चीन की विंटर साजिश, सबक सिखाने के लिए सेना ने बनाया प्लान, हाईटेक ड्रोन, मिसाइलें, तैनात, सर्दी के मौसम में बनाए गए विशेष शेल्टर

By अभिनय आकाश | Nov 23, 2022

ये तो पुरानी कहावत है कि चोर चोरी से जाए लेकिन हेराफेरी से न जाए। कुछ ऐसी ही हालत चीन की है। अंतरराष्ट्रीय मंच पर हाथ मिलाकर बॉर्डर पर कमांडर लेवल की मीटिंग करके चीन खुद के सुधरने का कितना भी हवाला दे लेकिन सच्चाई यही है कि चीन की साजिशें न कभी कम हुई थीं और न कभी होंगी। दो साल से ज्यादा का वक्त बीत चुका है लेकिन भारत और चीन के बीच पूरी तरह से शांति अब भी नहीं हो पाई। दो साल पहले यानी मई 2020 में चीनी सेना ने भारतीय इलाकों में घुसपैठ की कोशिश की थी, जिसका माकूल जवाब आर्मी ने दिया। तब से अब तक 16 बार हाई लेवल मीटिंग हो चुकी है। मगर ड्रैगन अब भी लद्दाख की तरफ नजरें गराए बैठा है। 

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दुनिया के तमाम देशों से चीन का 36 का आंकड़ा है। जमीन की भूख और विस्तारवाद का जहर लेकर चीन हिन्दुस्तान के साथ भी साजिशों के जाल बुन रहा है। बदलते मौसम को ढाल बनाकर चीन एलएसी पर अपनी मौजूदगी को बढ़ा रहा है। लेकिन हिन्दुस्तान की रणनीति और मोदी सरकार की नीतियों के आगे जिनपिंग लगातार मात खा रहे हैं। चीन की यही बेचैनी उसके लिए नई मुसीबत लेकर आने वाली है। एलएसी पर बदलते कुदरती हालातों के बीच चीन की फौज भी अपने रंग-ढंग बदलने लगी है। खबरों के मुताबिक भारत-चीन सीमा पर जारी तनाव के बीच पीपुल्स लिबरेशन आर्मी यानी पीएलए अपनी वेस्टर्न थियेटर कमांड को मजबूत कर रहा है। पीएलए ने अपनी दो कम्बाइंड आर्मड ब्रिगेड को अरुणाचल प्रदेश में तैनात किया है। एक ब्रिगेड को चीन भूटान सीमा के पास सिलीगुड़ी कॉरिडोर के पास रिजर्व के रूप में तैनात किया है। 

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लद्दाख में तेजी से अपनी क्षमता बढ़ा रहा भारत 

भारतीय सेना ने आधुनिक हथियारों और रक्षा संसाधनों के साथ लद्दाख में तेजी से अपनी क्षमता बढ़ा रही है। इसमें आर्टलरी गन, स्वान ड्रोन सिस्टम शामिल हैं जो दुश्मन के इलाके में आक्रमक मिशन को अंजाम दे सकते हैं। इसके अलावा लंबी दूरी के रॉकेट दूर से ही ऑपरेट किए जाने वाले एयर सिस्टम और बख्तरबंद गाड़ियों के साथ पहाड़ों में युद्ध के लिए हल्के टैंकों को डेवलप किया जा रहा है। 

स्वदेशीकरण पर भी जोर  

एलएसी पर पीएलए का मुकाबला करने के लिए सेना की रणनीति का अहम हिस्सा कैपिबल्टिी बढ़ाना है। जिसके लिए रक्षा सौंदों से लेकर कई परियोजनाओं के लिए सरकारी मंजूरी मिल रही है। क्षमता बढ़ाने के लिए स्वदेशीकरण पर भी जोर दिया जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पिछले ढाई सालों के दौरान हमने काफी जमीन को कवर किया है। बहुत सारे उपकरण पहले ही आ चुके हैं और बहुत सारे हार्डवेयर शामिल करने की योजना है। 

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सर्दियों में सेना की तैयारी

हड्डियों को भी कंपा देने वाली ठंड में मूवमेंट में परेशानी होती है। जरा सी चूक हुई और दुश्मन तो जैसे इसी ताक में बैठे हों। इसके लिए सेना अपनी तैयारी में लगी है। पूरे मौसम के लिए सैनिकों के लिए सभी जरूरी चीजों जमा कर ली गई है। इसके अलावा ठंड के लिए शेल्टर बनाए गए हैं और 15 हजार की फीट से ज्यादा की ऊंचाई पर माइनस वाले तापमान में शेल्टर में मौजूद सैनिकों को तापमान सामान्य मिलेगा। सोलर बिजली से रोशनी और पीने के लिए तालाब बनाया गया है। 

नई स्पीड बोट तैनात

पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील पर भारतीय सेना ने नई स्पीड बोट तैनात की हैं। एलएसी के पास इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने और सेना की क्षमता बढ़ाने के लिए उठाए गए कदमों में से एक यह भी है। भारतीय सेना की वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) तक पहुंच बढ़ाने और तैनाती में लगने वाला वक्त कम करने के लिए कई रोड प्रॉजेक्ट पर काम हुआ है और सेना की गश्ती मजबूत करने के लिए नए ट्रैक बनाए गए हैं। 

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