अमोरिका को युद्ध के लिए उकसा रहा चीन, लगातार हो रहा दक्षिण चीन सागर में सैन्य प्रशिक्षण

By निधि अविनाश | Jan 30, 2021

एक बार फिर चीन और अमेरिका में तनाव बढ़ता नज़र आ रहा है। बता दें कि चीन की सेना विवादित दक्षिण चीन सागर में अपनी सैन्य गतिविधियों को कम करने से बाज नहीं आ रही है जिससे अमेरिका और चीन के संबंध और भी बिग्ड़ते नज़र आ रहे है। खबरों के मुताबिक, बीजिंग पर दक्षिण चीन सागर का सैन्यीकरण करने और एशियाई पड़ोसियों को धमकाने की कोशिश का आरोप लगा है और इसको लेकर संयुक्त राज्य अमेरिका ने विवादित दक्षिण चीन सागर में अपनी सैन्य गतिविधियों के लिए चीन को फटकार भी लगाई है। लेकिन इन सबसे चीन को कोई फर्क पड़ता दिखाई दे नहीं रहा है। ताइवान ने एक बयान में बताया कि कई चीनी वायु सेना के विमानों ने पिछले सप्ताह के अंत में अपने वायु रक्षा क्षेत्र के दक्षिण-पश्चिमी में उड़ान भरी थी। खबरों की माने तो दक्षिण चीन सागर पर नियंत्रण को लेकर बढ़ते विवाद बीजिंग के अमेरिका और उसके दक्षिणी पड़ोसी देशों के साथ रिश्ते में लगातार कड़वाहट पैदा कर रहे हैं। बाइडेन प्रशासन ने जलवायु परिवर्तन के मौजूदा मुद्दे पर सहमति बनाने के लिए चीन के साथ बौद्धिक संपदा की चोरी और दक्षिण चीन सागर (एससीएस) जैसे मामलों पर कोई समझौता नहीं करने का फैसला लिया है।जलवायु परिवर्तन के मामले पर राष्ट्रपति के विशेष दूत के पद के लिए नामित जॉन केरी ने व्हाइट हाउस में पत्रकारों से कहा कि कुछ बेहद महत्वपूर्ण मुद्दों पर अमेरिका के चीन के साथ गंभीर मतभेद हैं।

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नहीं थम रही अमेरिका और चीन की लड़ाई

बता दें कि अमेरिका और चीन के बीच संबंध अभी तक के सबसे खराब स्तर पर हैं। दोनों देश व्यापार, कोरोना वायरस की उत्पत्ति, विवादित दक्षिण चीन सागर में चीन की आक्रामक सैन्य कार्रवाई और मानवाधिकार सहित कई मुद्दों पर आमने-सामने हैं। राष्ट्रपति के विशेष दूत जॉन केरी ने कहा कि ‘‘ विदेश मंत्री और सीनेट के तौर पर सेवाएं देने के बाद मैं, बौद्धिक संपदा की चोरी, बाजार में पहुंच, दक्षिण चीन सागर जैसे मुद्दों पर हर किसी की तरह काफी सतर्क हूं। जलवायु के लिए इनमें से किसी भी मुद्दें पर समझौता नहीं किया जाएगा। ऐसा नहीं होने वाला है।’’ केरी ने बताया कि जलवायु अपने आप में ही एक बड़ा मुद्दा है और अमेरिका को यह ध्यान में रखते हुए इससे निपटना होगा कि विश्व में 30 प्रतिशत उत्सर्जन अकेले चीन ही करता है। अमेरिका 15 प्रतिशत उत्सर्जन करता है। यूरोपीय संघ के साथ मिलकर तीनों करीब 55 प्रतिशत उत्सर्जन करते हैं।उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, आगे बढ़ने के लिए इसे अलग-अलग करने का तरीका खोजने की जरूरत है। हम देखेंगे कि इस पर क्या होता है। लेकिन राष्ट्रपति जो बाइडन चीन से जुड़े अन्य मुद्दों से निपटने की जरूरत को लेकर स्पष्ट हैं। किसी भी मुद्दे को आपस में मिलाया नहीं जाएगा।’’

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अमेरिका ने चीन को बताया ‘रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी’

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा संयुक्त राष्ट्र की दूत के तौर पर नामित लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने चीन को ‘रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी’ और पड़ोसियों के लिए खतरा बताया है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद में चीन के दबदबे के खिलाफ आवाज उठाना उनकी शीर्ष प्राथमिकता होगी। अमेरिका और चीन के बीच संबंध लगातार कटु होते जा रहे हैं। दोनों देशों के बीच कारोबार और कोरोना वायरस के उत्पत्ति स्थल समेत कई मुद्दों पर टकराव है। अमेरिका विवादित दक्षिण चीन सागर में चीन के आक्रामक रवैये और मानवाधिकार उल्लंघन के मामले भी उठाता रहा है।सीनेट की विदेश मामलों की कमेटी में अपने नाम की पुष्टि के समय ग्रीनफील्ड ने बुधवार को कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र में चीन हमारे मूल्यों को धता बता रहा है... हमारी सुरक्षा को कमजोर करने का प्रयास कर रहा है।’’उन्होंने कहा, ‘‘चीन रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी है और उसकी कार्रवाई हमारी सुरक्षा के लिए खतरा है। वे हमारे मूल्यों और जीवन को भी खतरा पहुंचा रहे हैं। वे अपने पड़ोसियों के लिए भी खतरा हैं और समूची दुनिया में खतरा बढ़ा रहे हैं। इस बारे में मुझे कोई संदेह नहीं है।’’

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