ताइवान पर चीन का 'जस्टिस मिशन': मिसाइलें दागीं, बंदरगाह घेराव की डराने वाली ड्रिल, India पर भी असर!

By Ankit Jaiswal | Dec 31, 2025

ताइवान के चारों ओर तनाव एक बार फिर तेज़ होता दिख रहा है। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने लगातार दूसरे दिन बड़े पैमाने पर सैन्य अभ्यास जारी रखते हुए दर्जनों रॉकेट दागे और बंदरगाहों पर कब्ज़े की रणनीतिक रिहर्सल की। यह अभ्यास “जस्टिस मिशन” के तहत किया जा रहा है, जिसे बीजिंग ताइवान की “अलगाववादी सोच” और बाहरी हस्तक्षेप के खिलाफ चेतावनी के तौर पर पेश कर रहा है।


बता दें कि इस सैन्य अभ्यास की शुरुआत साल के अंत से ठीक पहले की गई थी। इसमें चीन के पूर्वी थिएटर कमांड ने ताइवान के चारों ओर सात अलग-अलग ज़ोन में मिसाइल, नौसैनिक और वायुसेना की तैनाती की है। मौजूद जानकारी के अनुसार, यह अभ्यास ताइवान को घेरने और बाहरी ताकतों को दूर रखने की चीन की रणनीति को दिखाने के लिए किया जा रहा है।


गौरतलब है कि हाल ही में अमेरिका द्वारा ताइवान को लगभग 11 अरब डॉलर के हथियार पैकेज की मंजूरी दी गई थी, जिसमें HIMARS रॉकेट सिस्टम और अन्य उन्नत हथियार शामिल हैं। चीन ने इसी को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया जताई है और अपने सरकारी मीडिया में यह दावा किया है कि अभ्यास के दौरान ऐसे जहाजों को भी रोका गया जो ताइवान को हथियार पहुंचा रहे थे।


मंगलवार को अभ्यास का सबसे अहम चरण रहा, जब पीएलए ने लंबी दूरी की बैलिस्टिक और हाइपरसोनिक मिसाइलों के साथ लाइव-फायर ड्रिल की। रिपोर्ट्स के मुताबिक, डोंग फेंग सीरीज़ की मिसाइलों और PHL-16 रॉकेट सिस्टम का इस्तेमाल किया गया। ताइवान के रक्षा मंत्रालय का कहना है कि करीब 17 रॉकेट कीलुंग बंदरगाह के उत्तर में और 10 रॉकेट ताइनान के पश्चिमी इलाके में गिरे, जो अब तक का सबसे नजदीकी हमला माना जा रहा है।


पूर्वी तट पर चीनी नौसेना के हेलिकॉप्टर कैरियर से सैनिकों ने अभ्यास के तहत तट पर उतरने की कार्रवाई की, जबकि ज़मीन पर मौजूद मरीन यूनिट्स ने बंदरगाह कब्ज़े की रिहर्सल की। इसके जवाब में ताइवान ने अपने एंटी-शिप मिसाइल सिस्टम, त्वरित प्रतिक्रिया बल और तटवर्ती सुरक्षा इकाइयों को सक्रिय कर दिया है।


मौजूद जानकारी के अनुसार, ताइवान की सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी ने भी अपनी सैन्य क्षमताओं को दर्शाने वाले ग्राफिक्स जारी किए हैं। वहीं अमेरिका की प्रतिक्रिया फिलहाल सीमित रही है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि इस तरह के अभ्यास चीन लंबे समय से करता आ रहा है और इससे उन्हें कोई खास चिंता नहीं है।


फिलहाल पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में अमेरिकी नौसेना के विमानवाहक पोत तैनात हैं और हालात पर नज़र रखी जा रही है। विशेषज्ञ मानते हैं कि आने वाले दिनों में यह सैन्य तनाव एशिया-प्रशांत क्षेत्र की राजनीति को और प्रभावित कर सकता है।

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