By अनन्या मिश्रा | Aug 31, 2025
भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर दूर्वा अष्टमी मनाई जाती है। इस बार यह पर्व 31 अगस्त 2025 को मनाया जा रहा है। धार्मिक मान्यता है कि दूर्वा अष्टमी पर भगवान गणेश को दूर्वा चढ़ाने से जातक को शुभ फल की प्राप्ति होती है। भगवान गणेश की पूजा में दूर्वा का विशेष महत्व होता है। वहीं सभी मांगलिक कार्यों में दूर्वा या दूब का विशेष रूप से उपयोग किया जाता है। तो आइए जानते हैं दूर्वा अष्टमी के मौके पर शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और महत्व के बारे में...
वैदिक पंचांग के मुताबिक 30 अगस्त को देर रात भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 10:46 मिनट पर शुरू हुई है। वहीं आज यानी की 31 अगस्त की रात 12:57 मिनट पर इस तिथि की समाप्ति होगी। ऐसे में उदयातिथि के हिसाब से 31 अगस्त को दूर्वा अष्टमी का पर्व मनाया जा रहा है।
भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर शाम 05:27 मिनट से अनुराधा नक्षत्र का संयोग है। इसके बाद ज्येष्ठा नक्षत्र का संयोग है। इस शुभ मौके पर भद्रावास योग का निर्माण हो रहा है। भद्रावास योग दिन में 11:54 मिनट तक है।
इस दिन सुबह जल्दी स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें। फिर पूजा स्थल की सफाई करके भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद भगवान गणेश को धूप, दीप, रोली, चावल और नैवेद्य चढ़ाएं। अब भगवान गणेश को विशेष रूप से 21 दूर्वा के गुच्छे अर्पित करें। ऐसा करना शुभ माना जाता है। फिर शाम को भी विधिविधान से भगवान गणेश की पूजा करें और आरती करें। अंत में कथा का पाठ करें या सुनें। पूजा के अंत में प्रसाद बांटे।