चीन ने लद्दाख पर जताई आपत्ति, भारत ने कहा, ‘आंतरिक मामलों’ पर टिप्पणी मत कीजिए

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Aug 07, 2019

बीजिंग। चीन ने मंगलवार को भारत द्वारा लद्दाख को केन्द्र शासित प्रदेश बनाए जाने का विरोध किया और कहा कि इस कदम ने उसकी क्षेत्रीय संप्रभुता को कमतर किया है। नयी दिल्ली ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए बीजिंग से उसके ‘‘आंतरिक मामलों’’ पर टिप्पणी नहीं करने को कहा। भारत सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर को दो केन्द्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख में बांटने के बीच, चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा कि चीन ने हमेशा चीन-भारत सीमा के पश्चिमी क्षेत्र में चीन की सरजमीं को भारत द्वारा अपने प्रशासनिक क्षेत्राधिकार में शामिल करने का विरोध किया है।

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इस टिप्पणी पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, ‘‘नये ‘केन्द्र शासित प्रदेश लद्दाख’ के गठन के प्रस्ताव वाला पांच अगस्त को संसद में सरकार द्वारा पेश जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2019 भारत की सरजमीं से जुड़ा आंतरिक मामला है। भारत अन्य देशों के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी नहीं करता और अन्य देशों से भी यही उम्मीद करता है।’’

हुआ ने कहा, ‘‘हाल में भारत ने अपने कानूनों में एकपक्षीय तरीके से संशोधन कर चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता को निरंतर कमतर किया है। यह कदम अस्वीकार्य हैं तथा इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।’’उन्होंने भारत से ‘‘सीमा मुद्दे पर अपने शब्दों और कदमों को लेकर बहुत सतर्क रहने, दोनों पक्षों के बीच हाल में हुए समझौतों का कड़ाई से पालन करने तथा सीमा मुद्दे को और जटिल बनाने वाले किसी कदम से बचने का’’ अनुरोध किया।

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कुमार ने कहा कि भारत और चीन ‘सीमा से जुड़े मुद्दों को सुलझाने के लिए राजनीतिक मानकों और मार्गदर्शक सिद्धांत’ के आधार पर संबंधित सीमा के निष्पक्ष, तार्किक और आपसी रूप से स्वीकार्य समझौते पर सहमत हुए हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह का समझौता होने तक, दोनों पक्ष संबंधित समझौतों के आधार पर सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति एवं अमन-चैन कायम रखने पर सहमत हुए हैं। इस बीच, खबरें हैं कि चीन ने इस सप्ताह कैलाश मानसरोवर यात्रा की योजना बना रहे भारतीयों के एक समूह का वीजा नामंजूर कर दिया है। हालांकि इस बात की भारत या चीन की तरफ से आधिकारिक रूप से पुष्टि नहीं हुई है। 

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नियंत्रण रेखा पर भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच गोलाबारी तथा जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को खत्म करने के भारत सरकार के कदम पर बयान देते हुए हुआ ने भारत और पाकिस्तान से यथास्थिति को ‘‘एकपक्षीय’’ तरीके से बदलने वाले तथा दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ाने वाले कदमों से बचने को कहा। भारत और पाकिस्तान से संयम बरतने का आह्वान करने के साथ ही चीन ने मंगलवार को कश्मीर की स्थिति पर ‘‘गंभीर चिंता’’ जताई।

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हुआ ने बीजिंग में कश्मीर पर चीन के रुख को ‘‘स्पष्ट और एकरूप’’ बताया और कहा कि यह मुद्दा भारत और पाकिस्तान के बीच इतिहास की विरासत से आया है जिस पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भी आमसहमति है। उन्होंने कहा, ‘‘संबंधित पक्षों को संयम बरतना चाहिए और समझदारी से कदम उठाने चाहिए। खासकर, उन्हें यथास्थिति को एकतरफा तरीके से बदलने वाले तथा तनाव बढाने वाले कदमों से बचना चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम भारत और पाकिस्तान दोनों से बातचीत एवं सलाह मशविरा के जरिये संबंधित विवादों को शांतिपूर्ण ढंग से निपटाने तथा क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता का संरक्षण करने का आह्वान करते हैं।’’ चीन द्वारा हालिया समय में कश्मीर मुद्दे पर जारी यह दूसरा बयान है।

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चीन ने 26 जुलाई को कहा था कि भारत और पाकिस्तान को कश्मीर मुद्दे तथा अन्य विवादों को बातचीत के जरिये शांतिपूर्ण ढंग से निपटाना चाहिए। चीन ने दोनों देशों के बीच संबंध सुधारने में ‘‘रचनात्मक भूमिका’’ निभाने में अमेरिका सहित अंतरराष्ट्रीय समुदाय के प्रति समर्थन जाहिर किया था। यह बयान वाशिंगटन में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ बैठक के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता के प्रस्ताव के जवाब में जारी किया गया। भारत ने ट्रंप के प्रस्ताव को खारिज करते हुए कहा था कि कश्मीर द्विपक्षीय मुद्दा है।

 

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