फातिमा तलैया ने इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग में उठाई महिलाओं के लिए आवाज, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद से किया गया बर्खास्त

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Sep 22, 2021

हाल ही में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग IUML राष्ट्रीय समिति ने हरिता नेता फातिमा तलैया को उनके प्रदर्शन के बाद मुस्लिम एम एस एफ की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद से हटा दिया है। आईयूएमएल के राष्ट्रीय नेतृत्व द्वारा सोमवार को जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार मुस्लिम लीग केरल राज्य समिति की सिफारिश के अनुसार की गई कार्रवाई में समिति ने पाया कि फातिमा की ओर से गंभीर अनुशासनहीनता की गई थी।  

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सोमवार को चेन्नई में IUML के राष्ट्रीय अध्यक्ष के. एम खादर के बयान के अनुसार उन्होंने पार्टी के  केरल राज्य समिति की सिफारिश के अनुसार गंभीर अनुशासनहीनता के लिए तलैया को एमएसएफ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद से हटाने का फैसला किया है। बता दें कि हरिता कार्यकर्ता फातिमा ने पार्टी नेतृत्व के उन पुरुष नेताओं के खिलाफ राज्य महिला आयोग में याचिका दायर की थी जिन्होंने उनके संबंध में अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया था।उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि अश्लील टिप्पणी के खिलाफ उन्हें मीडिया प्लेटफॉर्म पर गंभीर चरित्र हनन का सामना करना पड़ा था। हरिता महिला कार्यकर्ताओं ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि वे उचित कार्यवाही के बाद ही अपनी याचिका वापस लेंगी। उन्होंने कहा कि-" हमारे हाथ पैर नहीं बंधे हैं, अगर हाल के वर्षों में पार्टी व्यक्ति उन्मुख हो गई तो उसे सही रास्ते पर लाया वापस लाया जाना चाहिए।

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साथ ही फातिमा ने घोषणा की है कि वे पार्टी के साथ साथ समुदाय के भीतर ही एक सुधारात्मक शक्ति के रूप में लड़ने के लिए इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के भीतर समान विचारधारा वाली महिलाओं का एक समूह बनाने जा रही हैं।जल्द ही इसके नाम की घोषणा कर दी जाएगी। 2012 में हरिता के गठन के बाद फातिमा तलैया इसकी पहली प्रदेश अध्यक्ष हैं। 

2 महीने पहले हरिता नेताओं ने आरोप लगाया था कि जून महीने  मेंमें MSF पदाधिकारियों की एक बैठक के दौरान तीन नेताओं राज्य अध्यक्ष पीके नवस, मल्लपुरम जिला अध्यक्ष एम कबीर और जिला महासचिव वी ए वहाब ने कथित तौर पर उनके लिए अश्लील टिप्पणियां की थी। लेकिन पार्टी द्वारा कार्यवाही करने में विफल रहने पर हरिता नेताओं ने राज्य महिला आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी। फातिमा के अनुसार उन्होंने हरिता के नेतृत्व पर सवाल नहीं उठाया है ,बल्कि केवल राजनीतिक स्थान को लैंगिक तटस्थ बनाना चाहती  हूं और महिलाओं और उनकी आवाजों के लिए स्थान सुनिश्चित करना चाहती हूं। वह कहती हैं कि हम महिलाओं के आत्मसम्मान को बनाए रखना चाहते हैं।

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हालांकि यह पहली बार नहीं है जब तलैया ने अपने समुदाय में महिलाओं के लिए लड़ाई लड़ी है।2013 में जब केरल में मुस्लिमों के मध्य कम उम्र में शादियों पर बहस छिड़ गई थी तो वह इस प्रथा का विरोध करने वाली पहली महिला थीं। वह कहती हैं कि पितृसत्तात्मक मानसिकता वाले समुदायों में महिलाओं के लिए लड़ना बेहद ही मुश्किल भरा काम है।

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