By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jan 18, 2019
नयी दिल्ली। आलोचकों ने भले ही उसका बोरिया बिस्तर बांध दिया था लेकिन माही को अपनी काबिलियत पर यकीन है और उसने आस्ट्रेलिया में बल्ले से जवाब देकर साबित कर दिया कि भारतीय टीम के लिये आज भी उससे बेहतर ‘मैच फिनिशर ’ नहीं है, यह कहना है महेंद्र सिंह धोनी के पहले कोच केशव रंजन बनर्जी का। रांची के जवाहर विद्या मंदिर में धोनी को फुटबाल से क्रिकेट में लाने वाले बनर्जी ने कहा कि आलोचना या प्रशंसा पर प्रतिक्रिया जताना कभी उसकी आदत नहीं रही। उन्होंने रांची से दिये इंटरव्यू में कहा कि वह कभी बोलता नहीं है। बल्ले से जवाब देता है। आस्ट्रेलिया जाने से पहले मैने उससे कहा कि लोग इतना बोल रहे हैं तो तुम जवाब क्यो नहीं देते। इस पर उसने कहा कि आलोचना से क्या होता है। जिस दिन मुझे लगेगा कि मैं टीम को सौ फीसदी नहीं दे पा रहा हूं, मैं खुद क्रिकेट छोड़ दूंगा।
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बनर्जी ने कहा कि अब आस्ट्रेलिया में मैन आफ द सीरिज रहकर उसने अपने आलोचकों को जवाब दे दिया है। उसकी फिटनेस और टीम की जरूरत के हिसाब से खेली गई पारियां बेजोड़ रही। उसके इस तरह खेलने से दूसरे बल्लेबाजों को भी हौसला मिला। उन्होंने कहा कि आस्ट्रेलिया जाने से पहले रांची में उसने काफी अभ्यास किया। बच्चों के साथ मैदान पर घंटो मेहनत की और उसे यकीन था कि वह अच्छा खेलेगा। यह पूछने पर कि उनसे धोनी की क्या बात हुई थी, उन्होंने बताया कि अब वह हलके बल्ले से खेल रहा है। उन्होंने कहा कि माही ने बताया कि अब वह भारी बल्ला लेकर नहीं खेल रहा जो 27–28 साल की उम्र में खेलता था। इसके साथ ही फिटनेस पर लगातार मेहनत करता आ रहा है जो मैदान पर दिखती है । चाहे विकेटों के बीच दौड़ हो या विकेट के पीछे कीपिंग, उसकी मुस्तैदी देखते बनती है।
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विश्व कप में उनके बल्लेबाजी क्रम को लेकर काफी चर्चा हो रही है लेकिन बनर्जी ने भारतीय उपकप्तान रोहित शर्मा का समर्थन किया कि धोनी को चौथे नंबर पर उतरना चाहिये। उन्होंने कहा कि चौथे नंबर पर उसे पारी के सूत्रधार की भूमिका निभाने का मौका मिलता है जो वह बखूबी कर रहा है। निचले क्रम पर आने से सिर्फ आक्रामक बल्लेबाजी का ही विकल्प रहता है। मुझे लगता है कि चौथा नंबर उसके लिये सही है। यह पूछने पर कि धोनी के भीतर अभी कितना क्रिकेट बाकी है, उन्होंने कहा कि फिटनेस और फार्म को देखते हुए तो वह अभी कुछ साल और खेल सकता है लेकिन मुझे लगता है कि विश्व कप के बाद वह तय करेगा। किसी को उसे बताने की जरूरत नहीं है। जब उसे लगेगा कि उसका समय आ गया तो टेस्ट की तरह वह बाकी प्रारूपों से भी विदा ले लेगा।
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