क्या गुरुवायुर सीट जानबूझकर बीजेपी ने अपने हाथों से जाने दी? जहां कभी PM मोदी को कमल के फूलों से तौला गया था

By अभिनय आकाश | Mar 27, 2021

"पुथिया केरलम मोदीकेकोप्पम" य़ानी नया केरल मोदी के साथ। यह नारा गुरुवायुर  श्री कृष्ण मंदिर की ओर जाने वाली संकरी सड़क के प्रवेश द्वार के पास लिखी है। हालाँकि, जहाँ तक इस चुनाव की बात है तो हर साल 200 मिलियन तीर्थयात्रियों को अपनी ओर आकर्षित करने वाले शहर में भाजपा की गैर-मौजूदगी होगी। जिसकी वजह है बीजेपी के उम्मीदवार का नामांकन अस्वीकार किया जाना। दरअसल, एनडीए के तीन उम्मीदवारों में केरल में पार्टी के महिला मोर्चा की अध्यक्ष और यहां से उम्मीदवार निवेदिता सुब्रमण्यन का नामांकन हाल ही में रिटर्निंग अधिकारी द्वारा अस्वीकार किया गया। 

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माकपा की तरफ से आरोप लगाया गया कि राजग के प्रत्याशियों के नामांकन रद्द होने के कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ के पक्ष में भाजपा के मतों की खरीद फरोख्त होगी। कांग्रेस ने पलटवार करते हुए कहा है कि राजग प्रत्याशियों ने माकपा को लाभ पहुंचाने के लिए जानबूझकर अधूरे नामांकन पत्र जमा किए थे। भाजपा अपने वोटों को स्थानांतरित करना चाह रही है जैसे विपक्ष के आरोपों से इनकार करते हुए बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्रन ने कहा कि एलडीएफ और यूडीएफ दोनों इसे दोहराते हैं “अल्पसंख्यक समर्थन उन्हें हासिल हो। 

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शहर कम से कम 43% मुस्लिम है। जबकि यूडीएफ ने गुरुवयूर विधानसभा सीट से आईयूएमएल के केएन खाडर को मैदान में उतारा है वहीं माकपा की तरफ से एनके अकबर मैदान में हैं। सीपीएम के मौजूदा विधायक को पार्टी द्वारा दो-कार्यकाल की सीमा के तहत इस बार टिकट नहीं दिया। वहां के लोगों का कहना है कि अगर हमारे पास मंदिर से संबंधित कोई मुद्दा है, तो हमें एक मुस्लिम विधायक और एक मुस्लिम कलेक्टर के पास जाना पड़ता है। ऐसा नहीं है कि हमारा उनके साथ कोई मुद्दा है। भाजपा गुरूवायूर से आर्थिक स्थिति पर कोटा वापस करने वाले डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट जस्टिस पार्टी के उम्मीदवार दिलीप नायर का समर्थन कर सकती है। 

दूसरी बार पीएम बनने के बाद आए थे नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने दूसरी बार सत्ता पर काबिज होने के बाद अपना पहला दौरा केरल के गुरुवायूर मंदिर में ही किया था। जहां पीएम मोदी को कमल के फूल से तौला गया था। गुरुवायूर मंदिर पांच हजार साल पुराना मंदिर है।  

केरल में कमल का विस्तार

केरल में बीजेपी कम्युनिस्ट वर्चस्व के खिलाफ लगातार लड़ रही है। सबरीमाला मामले ने बीजेपी को यहां विस्तार देने में काफी सहायता की है। इसके बावजूद केरल के स्थानीय निकाय चुनाव के नतीजे बता रहे हैं कि राज्य में लेफ्ट का दबदबा अभी कायम है। लेकिन बीजेपी के लिए संतोष की बात है कि 1623 ग्राम पंचायतों में कमल खिला है। 23 ग्राम पंचायतों पर उसे काफी वोट मिले हैं। वहीं 50 ग्राम पंचायतों में वह दूसरी पार्टियों के बराबर खड़ी हो गई है।  

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