजा है। मैं राष्ट्रपति से मिलकर इसके बारे में अवगत कराना चाहता था। उम्मीद करता हूं कि राष्ट्रपति इस बिल को स्वीकार करेंगे। 

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किसानों की बात करते हुए पंजाब सरकार केंद्र के कानून को निष्प्रभावी करने वाला विधेयक तो पारित कर दिया लेकिन अभी तक राज्यपाल ने अपनी मंजूरी नहीं दी है और राष्ट्रपति महोदय से भी मिलने का समय नहीं मिला। जिसके बाद पंजाब के विधायकों ने जंतर-मंतर का रुख किया।

अमरिंदर सिंह पहले राजघाट पर धरना प्रदर्शन करने वाले थे लेकिन फिर उन्होंने प्रदर्शन के लिए जंतर-मंतर का चुनाव किया। वहीं, धरने में शामिल होने के लिए दिल्ली आ रहे नवजोत सिंह सिद्धू ने आरोप लगाया कि उनकी गाड़ी को पंजाब-दिल्ली सीमा पर रोक लिया गया। उन्होंने इसका एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर साझा किया। 

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वहीं, दूसरी तरफ पंजाब की विपक्षी पार्टियों- शिरोमणि अकाली दल, भाजपा और आम आदमी पार्टी ने मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के क्रमित ‘धरने’ का नेतृत्व करने के फैसले को ड्रामा और फोटो खिंचवाने का मौका करार दिया। शिरोमणि अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने एक बयान में अमरिंदर सिंह से कहा कि वे दिल्ली में क्रमिक ‘धरने’ में शामिल न हों, बल्कि केंद्र के कृषि कानूनों को तत्काल निरस्त करने की मांग को लेकर राजघाट पर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू करें। इस बीच शिअद प्रमुख ने मुख्यमंत्री से सवाल किया कि क्या वह वास्तव में विरोध को लेकर गंभीर हैं या केवल दिखावा कर रहे हैं।

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